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पाश्चात्य संस्कृति आ स्थानीय संस्कृति मे मैथिल पिसा रहल छैथ।

लेख विचार
प्रेषित: ममता झा
श्रोत: दहेज मुक्त मिथिला समूह
लेखनी के धार ,बृहस्पतिवार साप्ताहिक गतिविधि

विषय- आधुनिकता में हेराईत विभिन्न पारिवारिक सम्बन्ध

  1. आधुनिक समयक समस्या पर बहुत उत्तम विषय देलऊं बहिन ।
    गाम घरक पहिलुका विधान आब कोसों दूर अछि।
    बदलैत परिवारिक परिवेश मे देखावा बेसी अछि तऽ गलत प्रभाव पड़ी रहल अछि।

सबसं प्रभावशाली बात ई अछि कि पाश्चात्य संस्कृति आ स्थानीय संस्कृति मे मैथिल पिसा रहल छैथ।
“#हंस_चललैन_बगडा_के_चाइल_अपनों_चाइल_बिसरलैन”।
ई कहावत एकदम उपयुक्त अछि।
देखाऊंस मे सब प्रेम आ रीति रिवाज के सरबत बनाकऽ पीबी गेला।

बहुत गोटे पीढ़ी दर पीढ़ी नोकरी चाकरी के चक्कर मे बाहर रहि काज करैत छैथ।तें धिया पुता सब परिवार के सब सदस्य नई चिनहैत छैथ। बाहर गेनाई गलत नई अई।गलत अपन संबंध संग विचार के बिसरनाई अछि।

दोसर कारण एकल परिवारक समस्या अछि।बस मियां बीवी बच्चा।पहिने चाइर टा घर मे पूरा परिवार (बाबा,बाबी,काका काकी,पीसी,पितओत भाई बहिन,ऐल गेल सब ओतबे मे खुशी खुशी निर्वाह करैत रही। बच्चा आपस मे हिल मिल कऽ रहनाई सिखैत रहैथ।अब सब बच्चा के सेपरेट रूम चाहि।पहिनहुं लोग पढैत छल।आब त विचित्र हालत भ गेल अई। सबके एकांत आ असगर रह के आदत। बूढ़ बुजुर्ग के खोंखी लगले रहैत छैन ताहि वास्ते बच्चा परेशान।कहैत छैथ वृद्धाश्रम मे ध दियौन।

कोनो पाबैन तिहार आब असगरे मनबैत छैथ। पंडितजी के कोनो काजे नई। गूगल बाबा के कृपा सं सब ओही सं भ जाइत अछि।आब अहां कोनो बच्चा के किछु कहियो नई सकैत छी। दखलंदाज़ी पसंद नई छैन।
पहिने मोबाइल फोन नई छल त बुजुर्ग सं ज्ञानक बात सिखैत रहैथ।आब जरूरते नई छैन।तां संबंध के महत्व के बिसरने जा रहल छैथ।
माय बापूजी के सहो गलती अछि कि ओ गाम एनाई छोइर देने छैथ।सकल समाज में रहब तखन ने व्यवहारिकता आयत। बच्चा देखत तहने ने सिखत।
विचार मे बदलाव ई की हम केकरा सं कम छी जे हलकल चली जाऊ।ई सब भावना सर कुटुंब,संबंधी के एक दोसर सं दूर करैत अछि। संस्कार से हो बदलि रहल छैक परिवेश के अनुसार।
ई सब मूल कारण अछि जेइ चलते संबंध आब सिसकि रहल अछि। स्नेहिल भाव सिमेंटेक मकान जंका कठोर भ गेल अई। मिथिला के बोली में अपनत्व रहय,तां आब कियो मैथिली बाजय नई चाहैत छैथ। अंग्रेजी भाषा बाइज कऽ अपना के उच्च बुझेत छैक।
स्नेह आ मर्यादा सं भरल व्यवस्था रहै मिथिला में। आब सब धीरे धीरे समाप्त भेल जा रहल अछि।पहिने पंजीकार विवाह से पूर्व सिद्धांत करैत छलाह।आब त प्रेम विवाह, अंतर्जातीय विवाह भ रहल अछि त कि मरबा आ कोबर होयत।
होटल सं विवाह भेल, कनिया के दोसर दिन टाटा बाय बाय करि विदागरी।पहिने साल भरि पाबैन तिहार मनायल जाइत छल नव वर कनिया के।आब ई सब गौण भेल जा रहल अछि।सबसं पैघ गंभीर समस्या अछि बच्चा सबके जरूरत सं बेसी आजादी।आबो जागू नहि तँ संबंध निर्जीवता रूप धारण करि स्नेह मिलन खत्म भ जायत।
जखन चिनहब लोग के तखनहि ने संबंधक पालन करब।
जहिना पढ़ेनाई आ पाई कमेनाई जरूरी अछि तहिना कक्का, काकी, पीसी,पीसा, मौसी,मामा,ओत गेनाई आ संबंध बरकरार रखनाई जरूरी अछि। कोनो सोशल मीडिया दुख मे नई सेवा करत।ओ अप्पन परिवार के लोगे संग देत सब सुख दुख मे।तां आधुनिकता तजि क अप्पन मिथिला संस्मरण के याद करैत फेर सँ स्नेहक बौछार करू।
अखनो अबेर नहि भेल अछि।

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