– प्रवीण नारायण चौधरी
सीधे जनकपुर सँ विराटनगर घुरिकय…..
आबि गेलहुँ वापस जनकपुर सँ,
मोन धरि टाँगले अछि जनकपुर मे!
५-दिवसीय महाकुम्भ मे ३ दिना डुमकी लगा,
आयोजकक स्नेह आ सशक्त व्यवस्थापनक प्रेरणा लय,
अग्रज विद्वान् स्रष्टा आ विभिन्न राजनीतिक सशक्त व्यक्तित्व आ
सरस्वतीक अनेकों विशिष्ट विद्याधर कलाकार लोकनिक
प्रस्तुतिरूपी विलक्षणताक शुभ दर्शन प्रसाद पाबि
आबि गेल छी कर्मभूमि विराटनगर धर्मक्षेत्र मे!
पुछू जुनि समय कोना बितल –
ई जे बिति गेल से कहियो… सच्चे कहियो नहि बितत!
हृदय सँ आभार व्यक्त करब स्वयं जनकवंशी सन्तति सब सन जनकपुरवासी केँ,
अहाँ सिद्ध कय केँ देखा देलहुँ जे मिथिलाक लालित्य कतेक प्रभावशाली अछि!
भाषाक माधुर्य मे बहुते विखंडनकारीक अन्हेरक घमन्ड सँ कयल गेल अछि जहरक मिश्रण,
से जहर मारैत अछि पहिने विखंडनकारिये केँ,
मुदा अवघात करैत अछि समग्रतो केँ,
परेशान भ’ जाइछ भाषाक मिठास,
ताहि सब केँ चिरिकय प्रशस्त कयलहुँ सुमधुर सौहार्द्रता,
सहभागी बनेलहुँ स्वजन सब भाइ केँ वृहत्तर स्तर पर,
कि युवा, कि नेता, कि नारी, कि नर के नारायणत्व,
सब महत्वपूर्ण विषय रखलहुँ विमर्श केर,
जिम्मेदार लोक सब जिम्मेदारीक बात कयलनि स्वयं स्वीकार,
गछलनि करब काज – शिक्षा मे मातृभाषा आ सरकारी कामकाजहु मे,
सामर्थ्य अपन तखनहि बढ़त जेना मैथिली अपन विश्वप्रसिद्धि सँ प्रगतिशील बनाओत समाज केँ,
मैथिली सभक हृदयक भाषा थिकैक,
शालीनता आ आपेकता केँ दयवला सशक्त साधन थिकैक,
सोचनाय पहिने फेर बजनाय आ कयनाय
से मनसा वाचा ओ कर्मणा मे एकसमान बनेलहुँ,
विद्वानक संग बालवर्गक छात्र-छात्रा सँ
युवा, राजनेता, चिन्तक, विश्लेषक, समाजसेवी
विभिन्न जातीय संगठनक पूर्ण सहयोगक संग
खुब जोरदार स्वर मे ऐतिहासिक भूमि पर शास्त्रार्थ संग लोकरंजनाक परम्परा,
विश्वस्तरीय रंगोत्सव नाटक संग लोकगीत, पारम्परिक आ
आधुनिक गीत-संगीतक संग नृत्यक बेहतरीन प्रस्तुति सब,
गज्जब यंत्र सँ संचालित सारा बात-व्यवस्था संग
सामुहिक भोजनक सुन्दर इन्तजाम!
मुंह सँ निकलि रहल अछि “वाह! वाह!!”
से सब किछु बुझू जानकी स्वयं पूरा करैत छथि,
सब स्वयंसेवी युवा सब केँ छट्-छट् काज मे लागल देखि
नयन जुड़ाइत छल – सब जानकीदूत लागि रहल छल,
जानकीक सर्वाधिक प्रिय भक्त सज्जन अध्यक्ष जिबनाथ भाइजी,
ताहि पर सँ रमेश रंजन भाइजी, श्याम शशि भाइजी, धीरेन्द्र भाइजी,
अशोक दत्त भाइजी, नवीन मिश्र भाइजी, कुमार भाष्कर भाइ आ सम्वाद फाउन्डेशन टीम,
सन्तोष एक्ट, राजेश सक्सेना, सुनील मिश्र भाइजी आ मिनाप,
संग-संग रौनियार समाज संग समस्त सुरी समाज व व्याहुत समाज आ
कतेको जातीय संगठन समूहक सहकार्य करयवला नेतृत्वकर्ता भाइ-बन्धुगण,
अहाँ सब मोन पड़ि रहल छी,
अहाँ सभक दर्शन मानू प्रत्यक्ष जनकपरिवारक दर्शन समान भेल।
स्मृति मिश्रजी, पूनम मैथिल, पूनम मिश्रजी, मनिका झाजी, मन्दाकर्णजी आदि अनेको साक्षात् जानकीस्वरूपा सखी-बहिन लोकनि,
आदरणीया रूपा भाभी आ विभाजी सहित माननीया उद्योग-वाणीज्य तथा पर्यटन मंत्री सरिता यादवजी,
अनेकों माननीय लोकनि मे रामचन्द्रझा संग रामसरोजयादव, शत्रुघनमहतो, मेयर साहेब मनोज शाह भाइजी,
संचारकर्मी सहयोगी सज्जन सब मे सम्पूर्ण जनकपुरक सशक्त संचारकर्मी लोकनि,
सुजीतजी, सुमीतजी, अनिलजी, ध्रुवजी, अनिलकुमारकर्णजी, संजीवजी व साथी लोकनि,
एम्हर अनेकानेक विद्वान् कवि, अभियानी आ लेखक-साहित्यकार लोकनि,
एहेन विशद् सहभागिता छल जे पुछू जुनि!
