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परिवार केर परवाह करैत जौं सोशल मीडिया पर समय दी से उचित

लेख विचार
प्रेषित: रिंकू झा
श्रोत: दहेज मुक्त मिथिला समूह
लेखनी के धार ,बृहस्पतिवार साप्ताहिक गतिविधि
विषय :- “सोशल मीडिया केर मानव जीवन पर प्रभाव या योगदान

एक मनुष्य एक टा सामाजिक प्राणी होईत अछि। समाज मे कि भ रहल छै? ई सब जानय के लेल सदैव आतूर रहय छैथ। आर अहि आतुरता के समाधान हमरा आंहा के एक टा संचार माध्यम के द्वारा होईत अछि, अहि सब मे सोशल मीडिया एक टा अहम भूमिका निभाबैय।साधारण शब्द मे कहीयौ त सोशल मीडिया हमरा अहां के इन्टरनेट के दुनिया स अवगत करावैया जेना -फेशबुक,व्हाटसप, ट्विटर, इंस्टाग्राम, स्नैपचैट,गुगल के माध्यम स दुनिया भैर के बात जानि सकय छी आर अप्पन बात दुनिया तक पहुंचा सकय छी।आदीयो काल में ई माध्यम रहय मुदा धीमी गति बला जेना रामायण के पौराणिक कथा के अनुसार रामभक्त हनुमान जी रावण के लंका में दुत बनि क संवाद पहुचावै गेल रहथीन ,,। पहीले के समय में पत्र के आदान -प्रदान केल जाय छलय । बहुत समय एहनो होई छलय की जाही काज लेल टेलीग्राम केल जाय छलय ओ समाप्त भेला के बाद ओही व्यक्ति तक पहुंचई छलय।
आधुनिक युग पुर्ण रुपे सोशल मीडिया के युग छै ।,बुर्ह स लय क बच्चा तक ,सब सोशल मीडिया पर एक्टिव रहय छैथ। तकनीकी विकास जतय बहुत किछु द रहल अछि ओतही बहुत किछु छीनो रहल अछि। जेना हर सिक्का के दु टा पहलु होई छै तहीना सोशल मीडिया के सेहो दु टा पहलु छै नीक आर बेजाए,ई हमरा आंहा के उपर अछि की लाभ आर हानी के विवेचना कोना करी कारण कोनो भी चीज के अति निक नहीं होई छै।अकर कीछु सकारात्मक परिणाम भेल जेना – अखन के समय में आहां चाहि त क्षण भैर मे घरे बैसल मिलो दूर अपन परिजन जेना नैहर-सासुर के लोक स बात क सकय छी,भीडीयो कॉल  स हुनका देख सकै छी। बर्षो स बिछरल स्कूल, कॉलेज के मित्र स बात क सकय छी। घरे बैसल दवाई, राशनके समान, कपड़ा -लत्ता, उपहार आदि के खरीदारी क सकै छी। गैस आर बिजली के बिल भैर सकै छी। दुख- सुख में शुभकामना आर संवेदना प्रकट क सकय छी, जन्मदिन आर बैबाहिक सालगिरह पर उपहार भेज सकय छी। सोशल नेटवर्क के द्वारा लोक सब अपन हुनर देखा क जेना गीत, नृत्य,कला आर कुकींग आदि के द्वारा पैसा कमा रहल छैथ आर केवल शहर -गांव मे नहीं बल्कि पुरा दुनियां मे नाम कमा रहल छैथ । एक स एक पढ़ाई , आफिस के काज , मीटिंग, सब किछु सुचारू रूप स कय सकय छी। घरे बैसल जनता आर सरकार तक अपन बात पहुंचा सकय छी।संगे नकारात्मक प्रभाव सेहो छै जेना ,हर वक्त मोबाइल मे घुसल रहब, परिवार मे रहीतो अलग-थलग अपन जीवन मे व्यस्त रहब, पहीले कम स कम छः महीना मे एके बेर सही मिलय त छलैथ ,आब फोन पर बात भ जाई छै सालो – साल भेट नहीं। किछु लोक सोशल मीडिया के जरीए देश आर समाज मेअशांति फैला दय छथीन , कोनो -कोनो पोस्ट देश आर विश्व के लेल मुद्दा बनी जाई छय।पहीले लोक पुरा परिवार एक दोशर लग वैसय छलऐथ मोनक बात एक दोशर के सुनवैय छलैथ। आब सब मोबाइल मे घुसल रहय छैथ। पति -पत्नि कखनो क अंजान जका एक दोशर के छोरी फोन मे ढुकी जाई छैथ,की खेलैथ, नै खएलऐथ अंदाजो नहीं रहय छैन्ह कखन खेलहु कखन सुतलहुं कोनो समय के ठीक नही रहय छैन्ह। एक टा हाईकोर्ट के जज के कहब छलैन की सोशल मीडिया के कारण कोनो चीज के गोपनीयता नहि रहय के वजह स वैवाहिक जीवन पर खतरा मंडरा रहल अछि । पहीले धी-बेटी सासुर जाई छलैथ महीनो तक नैहर स सम्पर्क नहीं रहैय छलय ओ सासूरक लोक के अपन बना खुश रहय छलैथ , मुदा आब पल-पल के खबैर नैहर तक पहुंचावै छथीन,आर नैहरक लोक के हस्तक्षेप स कतेको के घर स्वर्ग स नर्क बनी जाईया। हमरा हिसाब स सोशल मीडिया के पुरा दोष नहीं द क एक टा समय सीमा निर्धारित कय एकर उपयोग करी त अही स निक चीज आर किछु नही अछि, अपना घर-परीवार के हीत मे सोचैत हुनके साथ अमुल्य समय बिताबी। सोशल मीडिया के एक टा वरदान बनाबी नहि की अभिशाप।
जय मिथिला जय मैथिली ।

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