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पुनर्विवाह लेल आधुनिक युग केर दृष्टिकोण अपनैब आवश्यक

  1. लेख विचार
    प्रेषित: अशोक कुमार सहनी
    श्रोत: दहेज मुक्त मिथिला समूह
    लेखनी के धार ,बृहस्पतिवार साप्ताहिक गतिविधि
    विषय :- “आधुनिक मिथिला मे पुनर्विवाह केर आवश्यकता किएक आर कोना

आधुनिक मिथिलामे पुनर्विवाहक आवश्यकता आ ओकर उपयोगिता

मिथिलाक समृद्ध परंपरा आ संस्कृति सदा सँ मानवीय मूल्य आ समाजिक संगठनक महत्व पर बल देलक अछि। तथापि, आधुनिक युगक बदलैत सामाजिक परिस्थिति आ चेतनाक विकासक संग मिथिला समाजमे पुनर्विवाहक स्वीकार्यता एकटा प्रासंगिक विषय बनि गेल अछि। पुनर्विवाह केवल व्यक्तिगत जीवनक पुनर्निर्माणक उपाय नहि, बल्कि सामाजिक स्थिरताक आधार सेहो अछि। एहि बिषय पर विचार करबाक किछु प्रमुख कारण आ उपाय प्रस्तुत अछि:

१. वैवाहिक जीवनमे अनहोनीक स्थिति:

जीवन अनिश्चित अछि, आ समय-समय पर किछु दुखद घटनाक सामना करय पड़ैत अछि, जइमे पति या पत्नी केँ मृत्यु, तलाक, या अन्य कारण सँ अलग होबऽ पड़ैत अछि।

एहि स्थिति मे पुनर्विवाहक माध्यम सँ व्यक्ति केँ सामाजिक आ मानसिक सहारा भेटैत अछि।

२. समाजक संतुलन आ आर्थिक स्थिरता:

वैवाहिक जीवन सँ कएबार महिला आ पुरुष दुनूक जीवन पर आर्थिक आ मानसिक दबाव बढ़ैत अछि। पुनर्विवाह एहि दबाव केँ दूर कए, एक नव जीवन जियबाक अवसर प्रदान करैत अछि।

विशेष रूप सँ विधवा आ परित्यक्ता महिलाक आर्थिक आ सामाजिक स्थिति मजबूत होयबाक संभावना रहैत अछि।

३. संतानक उज्ज्वल भविष्य:

टूटल परिवारक संतति केँ पुनर्विवाह सँ एक नव परिवारक रूप भेटैत अछि, जेकरा सँ ओकरा शिक्षा, पालन-पोषण आ सामाजिक सुरक्षा सुनिश्चित होइत अछि।

४. आधुनिक दृष्टिकोणक अपनायब:

समाजक विकसित मानसिकता आ लिंग समानताक विचार पुनर्विवाह केँ सहज आ सामान्य बनबैत अछि।

मिथिलाक लोकसंस्कृति, जाहिमे करुणा आ सहयोगक परंपरा रहल अछि, ओ एहि तरहक सकारात्मक परिवर्तनक स्वागत करबाक लेल सक्षम अछि।

पुनर्विवाहक स्वीकार्यता आ प्रसारक उपाय:

क. शिक्षा आ जागरूकता:

पुनर्विवाहक लाभ आ आवश्यकता पर लोक केँ जागरूक करबाक लेल समाजिक आ शैक्षिक कार्यक्रम चलाबय।

ख. सकारात्मक उदाहरण:

समाजक प्रतिष्ठित लोक आ संस्थान द्वारा पुनर्विवाहक प्रोत्साहन करब।

ग. संस्कृतिक उत्सवक उपयोग:

विवाहक संस्कृतिक संग नव रीति-रिवाज आ आधुनिकता केँ जोड़बाक प्रयास कयल जा सकैत अछि।

घ. महिला सशक्तिकरण:

विधवा आ परित्यक्ता महिलाक पुनर्विवाह केँ विशेष समर्थन देल जाए, ताहि सँ ओ आत्मनिर्भर बनि सकय।

निष्कर्ष:

पुनर्विवाह आधुनिक मिथिला समाजक आवश्यकता अछि, जे न केवल व्यक्तिगत जीवनक सुधार करैत अछि, बल्कि एकटा स्वस्थ आ संतुलित समाजक निर्माण करबाक दिशा मे सहायक अछि। एहि परंपराक संवर्धनसँ मिथिला अपन प्राचीन गौरव केँ नव आयाम प्रदान क’ सकैत अछि।

  1. एहि विषय पर रचनात्मक चर्चा आ कार्य लेल मिथिलाक लोक आ नेतृत्व सबहक सहभागिता अनिवार्य अछि।

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