लक्ष्मीनाथ गोसाईं – एक महान् प्रेरणापुरुष

विचार

– प्रवीण नारायण चौधरी

लक्ष्मीनाथ गोसाईं – हमरा लेल एक महान प्रेरणापुरुष


हमर गाम मे गोसाईं बाबाक पदार्पण भेल छल। पुरखाजन केँ प्रेरणा प्रदान करैत श्री सीताराम भगवानक मन्दिरक स्थापना कयल जेबाक इतिहास अछि। मन्दिर आइ धरि जिबन्त आ आकर्षक ढंग सँ लोक लेल दर्शनीय अछि। बीच मे मूर्ति चोरी घटना उपरान्त नव मूर्तिक प्राण-प्रतिष्ठा कयल गेल अछि।

आइ गोसाईं बाबा पर किनको लिखल लेख श्रीहर्ष आचार्य साझा कएने रहथि। बहुते रास नव बात पढ़य लेल भेटल। लेकिन मृत्यु सम्बन्धी सूचना सही नहि लागल। कारण मृत्यु सम्बन्धी लोककथा जे फैटकी कुटी (मधेपुर प्रखन्ड, मधुबनी) जे हमर गाम सँ मात्र ५ किलोमीटरक दूरी पर कमला-बलान नदीक पूबरिया बान्हक कात मे अवस्थित अछि, ताहि ठाम बच्चे उमेर सँ हुनकर समाधिस्थल देखैत छी आ तहिना गोसाईं बाबाक अनेकानेक लोकप्रचलित कथा सब सुनैत आबि रहल छी। ओ हमर बालमन सँ युवामन होइत आजीवन एक महान प्रेरणापुरुष छथि। महापुरुषक कृपा सँ हमरा सब जीवन मे अनेकों चमत्कार घटित होइत रहबाक अनुभव करैत छी। गोसाईं बाबाक समाधि पर माथा टेकैत रहला सँ बाद मे बनगांव, देवना, महिषी, कारू-खिरहर स्थान, आदिक दर्शन सेहो भेल।

अधिकतर पढ़ल-लिखल लेख सभक आधार पर मात्र जीवनी लिखि देल जाइत अछि, एहि सँ महापुरुषहु लोकनिक सम्बन्ध मे पाठक भ्रमित होइत अछि। विभिन्न लेखकक अलग-अलग सूचना सँ भ्रम होयब स्वाभाविक छैक। उपरोक्त चर्चित लेख मे हुनक मृत्यु सम्बन्धी सूचना सही नहि लागल हमरा।

वर्तमान मधुबनी जिलाक मधेपुर प्रखन्ड मे फैटकी कुटी – जे कमला-बलानक कात मे अवस्थित प्राचीन गाम अछि, ताहि ठाम ओ समाधि प्राप्त कएने रहथि। ओतहि हुनक समाधि स्थापित अछि, वैह ठाम अन्तिम क्रिया सेहो कय देल गेल छलन्हि हुनकर। एहि सन्दर्भ मे सेहो बहुत रास किम्वदन्ति सब प्रचलित अछि। हुनकर अनुयायी सब हुनक समाधि सम्बन्धी कथन केँ ठीक सँ नहि बुझि पेबाक कारण आ समाधिस्थ शरीर केँ मृत शरीर बुझि अन्त मे दाह क्रिया कय देबाक बहुत प्रसिद्ध लोककथा कहल-सुनल जाइत अछि। हमरा विचार सँ महापुरुष लक्ष्मीनाथ गोसाईं केर जीवन, चरित्र, साहित्य आ उपदेश सब केँ आर गहींरता सँ संयोजन करैत लेखन करब आवश्यक अछि।

