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तंत्र विद्या केर नाम पर अंधविश्वास मे फँसबाक मुख्य कारण अशिक्षा आ गरीबी

लेख विचार
प्रेषित: अशोक कुमार सहनी
श्रोत: दहेज मुक्त मिथिला समूह
लेखनी के धार ,बृहस्पतिवार साप्ताहिक गतिविधि
विषय :- “तंत्र विद्या सँ जुड़ल अंधविश्वास एक विचारणीय समस्या

तंत्र विद्या प्राचीन समय सँ अपन मिथिला समाज मे रहैत आयल अछि। एकर मूल उद्देश्य मानव जीवन मे सुधार, विपत्तिक समाधान आ सुख-शांति प्रदान करब छल। मुदा, कालान्तर मे ई विद्या अंधविश्वास आ ठगीक माध्यम बनि गेल। विशेष रूप सँ ग्रामीण इलाका आ अशिक्षित समाज मे तंत्र विद्या के नाम पर भय आ भ्रम फैला क’ लोक सब क’ शोषण कैल जा रहल अछि। एहि लेख मे हम तंत्र विद्या स जुड़ल अंधविश्वास, एकर प्रभाव आ समाधान पर विचार करब।

अंधविश्वासक मूल कारण:-
तंत्र विद्या पर विश्वास करबाक प्रमुख कारण अशिक्षा, गरीबी, आ सामाजिक जागरूकताक अभाव अछि। ग्रामीण क्षेत्र मे लोक वैज्ञानिक दृष्टिकोण सँ वंचित रहैत छथि। किछु लोकक अज्ञानता आ समस्या समाधान क’ त्वरित उपायक खोज तंत्र साधकक शिकार बनेबाक कारण बनैत अछि। कखनो बीमारी, कखनो आर्थिक समस्या, त’ कखनो व्यक्तिगत द्वेषक समाधान लेल लोक तंत्र साधक आ झाड़-फूँक करऽवला लोकनिक चक्कर मे पड़ैत छथि।

तंत्र विद्याक नाम पर अपराध आ शोषण:-
आजुक युग मे तंत्र विद्या क’ नाम पर कतेको ठग लोकनि अपन कुकृत्य करैत छथि। किछु लोक एहन ‘तांत्रिक’ लग जा केँ अपन समस्या समाधान करबाक प्रयास करैत छथि, जे केवल भयक वातावरण बना क’ मानसिक आ आर्थिक शोषण करैत अछि। लोकनीक विश्वासक फायद उठाकऽ हुनका सँ धन वसूली, अमानवीय कर्मक आदेश, आ कतेको बेर त’ हिंसक गतिविधि धरि होइत अछि। एहि सब मे नारी आ बच्चा सब सँ बेसी प्रभावित होइत छथि।

अंधविश्वासक परिणाम:-
अंधविश्वासक परिणाम समाज लेल बहुत भयावह भऽ सकैत अछि। किछु उदाहरण:-

१. मानव बलि: ग्रामीण क्षेत्र मे एकर कतेको उदाहरण भेटैत अछि, जतऽ ‘तांत्रिक’ लोक सब बलि देबाक नाम पर निर्दोष लोकक जान लऽ लैत छथि।

२. पारिवारिक विघटन: झाड़-फूँकक नाम पर परिवारक सदस्य एक-दोसर पर संदेह करैत छथि, जाहि सँ घर-परिवार मे कलह उत्पन्न होइत अछि।

३. स्वास्थ्य समस्या: बीमारीक वैज्ञानिक इलाज छोड़ि क’ झाड़-फूँक पर निर्भर रहबाक कारण लोक अपन जान गँवा दैत छथि।

४. आर्थिक नुकसान: अंधविश्वासक चक्कर मे लोक अपन कमाई ठग सब कें दऽ दैत छथि।

समस्या समाधानक उपाय:-
अ. शिक्षा आ जागरूकता: अशिक्षा अंधविश्वासक जड़ि अछि। अगर लोक साक्षर आ वैज्ञानिक दृष्टिकोण वाला बनत, त’ तंत्र विद्या क’ नाम पर शोषण रुकी सकैत अछि। स्कूल, कॉलेज आ सामाजिक कार्यक्रमक माध्यम सँ लोक केँ जागरूक करबाक आवश्यकता अछि।

आ. कानूनी कदम: तंत्र साधक आ ठगी करऽवला लोकक खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई करबाक आवश्यकता अछि। समाज मे एहन अपराधी पर अंकुश लगौनाई अत्यंत जरूरी अछि।

इ. मीडिया आ सोशल मीडिया क’ उपयोग: आजुक युग मे सोशल मीडिया एक सशक्त माध्यम बनि गेल अछि। एहि माध्यम सँ लोक केँ अंधविश्वासक खिलाफ शिक्षित कैल जा सकैत अछि।

उ. वैज्ञानिक सोच क’ प्रोत्साहन: विज्ञान आ तर्कक महत्व केँ बढ़ावा देबाक आ लोक केँ समस्याक समाधान लेल वैज्ञानिक उपाय देखबाउब बहुत जरूरी अछि।

ऊ. धार्मिक-सामाजिक नेतृत्वक भूमिका: धार्मिक गुरु आ समाजक अग्रणी लोक अंधविश्वासक खिलाफ जागरूकताक अभियान चला सकैत छथि। लोक सब हुनक बात केँ बेसी मानैत अछि, त’ एकर प्रभावकारी परिणाम भेटत।

आखिर में :-
तंत्र विद्या अपन आपमे खराब नहि अछि, मुदा एकर दुरुपयोग आ अंधविश्वास समाजक लेल हानिकारक अछि। एहि समस्या सँ लड़बाक लेल शिक्षा, जागरूकता, आ कड़ी कानूनी व्यवस्था जरूरी अछि। समाजक प्रत्येक व्यक्ति केँ ई जिम्मेदारी लेबाक चाही जे ओ कोनो तरहक अंधविश्वासक विरोध करथि आ वैज्ञानिक दृष्टिकोण अपनाउथि। केवल तखनहि एक स्वस्थ, जागरूक आ सभ्य समाजक निर्माण भ’ सकैत अछि।

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