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विवाह एक परंपरा आ संस्कृति छी, दिखावा उचित नै

लेख विचार
प्रेषित: आभा झा
श्रोत: दहेज मुक्त मिथिला समूह
लेखनी के धार ,बृहस्पतिवार साप्ताहिक गतिविधि
विषय :-  ” आधुनिकता आ आडंबर युक्त विवाह सऽ प्रभावित होइत मध्यमवर्गीय परिवार!”

मध्यमवर्गीय परिवार भारतीय समाजक रीढ़क हड्डी मानल जाइत अछि। ई वर्ग अपन पारिवारिक मूल्य आ पारंपरिक संस्कृतिकेँ बना कऽ राखयकेँ लेल समाजमे अपन पहचान रखैत अछि। हालांकि, वर्तमान समयमे आधुनिकता आ आडंबर युक्त विवाहक प्रभाव एहि परिवार पर गंहिर पड़ि रहल अछि, जाहि कारण पारिवारिक संबंध, आर्थिक स्थिति आ सामाजिक धारामे परिवर्तन आबि रहल छैक।
आधुनिकताकेँ प्रभाव सभसँ पहिने जीवनशैलीमे देखय लेल भेटैत अछि। सोशल मीडिया आ ग्लैमरस जीवनशैलीकेँ प्रभावमे आबि कऽ विवाह आब खाली पारिवारिक संबंधक रूपमे नहि देखल जाइत अछि, बल्कि ई एक अवसर बनि गेल अछि। जाहिमे दिखावा आ शानो – शौकतकेँ प्राथमिकता देल जाइत छैक। पारंपरिक विवाहक मुकाबले आब विवाहमे भव्यता आ आडंबर बेसी देखाइ दैत अछि। पैघ बजट पर आयोजन, महग कपड़ा, लग्जरी कार, डेस्टीनेशन वेडिंग, प्री वेडिंग आ हनीमून पैकेज विवाहक हिस्सा बनि गेल अछि। एहि सँ मध्यमवर्गीय परिवारक आर्थिक स्थिति पर भारी दबाव पड़ैत अछि, कियैकि ओ अपन सामर्थ्य सँ बेसी खर्च करयकेँ कोशिश करैत छथि।
एकर अलावा, आडंबर युक्त विवाहक कारण संबंधमे सेहो बदलाव आबि रहल अछि। पारिवारिक आ सामूहिक खुशी आब व्यक्तिगत रूपमे सिमैट गेल अछि। परिवारक सदस्य, जे पहिने विवाहमे मिलि कऽ खुशी मनबैत छल, आब एक दोसरसँ दूर भेल जा रहल छथि। विवाहक उद्देश्य, जे पहिने दू परिवारक बीच संबंधकेँ मजगूत केनाइ छल, आब दिखावा आ सामाजिक प्रतिष्ठा तक सीमित भऽ गेल अछि। एकर प्रभाव ने खाली संबंध पर पड़ल अछि बल्कि मानसिक तनाव आ दबाव सेहो बढ़ल अछि।
मध्यमवर्गीय परिवारमे शिक्षा, पेशेवर जीवन आ सामाजिक मानक के दिस बढ़ैत रूझान सेहो विवाहक अवधारणाकेँ प्रभावित करैत अछि। पहिने परिवारक लोक विवाहकेँ एक पारंपरिक आ सांस्कृतिक बंधन मानैत छल, मुदा आइ काल्हि ई सेहो देखल जा रहल अछि कि शिक्षा आ करियरकेँ चलते विवाहमे देरी भऽ रहल अछि। एकर परिणामस्वरूप, विवाहक परिभाषा बदलि रहल अछि आ परंपरागत मूल्य कमजोर भऽ रहल अछि।
आधुनिकता आ आडंबरक यैह प्रभाव सामाजिक ताना-बानाकेँ सेहो प्रभावित करैत अछि। विवाह एक सामाजिक संस्था अछि, आ जखन एकरा दिखावा आ आडंबरसँ जोड़ि देल जाइत अछि, तखन यैह समाजमे वर्गभेद आ असमानताकेँ बढ़ावा दैत अछि। समाजमे ओहि वर्गक निर्माण होइत अछि जे सिर्फ दिखावाकेँ महत्व दैत अछि आ पारंपरिक मूलयकेँ नजरअंदाज करैत अछि।
आधुनिकता आ आडंबर युक्त विवाहक प्रभावसँ मध्यमवर्गीय परिवारक सामाजिक, आर्थिक आ मानसिक स्थिति पर प्रतिकूल असर पड़ि रहल अछि। यैह समाजक पारंपरिक मूल्य आ पारिवारिक संबंधकेँ कमजोर कऽ रहल अछि। ताहि दुवारे, हमरा एहि बदलावकेँ बुझैत, विवाहकेँ एक सांस्कृतिक आ पारिवारिक संस्थाक रूपमे देखबाक चाही, न कि केवल एक भव्य आयोजनक रूपमे। समाजमे दिखावाकेँ बजाय, एक-दोसरक बीच प्रेम आ समझदारीकेँ बढ़ावा देबाक आवश्यकता अछि।

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