लेख विचार
प्रेषित: आभा झा
श्रोत: दहेज मुक्त मिथिला समूह
लेखनी के धार ,बृहस्पतिवार साप्ताहिक गतिविधि
विषय :- “ विद्यापतिकेँ योगदान मैथिली साहित्य आ संगीतक क्षेत्र मे
विद्यापत मैथिली साहित्यक एक महान कवि आ संत छलाह, जे एकटा ऐतिहासिक समयमे मैथिली भाषाक विकास आ समृद्धिमे महत्वपूर्ण योगदान देने छथि। हुनकर जीवनकाल लगभग १४वीं सदीक मध्यकालीन कालखंड सऽ मेल खाइत अछि। विद्यापतिक योगदान केनाइ सिर्फ साहित्य तक सीमित नहि रहल, बल्कि ओ संगीत आ संस्कृति क्षेत्रमे सेहो अनमोल योगदान देने छथि।
विद्यापति मुख्य रूप सऽ मैथिली काव्यक क्षेत्रमे प्रतिष्ठित छथि। हुनकर रचनावलीमे प्रमुख रूप सऽ पदावली, गीतावली आ वृत्तकाव्य समाहित अछि। ओ स्वयं एकटा महान भक्त कवि छलाह, आ हुनक अधिकांश रचनासभ भगवान श्री कृष्णक प्रेम आ भक्ति पर आधारित अछि। विद्यापति केर रचनासभ में राधा कृष्णक प्रेम कथा एक महत्वपूर्ण विषय रहल। ओ भगवान कृष्ण आ राधाक प्रेमक माध्यमसँ मानव हृदयमे प्रेम आ समर्पणक महत्व बतबैत छथि।
विद्यापतिकेँ काव्यमे संगीतक विशेष स्थान अछि। ओ मैथिली संगीतक शुरुआत करनिहार कवि मानल जाइत छथि। विद्यापतिक गीत सभ सामान्य जीवनक आस्था, प्रेम आ सौंदर्यकेँ सहज रूपमे व्यक्त करैत अछि। हुनक काव्य धारा आ संगीतकेँ संगति मैथिली गीतक अत्यंत समृद्ध परंपराक नींव बनल। विद्यापतिकेँ गीत सभक संगीत केवल सुननिहारकेँ मोहित नहि करैत, बल्कि ओकर आत्मामे दिव्य प्रेमक भाव सेहो उत्पन्न करैत अछि।
विद्यापतिकेँ गीत संगीतकेँ संग मिलि लोकजीवनक भाग बनि गेल अछि। एहि समयमे सेहो ओहि गीतसभकेँ गाओल जाइत अछि, जे मैथिली संगीत आ संस्कृतिकेँ प्रकट कऽ रहल अछि। ओ अपन काव्यक माधुर्य आ लयबद्धताक कारण संगीतकेँ समृद्धिमे योगदान देलथि।
विद्यापतिकेँ योगदान केवल साहित्य आ संगीत तक सीमित नहि छल। हुनकर विचार आ दर्शन परंपरागत मिथक, धर्म आ संस्कृतिकेँ आदान-प्रदानमे महत्वपूर्ण भूमिका निभबैत अछि। मैथिली साहित्य आ संगीतकेँ इतिहासमे विद्यापतिकेँ स्थान अतुलनीय अछि, आ ओ आजुक पीढ़ीक लेल एक प्रेरणा स्रोत छथि।
विद्यापतिकेँ योगदान मैथिली साहित्य, संगीत आ संस्कृतिमे अनमोल अछि, जे भविष्य में सेहो सजीव रहत। विद्यपति के साहित्य आ संगीतक योगदान मिथिलाक सांस्कृतिक इतिहासमे सदैव अमिट रहेत। ओ मैथिली भाषा, साहित्य आ संगीतकेँ संरक्षक आ प्रचारक छलाह। हुनक रचनामे ने केवल भक्ति आ प्रेमक गहनता, बल्कि मानवता, सामाजिकता आ जीवनक विभिन्न रंग देखल जाइत अछि। विद्यापतिे केँ योगदान मिथिलाक सांस्कृतिक विकास आ पहचानमे अतुलनीय रहल अछि।
आभा झा
गाजियाबाद