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सभ मिली लिय संकल्प जे बाजब, लिखब आ अवश्य पढ़ब मैथिली

लेख विचार
प्रेषित: अर्चना मिश्रा अर्शी
श्रोत: दहेज मुक्त मिथिला समूह
लेखनी के धार ,बृहस्पतिवार साप्ताहिक गतिविधि
विषय :- “संविधान मे तँ स्थान भेट गेलन्हि मैथिली केँ ….मुदा कि अपनहि घर मिथिला मे स्थान भेटलन्हि या आबो भेटतैन माँ मैथिली केँ!”

 

संविधानक आठम अनुसूचीमे मैथिलीक मान्यता भेट चुकल छैक,मान तखने भेटतै जखन हम सब अपने बाजब ।

मिथिलांचलक सभ क्षेत्रक जनतामे अखनि उत्साहक लहरि उमड़ि रहल अछि! लगैत अछि जेना कोनो बिहाड़ि उठल हो,” लेकिन ओ बिहाड़ि विलीन नहि होयत अपन अमिट छाप छोड़ि रहत।

मैथिलीक स्थान आठम अनुसूचीमे दियौलनि “माननीय प्रधानमंत्री ‘अटल बिहारी वाजपेई”ई अटलक अटल फैसला छल। हमरा लोकनिकेँ एकर मान रखबाक छल से नहि कऽ पोलौँ ।खाली चिकड़ि रहल छी मैथिली के विद्यालय मे स्थान भेटऽ ! हँ भेटवाक चाही हमर भाषा समृद्ध अछि महामहोपाध्याय सभ अपन छाप छोड़ि गेल छथि! हम ओहि मिथिलासँ छी। ‘मुदा मैथिली बजैमे लाच होइत अछि , मातृभाषा हमर मैथिली छी नहि बाजि सकैत छी! कारण बच्चा सभके नीक विद्यालय मे नाम नहि लिखायत मातृभाषा पूछत तँ मैथिली कोना कहबै? ई बहुतों गोटे के प्रश्न छनि! बहुत गोटे एंकर सामना कयने होयता।
मिथिलांचलसँ बाहरक बच्चा भारतीय प्रशासनिक सेवा और बिहार प्रशासनिक सेवामे मैथिली विषय लऽ पढ़ाई करैत अछि! लेकिन मिथिलांचलक बच्चा अपन भाषा के हे दृष्ट सँ देखैत अछि।
एकर कारण हम अपने आप के दैत छी हम सभ अपन बच्चाक संग- संग हिन्दी आ अंग्रेजी बाजय लगैत छी यदि हम सभ मैथिलमे जवाब देबै त सौभविक छै ओ बजबाक कोशिस करत।
सरकार तँ मैथिलीक प्रति शत्रु भाव रखिते अछि। परन्तु आब मिथिलावासी नहि मानत मैथिलीकेँ उचित मान दियवाक संकल्प लऽ अपन डेग बढ़ा रहल छथि।
मिथिलांचलक कोनो सरकारी कार्यालयमे मैथिलीमे लिखल अवेदन पत्र खारिज नहि कैल जा सकैत छै।तइयो मिथिलावासी के मैथिली पढ़े मे लिखैमे हीन भावनाक बोध होइय छनि। जखन हमरा लोकनि अपने सँ अपन भाषाक अपमान करैत छी तँ आगू वला क्याक नै करत।हम सब हिन्दी अंग्रेजी बजै छी तँ गौरवक बोध होइत अछि। लेकिन ई नै सोचैत छी अपन मातृभाषाक अपमान कऽ रहल छी।
जखन बच्चाक जन्म होइत छै तँ सबसँ पहिने अपन मायक बोली यथार्थ मातृभाषा सिखैत अछि।तखन कोनो आन भाषा।
जखन मिथिलांचलक लोक अपन भाषा छोडि दोसर भाषा रोजमर्रा मे सामिल कयलनि तँ आर अइ सँ बेसी दुःख की होयत।आइ काल्हि नवयुवक, युवती लोकनि साकांक्ष छथि।
किछु दिन पहिने हमरा हमर मित्रसँ भेंट भेल गप्पक क्रममे कहलनि हमर नामक संग झा लागल अछि आ हम सब जतैक मैथिली भाषी छी कार्यालयमे से हो मैथिली मे गप्प करैत छी एक दिन बाहर सँ एक पदाधिकारी आयल छलाह ओ हमरा सबकेँ गप्प करैत सुनलनि त ओहो मैथिली बाजय लगला आ अपन घर परिवारक परिचय दए अगल बगल अपन लोकक जिज्ञासा कयलनि आ हुनक जिज्ञासा पूरा भेलनि आ जाइत जाइत कहि गेलखिन अपन भाषाक मान लोक अपने रखैत अछि, तखन आगू बला राखत।

बाजब मैथिली,पढ़ब मैथिली,लिखब मैथिली यैह मनमे संकल्प लऽ आउ सभ मिलि डेग बढ़बैत छी! मैथिली भाषाकेँ मान भेटै’, स्थान भेटै’ ,सम्मान भेटै’।

जय माँ जानकी।

 

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