गामक सुविधा बढ़ला पर लोक गाम मे रहबाक सभावना बनत

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लेख विचार
प्रेषित: ममता झा
श्रोत: दहेज मुक्त मिथिला समूह
#लेखनी_के_धार साप्ताहिक गतिविधि

विषय – आइ-काल्हि लोक गामक नीक सँ नीक लड़का सँ विवाह कियैक नहि करय चाहैत अछि
#कारण_आ_निवारण

भारत कृषि प्रधान देश अछि। खेती बाड़ी केनाई पहिने उत्तम काज मानल जाइत छल।आब कंसेप्ट में बदलाव आबि गेल। खेती कर वला के लोग कोनो मोजरे ने दैत छथि।ई सबस प्रमुख समस्या। दिल्ली में रहिक पाने दुकान कियाक ने करैथ ओ महान छैथ लेकिन अप्पन जमीन अप्पन सीमा पर रहि आराम सं गामक शुद्ध वातावरण में रहनाई पसंद नई छैन नवतुरिया के।शहर में चमक धमक त अइछे मुदा आब ग्रामों में कोनो तरहक असुविधा नई।

रोजगार, शिक्षा के लेल लोग पलायन भ रहल अछि। बहुत हद तक सहियो अछि कारण निक स्कूल में पढ़ब के लेल मोट पैसा चाहि। ओहि वास्ते आमदनी तगड़ा नई त एडमिशन नई होयत।ओहू स बेसी दुखक विषय कि गामक बच्चा के हीन दृष्टि सं देखनाई।

मतलब कि जिनका मनो रहैत छैन गाम में रह के लेल ओ बच्चा के भविष्य बनव के चलते शहर जाइए।

हालांकि ई कोनो कारण नई, पहिने के लोक गामक स्कूल में पढ़िए क आफिसर बनैत रहैथ। हम्मर बाबूजी, ससुर जी सब गामें में पढ़ला।आब कनि फोकस से हो अछि हम फलल्ला कालेज में पढबैत छी।

कहल गेल अई कि बच्चा के भविष्य माय बाप जेना बनेवाक कोशिश करथिन्ह ओहन सोच विचार के बनत।
एकटा कहावत अछि -: जनिमते लडिकवा अबिते बहुरिया के जे सिखायब शुरू में ओ सब दिन याद रहैया।

आब त बहुरिया पढल लिखल हाई एजुकेशन वाली रहैत छैथ।हुनकर प्रोफाइल हाई फाई रहैया त ओ गाम में कोना रहती।अई के लेल सरकार अगर ध्यान दैथ गामें गाम आफिस खोलवा दैथ तखन संभव भ सकैत अछि कि गामक लड़का स विवाह आ गामें में रहनाई।