लेख विचार
प्रेषित: रिंकू झा
श्रोत: दहेज मुक्त मिथिला समूह
लेखनी के धार ,बृहस्पतिवार साप्ताहिक गतिविधि
विषय :- “तंत्र विद्या सँ जुड़ल अंधविश्वास एक विचारणीय समस्या
तंत्र विद्या एक टा अत्यंत प्राचीन आर रहस्यमई विधा छै ।जेकर उल्लेख भारत के आध्यात्मिक आर धार्मिक ग्रंथ मे अछि। तंत्र,मंत्र सामान्यतः साधना आर ध्यान पर आधारित रहै छै। उर्जा स भरल तंत्र विधा मे चमत्कार आर अलौकिक शक्ति के प्रदर्शन होई छै। ई विद्या मनुष्य के शारीरिक, मानसिक आर आध्यात्मिक विकास के एक टा साधन छै जेकर वास्तविक उद्देश्य आत्मा के उन्नति, आत्मज्ञान आर अदृश्य शक्ति के संग एकात्मकता प्राप्त करब छै। तंत्र विद्या स दिक्षित व्यक्ति केर लक्ष्य केवल बाहरी व भौतिक सुख व लाभ प्राप्त करब नहि रहए छै, बल्कि अंतरात्मा केर शक्ति के जागृत करब होई छै। दरअसल तंत्र शब्द योग शब्द के समान होई छै वास्तव मे तंत्र विद्या सँ युक्त व्यक्ति मांस,मदिरा आर दैहिक सुख स दूर रहै छै। कारण अहि सांसारिक सुख सँ लिप्त व्यक्ति कखनहु तंत्र ज्ञान नहीं प्राप्त कऽ सकैत छै। तंत्र विद्या के प्रचलन हिन्दू धर्म के संग -संग बौद्ध आर जैन धर्म मे सेहो प्रचलित छै। अथर्ववेद मे एकर वर्णन कैल गेल अछि। तंत्र विद्या के मुख्यतः तीन भाग में बांटल गेल अछि जेना आगम तंत्र, यामल तंत्र आर मुख्य तंत्र। तंत्र विद्या के उपयोग अगर नीक भावना सँ यानी सही आर सकारात्मक रूप सँ होइत अछि त ई व्यक्तिगत उन्नतिक लेल लाभकारी सिद्ध होइत अछि आर समाज के सेहो लाभ होइत छै , परन्तु यदि एकर दुरुपयोग होइत अछि त ई समाज लेल हानिकारक छै। कारण तंत्र विद्या केवल नीक उद्देश्यपुर्ति के लेल नहि प्रयोग कैल जाइत अछि, बल्कि कखनो काल एकर प्रयोग नकारात्मक आर व्यक्तिगत स्वार्थ के लेल भी कैल जाइत अछि। किछु सामाजिक कुकृत्य लेल लोक सब अपना लाभ के लेल एकर गलत प्रयोग करय छैथ, जाहि स समाज मे अंधविश्वास पसरय छै।कारण तंत्र विद्या आस्था आर अंधविश्वास के बिच एक टा छोट सन लकीर छै जेकरा मेटायब बहुत मुश्किल नै छै। तंत्र विद्या के भ्रम जाल मे किछु पाखंडी बाबा सब समाज के भोला -भाला जनता के बहका कय लुटी रहल अछि। मनुष्य के मानसिक दबाव, शारीरिक शोषण आर भावना के संग खेल जाई छैथ। अहि मे केवल ग्रामीण अशीक्षित जनता नहि बल्कि शहर के पढल -लिखल व्यक्ति सब सेहो गुमराह भय जाई छैथ।
समाज मे तंत्र विद्या आर अंधविश्वास के बिच अंतर बूझब बहुत जरूरी छै। जे एकर उपयोग किएक आर कखन करबाक चाहि। वैज्ञानिक दृष्टिकोण के बढ़ावा दैत तंत्र विद्या आर अंधविश्वास के प्रति समाज मे जागरूकता प्रचार आवश्यक अछि
।शिक्षा के प्रचार -प्रसार करी, मीडिया आर सरकार मिली कऽ समाज मे पसरल अहि कूकृत्य पर अंकुश लगेबाक प्रयास करी। ढोंगी बाबा सबके पर्दाफाश करी। अज्ञानता मे फंसल निर्दोष समाज के अहि मायावी दुनिया सँ बाहर निकालब हमरा -आंहा के कर्तव्य अछि। तखने एक टा सभ्य, स्वस्थ आर वैज्ञानिक समाज के स्थापना कय सकै छी।