लेख विचार
प्रेषित: प्रिया झा
श्रोत: दहेज मुक्त मिथिला समूह
लेखनी के धार ,बृहस्पतिवार साप्ताहिक गतिविधि
विषय :- “तंत्र विद्या सँ जुड़ल अंधविश्वास एक विचारणीय समस्या
तंत्र विद्या एकटा संपुर्ण विज्ञान अछि ।ई विज्ञानक आरंभ भारत सं भेल ।ओना अकर प्रचलन विलुप्त भेल जा रहल अछि ई आब अंधविश्वास के रूप लऽ लेलक ।
ई विद्या एकटा आध्यात्मिक विद्या सेहो छल ।
अकर नियम आ व्यवस्था बनाओल गेल अछि ।कतौ कतौ अहि विद्या के जानकारी भेटैत अछि ,कहय के मतलब जे ई मूलतः मंत्र आ किछु गोपनीय विधि सं अहि प्रक्रिया के साधिके परिणाम साधल जाइत अछि परंच अहि विद्या के कम जानकार रहला के कारण पाखंड मिश्रण बेसी भऽ गेल ।तंत्र विद्या मे शरीरक महत्व के अलावा मन ,बुद्धि आ चित सेहो महत्वपुर्ण अछि । तंत्र विद्या माने दैविक शक्ति प्राप्ति हेतु साधना। जाहि लेल अशेष ज्ञानी व साधल संन्यासी जे वर्षों धरि तप कएने होथी। वैह उपचार कए सकए अछि।
तंत्र विद्या सं जुड़ल कर्मकांड पूजा पाठ के तरीका सभ किछु धर्म मे अलग अछि ,मुदा तंत्र विद्या प्रभावकारी होइत अछि जे पहिने लोक कल्याण हेतु अपनाओल गेल।
तंत्र विद्याक प्रयोग किछु समाजक ढोंगी लोक सभके द्वारे अंधविश्वास मे पसरि गेल ।अहि तंत्र विद्या के प्रयोग रचनात्मक रूप सं समाजिक हित लेल कएल जाइ से नीक गप्प होइते मुदा किछु लोक अकर महता के खतम करय मे लागि गेल आ अहि विद्या के गलत उपयोग कएल गेल आ ई विद्या अंधविश्वासक रूप मे बदलि गेल ।
अंधविश्वास प्राचीन पद्धति छी जे मणि धातु ,काठ आ पात पर किछु मंत्र लिखल गेलाक बाद कतेक प्रकारें सिद्धि प्राप्त करैत यंत्र प्राप्ति केर बाद ओहि यंत्र के जंतर बना कऽ गला आ बांहि पर बांधल जाइत अछि आ मंत्र सं सिद्ध कएल जाइत अछि ।
ई कला संपुर्ण कला विज्ञान अछि जे विरले ई साधना संपन्न होई छलाह। ई तांत्रिक उपचार लोकक मूलभूत दुखःक निवारण लेल सहायक छल आ अहि विज्ञान के अंधविश्वास सं कोनो लेना देना नैय छल ।
किछु अराजक तत्व आ ढोंगी लोकक कारणे अकर स्वरूप आब बदलि देल गेल ।
तंत्र विद्या सं जुड़ल सुनल सुनाएल बात सँ बेसी लोक अंधविश्वास मे ओझरै गेल।
ई विद्या एकटा साधक सभके लेल साधना अछि जे गोपनीय राखि अकर वर्चस्व बनाओल गेल छल ।
अहि विद्या के अंधविश्वास सं कोनो सरोकार नैय छल ।
ई एकटा सोचनीय विषय अछि जे संपुर्ण विज्ञानक ज्ञान के मात्र अंधविश्वासक रूप दऽ देल गेल भारत आ सनातनी सभके बीच अहि विद्या के महत्व के आब अतेक सराहल नैय जा रहल अछि आ मात्र अंधविश्वास मानि अकर महत्व के किछु लोक लेल छोड़ि देल गेल ।
तंत्र विद्या लोक हितक उदेश्य आ साधना के विषय छल
तंत्र विद्या आब अंधविश्वासक अंधखेल बनि प्रत्येक वर्ष कतेको लोक के लील जाइत अछि ।
तंत्र विद्या एकटा प्रभावशाली विद्या छल जे आब विकृत रूप मे समाज मे पसरि गेल जे कतौ सं अपेक्षित नैय अछि निंदनीय रूप लऽ लेलक ।
अंधविश्वास मे लोकक प्राण लऽ रहल ई विद्या चिंतन के विषय भऽ गेल अछि अकर निदान अवश्यरूपे हेबाक चाही नैय तऽ किछु पाखंडी सभके कारणे समाज के मासुम लोक सभ विस्तृत रूप सं अहि जाल मे फंसल चल जाइत जे एकटा विशुद्ध विज्ञान के कलुषित आ उपेक्षित बना के छोड़ि देत ।
अंधविश्वास सं केना मुक्त होएब –
अहि लेल सभ मे जागरूकता आनब बेसी जरूरी अछि।
जागरूकता अनला सं अहि कला विज्ञानक जानकारी लोक के भेटत आ अंधविश्वासी लोकक भ्रम टुटत ।
कानूनक शिकंजा सेहो कड़ा हेबाक चाही जाहि सं जे अराजक तत्व छैक ओ हिंसात्मक कार्य करय सं डराएल रहत लोक सभ अंधविश्वासक चक्कर मे अपन प्राण नैय गंवाओत ।