
विचार-विमर्श
– अमर नाथ झा, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष, मिथिला राज्य निर्माण सेना
अखिल भारतीय मिथिला राज्य संघर्ष समिति दरभंगा-दिल्ली द्वारा आई 21 जुलाई 2015 क’ जंतर मंतर पर धरना आयोजित कयल गेल। विदित हो कि ई धरना पिछला कइएक दशक स’ लगातार आ अनवरत संसदक प्रत्येक सत्रक पहिल दिन राखल जाइत रहल अछि। संभवतः ई पहिल संस्था अछि जे कतेको बरख स’ बिना क्रम तोड़ने एहि प्रदर्शनके सुचारू रूप स’ बहाल रखने अछि जे प्रशंसनीय अछि। कोनो नियम बना ओकर निरंतर पालन करनाई अद्भुत उदाहरण अछि अनुशासन आ प्रतिबद्धताक। ई आसान नै होइत अछि। अभामिरासंस केर एहन मुश्किल प्रतिज्ञापालन धर्म अत्यंत प्रेरक अछि। हमरा सभकेँ सिखबाक लेल बहुत किछु एतबे में भेट जाइछ।
मिथिला राज्य आंदोलन के इतिहास सेहो आब दशकों पुरान भ गेल अछि आ एक टा पूरा पीढ़ी के मार्गदर्शन करैत आंदोलन में अग्रणी भूमिका निभावैत अपन जीवन समर्पित केनिहार आदरणीय श्री बैद्यनाथ चौधरी – बैजू बाबू सन युगपुरुष केर दृढ संकल्प आ हुनक मांजल मजबूत सेनानी के रूप में आदरणीय प्रोफेसर अमरेंद्र झा जीक समर्पण मिथिला राज्य आन्दोलनमें रीढ़क भूमिका आ संगहि श्री शिशिर झाजीक योजना कौशल ऐ प्रदर्शनक निरंतरता के द्योतक बुझना जाइछ।
विगत किछु वर्ष स’ हम जंतर मंतरक धरना में लगातार सहभागी रहलहुँ अछि। यथासाध्य सहयोग करैत छी मुदा आश्चर्य लगैत अछि जे आई तक कहियो अयोजकक दबाव नै देखल कहियो जे सहयोग करबे करू। ओ अपन रास्ता पर चलैत चलि रहल छथि, कार्यक्रम हेबे करतै भले कत्तहु स’ कोनो इंतज़ाम सहयोग हो अथवा नै। कार्यक्रम निश्चित छैक मुदा सर-सरंजाम अनिश्चित! तथापि कार्यक्रम होइछ आ सफल रहैछ।
मिथिला राज्य आंदोलन आब बेसी लम्बा समय ल’ रहल अछि आ जेहन स्थिति वर्तमान में चलि रहल अछि, लगैछ जे एखनो बड्ड दूरक कौड़ी अछि मिथिला राज्य। कारण आ ओकर प्रतिकार अहि आंदोलन स’ जुडल लगभग सब कियो जनैत छी। हमर सभक छोट छोट अहं पैघ स’ पैघ मुद्दा के गौण क’ दैत अछि आ गाछक छीप तक पहुँचै स’ पहिने ससरि क’ फेर नीचाँ खसि पड़ैत छी। प्रश्न अछि की सचमुच हमसब मिथिला राज्यक हेतु गंभीर छी? यदि हँ त’ की एत्ते पैघ यज्ञ में हम सब अपन अहं के आहुति द’ ऐ आंदोलन के आर मजगूत क’ सकैत छी?
हमरा सब में किछु ने किछु कमी भ’ सकैछ मुदा हमरा सभ में बहुतो रास नीक गुण सेहो अछि। की समाज हित आ मिथिला हित में अपन सकारात्मक पक्ष स’ नकारात्मक पक्ष के झाँपि आगू नै बढ़ि जेबाक चाही आब हमरा सभकें? सभ दिन की एक्के रोदना धेने रहब जे मैथिल एकता कहियो संभव नै? आ कत्ते दिन? देशक 65 प्रतिशत आबादी 35 बरख स’ कम के अछि त’ किछु कम वा बेसी यैह अनुपात मिथिलाक सेहो होयत। त’ की युवाक कान्ह पर बेसी जिम्मेवारी नै अछि? की ई संभव नै जे युवा जोश आ बड़-बुज़ुर्गक अनुभव के मिश्रित योग स’ एक बेर पूरा ताकत झोइंक देल जाय? की फेर सबटा अर्हता पूरा करितो मिथिला राज्य के पुनर्निर्माण में कोनो अड़चन रहि जाइछ?
उपरोक्त सब बात सब कियो पहिले स’ बुझैत छी। हम कोनो नव गप्प नै क’ रहल छी मुदा स्मरण करा रहल छी जे मिथिलाक माटि पर जिनक जन्म भेल हो ओ एत्तेक पैघ बुद्धि-विवेक स’ परिपूर्ण रहितो आई पिछड़ल कियैक? सोचै वाला बात! कछमच्छी लागल अछि जे एत्तेक आसान लक्ष्य हमरा सभक लेल एत्तेक दुरूह आ असंभव कियैक भेल जा रहल अछि! किछु एहने सन विचार मोन में रखने अझुका उद्बोधन कयल जंतर मंतर पर। हमर उद्बोधन वा अहि पोस्ट स’ किनको कोनो तरहक कष्ट भेल हो त’ पहिनहि क्षमाप्रार्थी छी।
जय मिथिला – जय मैथिली ।