अनपढ़ माय केर खेरहा जे संतान लेल जीवन दायिनी छथि

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अनुवाद लेख विचार
प्रेषित: ममता झा 
श्रोत: दहेज मुक्त मिथिला समूह
लेखनी के धार ,बृहस्पतिवार साप्ताहिक गतिविधि

विषय – स्वैच्छिक
शीर्षक – अनपढ़ माय

एकटा मध्यम वर्गीय परिवार के बच्चा 10 वीं के परीक्षा में
90% अंक प्राप्त कएलक ।
पिता जखन मार्कशीट देखलैन तऽ ओ खुशी-खुशी अप्पन पत्नी के कहैत छैथ….

” हे यैई सुनैत छी ….

आई खीर या मिठाई बना लिय किएक जे बऊआ,
स्कूल के परीक्षा मे 90% अंक प्राप्त कएलक मन गदगद अछि ।

माय भनसा घर सऽ दौड़ैत आबैत बजली ….सच मे..हमरो देखाऊ ने..
अप्पन बच्चाक कामयाबी के पर्ची देख कऽ खुशी सं आँइख भरि गेल माय के …
ई सीन देखैत देरी बच्चा बाजी ऊठल…

“की बाबूजी अहूँ हद केलऊ….

किनका रिजल्ट देखा रहल छी माय के ! ई की बुझती..
माँ कोनो पढ़ल-लिखल छैथ की ?
ओ तऽ अनपढ़ छैथ …”

अश्रुपुर्ण आँइख के आंचर सं पोछैत मां चुपचाप मिठाई बनाब लेल भनसा घर चइल गेली….

लेकिन ई बात पिता के सुनी क बड्ड अचम्भा लागल कि बऊआ ऐना केना बाइज देलैन माय के …

किछुए देर सोचला के बाद बाबूजी कहैत छैथ ठीक कहैत छे तू रे बऊआ , बिल्कुल सच छऊ तोहर बात…
माय तोहर अनपढ छऊ।
मुदा तू जखन गर्भ में रही तखन तोहर माय के दुध कनियो निक नई लागैत रहैन !
लेकिन,
तोरा खातिर ओ नौ मास तक प्रतिदिन दूध पिबैत रहैत तोरा स्वस्थ जन्म देब के लेल…।

ई सब त अनपढ़े माय ने कऽ सकैत अछि…

तोरा भोर में 7बजे स्कूल जाए के समय रहऊ त ओई लेल ओ भोर में पांच बजे उठिकऽ मनपसंद नाश्ता आर टिफिन बनाबैत छली….
जानैत छी कियाक….
कियाकि वो अनपढ़ छैथ तां ….

जखन अहाँ राइत में पढ़ैत-पढ़ैत सुईत जाईत रही तखन अहाँक अनपढ माय, अहाँक कॉपी आ किताब के
बस्ता में सरियाक राइख दैत रहैत।
फेर अहाँक शरीर पर ओढ़ना ओढेला के बाद ओ सुतैत रहैत…
जानैत छी कियाक …
कियाकि ओ अनपढ़ छैथ अहांक नजर में तां.. …

अहां जखन छोट रही तखन अहाँक मौन खराब रहैत छल … तखन वो राइत राइत भरि जागि कऽ अहाँक सेवा करैत छली। जानैत छी कियाक ….
कियाकि वो अनपढ़ छैथ तां …

अहाँके ब्रांडेड कपड़ा पहिराबैथ, अपने सालों तक दू तीन टा नूआ में रहैत छैथ एखनो तक ….
जानैत छी कियाक ……..
कियाकि वो सचमुच अनपढ़ छलैथ…

बेटा …. पढ़ल-लिखल लोग पहिने अप्पन स्वार्थ आ मतलब देखैत छैथ.. लेकिन अहाँक मां आई तक अपना लेल किछु नई केली,
कियाकि ओ अनपढ़ छैथ….

अप्पन पिता सं अतेक बात सुनिकऽ बच्चा फूइट फूइट कऽ कान लागल आ माय सं लिपटि कऽ बाजल….
“मां…हमरा त कागज पर 90% अंक भेटल अछि। अहाँ त हम्मर जीवन के 100% बनाब वाली पहिल शिक्षिका छी!

माँ हम अनाड़ी संग अज्ञानी छी ।हमरा माफ कऽ दिय।हमरा सं बहुत पैघ गलती भऽ गेल अहांक बुझ मे ।

हमरा आई 90% अंक भेटल अई, तखनो हम अशिक्षित छी।
अहाँके तऽ पीएचडी सं ऊपर के उच्च डिग्री अछि । आई हम अप्पन मां के अंदर छुपल डॉक्टर, शिक्षक, वकील, ड्रेस डिजाइनर, बेस्ट कुक, सबके दर्शन कऽ लेलऊ…
हमरा माफ कऽ दिय ने माँ..

माँ तुरंत अप्पन बेटा के छाती सं लगबैत कहैत छैथ ….
“पगला ! कानैत कियाक छै तूं,
आई तऽ खुशी के दिन अई !
चल हंसए…..”
अई तरहें दूलार मलार कय माय माथ चूमि लेलैन आ खूश भय आशीर्वाद देलैन,अहिना जीवनक सब क्षेत्र मे उन्नति करैत एकटा निक नागरिक बनू जाहि सँ परिवार,समाज,आ देश के तोरा पर गर्व होई। हमर आशीर्वाद सदिखन तोहर संग रहतह बउआ। माय तँ केवल ढाल होई छै संतान लेल चाहे पढल होई वा अनपढ़।