लेख-विचार
– प्रवीण नारायण चौधरी
पिता सँ पुत्र धरि
आइ ‘काका’ (पिताजी) केँ फेर सँ मोन पाड़ि रहल छियनि । पितृपक्ष मे पितर प्रति सम्मोहन कोनो नव बात नहि छैक, लेकिन ताहू मे कारण जँ आध्यात्मिक उन्नति सँ जुड़ल हो त अपने आप विशेष भ’ जाइत छैक । पिताक तिथि त ओना सप्तमी दिन पड़ैत अछि, मुदा आइ भादव मासक द्वितीया तिथि पूज्य पिताक नित्य स्वाध्यायक सुन्दरतम् पुस्तक ‘कल्याण’ हमर सोझाँ पड़ल आ मोन भेल जे अपन आगामी पीढ़ी लेल ई सन्देश लिखी ।
हमरा ई अपन पिता सँ प्राप्त भेल । एकर मासिक प्रति आ विशेषांक – दुनू मे पिताक रूचि अत्यधिक छलन्हि । ओ नित्य पढ़थि आ महत्वपूर्ण विन्दु सब अपन डायरी मे लिखल करथि । बाल्यकाल मे एकर महत्ता बेसी नहि बुझि पेलहुँ, परञ्च पिता हमर आदर्श महापुरुष रहबाक कारण बाद मे स्वयं केर आध्यात्मिक रूचि सेहो विकसित होयबाक क्रम मे ‘कल्याण’ हमर जीवनक सुन्दरतम् सहारा बनल । ई जनतब हम अपन सन्तति व ओकर संगतुरिया लेल विशेष रूप सँ दैत एहि तरहक स्वाध्याय सँ स्वयं केँ जोड़बाक आग्रह करब ।
कल्याण ‘गागर मे सागर’ समान एक छोट ग्रन्थ बुझू ! कल्याण नित्य सम्भव हो त पढ़ू, एहि सँ हम मानव केर कल्याण सुनिश्चित होइत अछि । ओना त आध्यात्मिक – धार्मिक विषयवस्तु मे सभक रूचि सम्भव नहि, तथापि जिनका सब केँ अपन व्यस्त जीवन मे सँ कनिकबो समय भेटि जाय त ‘कल्याण’ निश्चित पढ़ू ।
प्रत्येक मास ‘गीता प्रेस’ द्वारा प्रकाशित कयल जाइछ । गीता प्रेस अपने आप मे युग-युग धरि स्मरण कयल जायवला पुनीत कार्य करैत आबि रहल अछि । धन्य गीता प्रेस जे हमरा सभक अनमोल वेद-वेदान्त केँ संरक्षित, सम्वर्धित आ प्रवर्धित करैत आबि रहल अछि । एकर आरम्भ कयनिहार व्यक्तित्व सब केँ सीधासीधी ईश्वरक अवतार कहि सकैत छी ।
हरेक घर मे ई पोथीक सब्सक्रिप्शन अवश्य ली । नगण्य खर्च मे उपलब्ध अछि । कोनो जरूरी नहि जे सिर्फ नवके अंक कीनी, जहिया कहियो के कोनो अंक हाथ मे उठा लेब आ नियमित ढंग सँ पढ़ि लेब, पढ़लाक बाद डायरी मे लिखि लेब, अथवा आइ-काल्हिक डायरी अपन सोशल मीडियाक वाल पर लिखिकय राखि लेब त बुझू अपन जीवन सफल बना लेलहुँ ।
हमर विशेष आग्रह अपन सब सन्तान व ओकर पीढ़ीक मानव समुदाय सँ – अहाँ सब बहुत बेसी भौतिकतावादी संसार मे रमण करय लागल छी, कृपया सावधान होउ । आध्यात्मिकता सँ यथाशीघ्र स्वयं केँ जोड़ि लिअ । अबेर भेला सँ केवल पश्चाताप शेष रहि जाइछ । बिल्कुल ओहिना जेना कोनो असाध्य रोग सँ ग्रसित रोगी मृत्युक प्रतीक्षा करैत शेष जीवन काहि काटिकय जिबैत अछि, तेहेन दुरावस्था मे स्वयं केँ कथमपि नहि पहुँचय देब अहाँ सब ।
सभक लेल पुनीत शुभकामना !!
हरिः हरः!!