लेख विचार
प्रेषित: आभा झा
श्रोत: दहेज मुक्त मिथिला समूह
लेखनी के धार ,बृहस्पतिवार साप्ताहिक गतिविधि
विषय :– आधुनिकता में विलुप्त होइत पारिवारिक संबंध
आधुनिकताकेँ प्रभाव समाज पर हर क्षेत्रमे देखल जा रहल अछि, आ एकर प्रभाव विशेष रूपसँ पारिवारिक संबंध पर गहराई सँ पड़ल अछि। पारिवारिक संबंध, जे पहिने एक मजगूत सहायक ढांचा पर आधारित रहैत छल, आजुक समयमे धीरे-धीरे विलुप्त होइत जा रहल अछि।
पहिने के समयमे संयुक्त परिवारक प्रचलन रहैत छल। परिवारक सभ सदस्य एक-दोसरकेँ संग रहैत, सुख-दुख मे एक-दोसरकेँ सहारा बनैत छल। दादा-दादी, कका-काकी, आ अन्य संबंधिक सभ मिलि कऽ जीवनक हर परिस्थितिमे संग रहैत छल। मुदा, आधुनिकताकेँ संग, खास कऽ शहरीकरण आ तकनीकी विकासकेँ कारण, नाभिकीय परिवारक प्रथा बढ़ल अछि। युवा पीढ़ी आब अपन करियर आ व्यक्तिगत स्वतंत्रताकेँ प्रति बेसी आकर्षित भऽ रहल अछि, जेकरा कारण ओ अपन माता-पिता सऽ अलग रहनाइ पसंद करैत अछि।
ई बदलाव पारिवारिक संबंधमे दूरी आ अकेलापनकेँ भावनाकेँ जन्म दैत अछि। बच्चाकेँ बचपनमे अपन दादा-दादी या अन्य संबंधिककेँ संग बिताओल समयक अभाव होइत अछि, जेकरा कारण आजु सभ मे संबंधक मूल्यकेँ कमी आबि रहल अछि। बच्चा आब अपन सीमित परिवारक सदस्य, जाहिमे माता-पिता, संग समय बितबैत अछि, आ ओहिमें सेहो संवादक कमी देखल जा रहल अछि।
आधुनिकताकेँ संग संग, डिजिटल युगकेँ आगमन सेहो भऽ गेल अछि। तकनीक आ संचारक माध्यम सँ परिवारक सदस्य दूर रहिकय एक-दोसरसँ जुड़ि सकैत छथि। मुदा, ई जुड़ाव अक्सर सतही होइत अछि। भले ही लोक एक-दोसरकेँ फोटो आ अपडेट साझा करैत छथि, मुदा भावनात्मक स्तर पर जुड़ाव कम भऽ रहल अछि। संवादक कमी, आ आपसी समझकेँ अभाव, पारिवारिक संबंधकेँ कमजोर करैत अछि।
आधुनिकताकेँ कारण महिलाक स्थितिमे सेहो बदलाव आयल अछि। महिला सभ आब केवल घरेलू भूमिका तक सीमित नहि रहि गेल छथि, बल्कि ओ समाजमे सक्रिय भूमिका निभा रहल छथि। ई बदलाव पारिवारिक जिम्मेदारी मे सेहो बदलाव अनैत अछि। महिला आ पुरुष के बीचकेँ जिम्मेदारीकेँ बंटवारा, कतेक बेर पारिवारिक तनावकेँ कारण बनैत अछि।
आधुनिकताकेँ एहेन बदलाव सभ पारिवारिक संबंधकेँ विलुप्त करैत अछि। पहिनेकेँ मजगूत संबंध आ आपसी सहयोगक भावना आब धीरे-धीरे समाप्त भेल जा रहल अछि। युवा पीढ़ीमे परिवारक प्रति सम्मान आ जिम्मेदारीकेँ भावना कम भऽ रहल अछि। पारिवारिक मूल्यकेँ संरक्षण आ संचारकेँ बढ़ावा देब जरूरी अछि, ताकि संबंधमे आपकता बनल रहै।
अंत मे आधुनिकताकेँ कारण पारिवारिक संबंधमे होइत बदलाव केवल एक चुनौती नहि, बल्कि एक अवसर सेहो प्रस्तुत करैत अछि। हमरा सभकेँ चाही कि हम पारिवारिक मूल्यकेँ महत्वकेँ बूझि, आ ओहिके बना कऽ राखी। पारिवारिक संबंधक मजगूतीकेँ लेल संवाद, प्रेम, आ सहिष्णुताकेँ आवश्यकता अछि। केवल एहि सोचकेँ संग हम एक समृद्ध पारिवारिक जीवनक दिस बढ़ि सकैत छी। जय मिथिला, जय मैथिली।