लेख विचार
प्रेषित: रिंकु झा
श्रोत: दहेज मुक्त मिथिला समूह
लेखनी के धार ,बृहस्पतिवार साप्ताहिक गतिविधि
विषय :- “वर्तमान समय मे पारिवारिक, सामाजिक वा आर्थिक क्षेत्र मे महिला केर भूमिका
विषय -आधुनिकता के चकाचौंध मे लुप्त भ रहल अछि संबध के महत्व
एक टा मनुष्य होय केर नाते जीवन मे सगा -संबधी आर रिश्ता -नाता के बहुत महत्व छय। बिना कोनो रिश्ता के मनुष्य ओहि सुखल वृक्ष के समान होई छय जेना हरल -भरल बगीचा मे बिना फुल,पात आर छाया के वृक्ष। रिश्ता कोनो भी होई चाहे माता -पिता के,भाई आर बहिन के वा पति-पत्नी के,दोस्त होई बा कोनो करीबी, सबके संग मनुष्य के एक,दोसर स भावना जुड़ल रहय छय।एक दोशर के संग खुशी आर गम बटला स खुशी आर बैढ जाई छै । संगे दुःख हल्लुक भय जाई छय। रिश्ता -नाता मनुष्य केँ मानसिक रूप सँ मजबूत आर दृढ़ संकल्पित बनाबै छय।एक दोसर के सहयोग आर बढ़ावा सँ मनुष्य एक सँ एक अकल्पनीय काज सब कय लै छैथ।
पहिले के समय मे मनुष्य अपना सगा -संबधी के सम्पर्क मे रहय छलैथ,एक दोसर के खुशी आर गम मे शामिल होई छलैथ ।एक दोसर के सहयोग करैछलैथ। संयुक्त परिवार के प्रथा छलै। एक दोसर के संग आपस मे मिली -जुली क रहय छलैथ। खेल -खेल मे संस्कार, ज्ञान आर लूरी -व्यवहार सीख लय छलैथ एक दोसरक संग रहैत आपसी स्नेह आर भाईचारा केर आंनद लय छलैथ।
आधुनिक जीवनशैली मे भागदौड़, बदलाव आर पाश्चात्य संस्कृति के बढ़ावा के कारण मनुष्य के जीवन मे रिस्ता के अहमियत घैट गेल।रेस के घोड़ा जेकां दौड़ैत मनुष्य आर सोसल मिडिया के प्रभाव संबंध के दिमक जंका खोखला कय देलक। मनुष्य सदिखन मशीन जंका चहुंओर भिन्न -भिन्न क्षेत्र मे व्यस्त रहय छैथ जेना आफिस, शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार आर मनोरंजन आदि। मनुष्य के अपनो लेल समय कम छैन्ह त रिस्तेदारी कि निभेता।सोच मे बदलाव सेहो भ गेल छय आब मनुष्य पहिले अपना लेल सोचय छैथ, अपना खुशी के पहिले महत्त्व दय छथिन।एक, दोसर के दखल- अंदाजी पसीने नहि करय छैथ। रोक-टोक मे रहब पसंद नही छैन्ह। स्वतंत्र जीवन जिवय चाहय छैथ ।एकल परिवार एकर जीवंत उदाहरण अछि। मनुष्य के भीतर जलन,लालच,क्रोध,घमंड आर बैमानी कुटि -कुटि कऽ भरल छय। एक दोसर के नीचा देखा अपना आप के महान साबित करब मनुष्य के प्रवृत्ति बनि चुकल छै। धैर्य आर समर्पण के भावना जेना खत्म भ चुकल छै।
पहिले लोक संबंध केँ महत्व दय छलय।रिश्ता मे मिठास छलय।आब त सहोदर तक के नहि छोड़य छैथ।एकर मुख्य कारण भेल मनुष्य के भागम भाग बला ज़िन्दगी जाहि मे ओ केवल एक दोसर के पाछू छोड़ि बेशी स बेशी कमाएब आर उंच्च आंकाक्षा के पूरा करय मे व्यस्त रहय छैथ।आब बच्चा सब ठीक स अपनो परिवार के लोक के नहीं चिन्हय छथिन कारण हम आंहा अपना निजी जीवन मे व्यस्त होवय के कारण किनको स परिचय के मौके नहीं दय छियैन।ने किनको कोनो काज मे शामिल होई छी ने किनको बजबय छी। छुट्टी मे गाम -घर जाए के बजाए हील स्टेशन घूमय छी। किटी पार्टी आर क्लब मे एन्जॉय करब । धैर अपना परिवार के लोक स भैर मुंह बातों नहीं करय छी । ईहे कारण छै कि रिश्ता -नाता के सांसक डोर हुक -हुक कय रहल अछि। जतेक जल्दी एकरा बचा लेब ओतेवे भविष्य के लेल ठीक रहत कारण एक टा समय एला पर रिस्ता के ज़रुरत परय छय । ईच्छा के अंत नहि छय अहि पाछू अपन जीवन व्यर्थ नहीं गवाऊं। एक टा गीत छय “अपने तो अपने होते हैं, बाकी सब सपने होते हैं”।