श्री लक्ष्मीनाथ गोसाईं केर भ्रमण क्षेत्र सेहो बहुत पैघ भेलन्हि। स्वयं एक पैघ भजनानन्दी आ हजारों निर्गुण व अपन इष्टदेव प्रति समर्पित कतेको कीर्तन-गीत के रचयिता भेलथि – भ्रमणक समय रातिक निवास जतय कतहु करथि, ओहिठाम लोक सब केँ भगवन्नाम जप केर महत्व, योग-साधनाक महत्व, कीर्तनक महत्व, मठ-मन्दिर मे सेवादानक महत्व, मठ-मन्दिर आ पोखरि खुनाकय आमजनक हित-परोपकार केर महत्व आदि पर सुन्दर आ प्रेरणास्पद उपदेश देल करथि। कतेको ठाम हुनकहि प्रेरणा पर प्रभु श्री सीताराम भगवानक मन्दिर, लक्ष्मीनारायण भगवानक मन्दिर, राधेकृष्ण भगवानक मन्दिर – आ ताहि संग-संग ग्रामीण आस्था मे रहल अन्य देवी-देवताक आराधना लेल बनल सभ्य-सौम्य मन्दिर केर स्थापनाक पाछू गोसाईं बाबाक प्रेरणा मानल जाइत अछि। हमर मूल ग्राम कुर्सों, दरभंगा मे पर्यन्त बाबाक प्रेरणा सँ हमरहि पुरखाजन श्री सीताराम भगवान मन्दिरक स्थापना कयलनि जे आइ धरि अपन प्रखर रूप मे जिवन्त अछि। फैटकी कुटी सँ मात्र ५ किलोमीटर के दूरी पर अवस्थित अछि हमर गाम।

कहल जाइछ जे बाबा जखन आबथि, हुनका संग कम सँ १००-२०० अनुयायी-भगत आ विशेष शब्द ‘सरबा’ जे बाबा दुलारे अपन प्रियजन केँ पुकारू नाम रूप मे प्रयोग करथि, से सब रहैत छलन्हि। रातिक निवासक्रम मे भण्डारा भोज राखल जाइत छल, सैकड़ों साधु-सन्त संग विशाल समागम होइत छल आ झमटगर कीर्तन होइत छल। हालहि बनगाँव (सहरसा) के बगलहि मे अवस्थित देवना बाणेश्वरनाथ महादेव एवं बनदेवी दुर्गाक प्रसिद्ध मन्दिर भ्रमण पर देखलहुँ जे गोसाईं बाबा कृत् साहित्य पर आधारित कीर्तन कतेक झमटगर प्रस्तुत कयल जाइछ भक्तजन सब द्वारा। अहाँ कोनो सोम दिन जँ पहुँचि जायब त देखब ओहि कीर्तनक अद्भुत रूप, बिसरि जायब अपन सारा संसार आ डूबि जायब भक्ति मे। गोसाईं बाबाक भ्रमण क्षेत्र बड विशाल छलन्हि।

भारत संग-संग नेपालहु हुनकर भ्रमण क्षेत्र रहलनि। बाबा पशुपतिनाथ केर दर्शन लेल पर्यन्त ओ पहुँचल रहथि आ ओहि समय नेपालक राजा केँ अपन चमत्कारिक कर्तब सब देखौने रहथि। कहबी त अछि जे चुनौती दय देने रहथिन जे हुनका लेल कोनो जेल (बन्धन) पूरे संसार मे नहि बनि सकल अछि। आर तेहने किछु चमत्कार सेहो देखौने रहथि। एक बेर तहिना फैटकी कुटी सँ ठेंगहा धरि बाढ़िक पानि सँ लबालब कमला-बलान टपेबाक लेल कोनो नाविक हुनका सँ आनाकानी कयलकनि ताहि पर अपन योगसिद्धि सँ ओ कनीकाल आराधना करैत अपना सहित सब अनुयायी लोकनि केँ पैदले टपा देलनि। बाद मे नाविक कतबो माफी मंगलकनि, लेकिन ओहि स्थान पर सब दिन पानि एतबे रहय लागल जे लोक केँ नाव चढ़िकय टपय के जरुरते नहि पड़ैक।

हम पुनः कहय चाहब जे लक्ष्मीनाथ गोसाईं पर गम्भीरता आ गहींरता सँ काज करैत हुनक पूरा वास्तविक जीवनी सोझाँ आनब आवश्यक अछि।

हरिः हरः!!