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पिता के अर्थ होइत अछि पालनहार

लेख विचार
प्रेषित: नीलम झा निवेधा
श्रोत: दहेज मुक्त मिथिला समूह
लेखनी के धार ,बृहस्पतिवार साप्ताहिक गतिविधि
विषय :- #पिताके_परिवारमे_महत्त्व

पिता आशा छथि पिताके रहैतमे नेनाके नञि
होइन निराशा,पिता संततिकें पालनहार।
पिता जोगावथि संस्कृतिके समाजमे
अप्पन पिता सँ नीक नेना सभहक संस्कार।।

जहिना लोक कहैत अछि माँ के लेल की लिखु, शब्द कम भ’ जाइत अछि तहिना पिताके लेल सेहो होइछ।
जौं माँ पृथ्वी त’ पिता आकाश होइत छथि।
माँ सृजनश्री त’ पिता छाहैर आ पालनहार होइत छथि।

पिता लंग गर्भाशय नहि ,मुदा बीज देनिहार पिता होइत छथि। ओ लोरी त’ नहि सुनबैत छथि मुदा डांट फटकार सँ नेनाकें खूम धिपाक कुन्दन जरूर बनबैत छथि। हुनका बिना कोनहुँ बच्चाक जीवन जापन पठन पाठन आगा बढ़नाइ असम्भव थीक। ओ त’ घरक मुखियाक रूपमे घरक चार बनि सतत घरक सभ भार अपना माथपर नेने रहैत छथि आ जौं ओ चार टूट लगैत अछि वा कोनहुँ दिश लड़खराइत अछि त’ बीचला खाम्भ बनि माँ ठार होइछ ।मुदा तैयो जौं चड़मड़ा जाइत अछि ओहि घर स्थिति परिस्थिति त’ पिता अपन मेहनतीके बल पर ठार करैत छथि ओ चार।
पिता बरकें गाछ सन होइत छथि। जतेक जैड़ मैटमे धसैत अछि ओतेक मजगूत होइत अछि। ओ जतेक पुरान होइत छथि ततेक हुनक गुणवत्ता अपन परिवार लेल बढ़ैत छैन। चतैर कए अप्पन डारी पातक छाँहमे समैट कए रखैत अछि अपन संतानके। माँके जखन कोनहुँ कष्ट होइत छैन त’ ओ काइन बाइज लैत छथि मुदा पिता त’ गुम रही सभ सहन करैत छथि आ हुनका मोनमे बस एतबे अबैत छनि जे हमरे परवरिशमे कतहु खोंट रहि गेल होएत।
बेटीकें जीवनमे ज्यों कुनू पुरुष सभसँ बेसी महत्वपूर्ण होइत छथि त’ ओ छथि पिता। बेटाके सभसँ बड़का मार्गदर्शक होइत छथि पिता। ईश्वर सँ त’ कियो साक्षात्कार नञि भेल अछि जगमे मुदा धरा पर साक्षात परमेश्वर होइत छथि पिता।पिता। ओ अपने कतबो मुश्किलमे रहैत छथि मुदा बच्चा सभकें कहता सभ ठीक भ’ जेतै, ईश्वर पर आस्था राखु। माँ आ पिता दुनू नेनाक लेल बराबर होइत छथिन। गृहस्थी चलेबामे दुनू गाड़ीक पहिया जेना संग-संग खिचैत रहैत छथिन अपन गृहस्थ जीवनकें।

 

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