एहि बेरक सारा काज लिखित दस्तावेज रूप मे सेहो आबि रहल अछि,
श्री रामरिझन यादवक सम्पादन-संकलन मे ‘मिथिला टाइम्स’ द्वारा ई काज आरम्भ कय देल गेल!
विषय आ वक्ता सब जे चयन कयल गेल से त एहेन ताज्जुब लागयवला भेल जे एकर जतेक प्रशंसा करब कम होयत,
किछु लोक पात्र-पात्रताक बात कतहु-कतहु उठौलनि अछि,
से कहि दी जे मिथिलाक माटि-पानि मे हम-अहाँ अपना केँ जतेक होशियार बुझैत छियैक,
ताहि सँ बहुते लोक २०-२१ छैक, लेकिन मौका भेटले पर कतेक लोक देखार भेल, कतेको लोक गुमनामे रहि गेल….
आमंत्रणक अपेक्षा बिना रखने एहि तरहक आयोजन सब मे स्वयं आयोजक सँ सम्पर्क करैत अपन भूमिका सब कियो ताकि सकैत छी,
केकरो कियो नहि रोकने अछि जे अपन प्रतिभाक बारे आयोजक केँ जानकारी करा सहभागिताक आवेदन दियए,
आवेदन प्राप्त लोक केँ जँ कतहु निरादर हो त सवाल ठाढ़ करू….
नहि त एक आयोजन के अपन किछु सोच आ सिद्धान्त होइत छैक….
ओ अपन सोच-सिद्धान्त अनुसार स्रोत व्यक्ति सभक खोज करतैक,
ओकरा जतेक लोक स्थानीय स्तर पर उपलब्ध भ’ जेतैक ततेक केँ पहिने पूछत,
तेकर बाद दोसर रेन्ज छैक स्थापित ब्रान्ड सभक…
ई स्थापित ब्रान्ड सब हरेक आयोजन मे भेटल करत,
ओ सब क्रीमो थिकैक आ अपन रुचि सँ अपन खर्च पर पहुँचिकय
आयोजन मे जरूरी स्थान पर भूमिका निभबैत आयोजनक गरिमा केँ बढ़बैत छैक,
ओकरे आकर्षण सँ स्थानीय वक्ता-विद्वान् एहि तरहक आयोजन मे भाग लेबय अबैत छैक,
तेँ दूर बैसिकय ठुनकि रहल छी जे हमरा नहि पुछलक… त नहि पुछबाक कारण पर सीधे आयोजक संस्था सँ बात करियौक….
फेसबुक पर अङ्गोरा ढारबाक जरूरत नहि,
कहियो अपने सोचू तेहेन आयोजन करय के जाहि मे कियो नहि छूटय….
मर्दक लाल होइ त देखाउ एहि तरहक सम्पूर्ण सहभागिता सहितक आयोजन कय केँ…
अरे भाइ, लोक सब जुड़ि रहल छैक, बढ़ि रहल छैक…
दायरा सेहो बढ़ि रहल छैक…
फेर कोन विषय पर के सब भाग लयकय कि बजलकैक से सब सुनियौक,
जँ ओकरा सँ नीक अहाँक पास हो त लेख लिखिकय ओकरा उजागर करू….
जे काज छय से करू…
खाली गपास्टिंग सँ किछु नहि होयत!
जनकपुर अदौकाल सँ जनक जेहेन प्रतापी
राजर्षि के राजधानी रहल छैक।
एतय सब दिन एक सँ एक विद्वान्
राजा जनकक दरबार मे आबि ज्ञान आ दर्शनक बात करथि।
आत्मविद्या प्रमुख विद्या – तेकरे आश्रयदाता राजा मैथिल।
त ‘मैथिली विकास कोष’ आ एकर सम्पूर्ण आयोजन समिति, कार्यसमिति…
सहयोग मे लगभग ५०० गोटेक अपूर्व सहभागिता आ सम्मानक दृश्य,
आँखि पर एखनहुँ नाचिये रहल अछि।
क्रमशः……
हरिः हरः!!