लेख
प्रेषित : रिंकु झा
लेखनी के धार अन्तर्गत
विषय -सादा जीवन उच्च विचार,
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जीवन जीनाई एक टा कला छियै।ई कला सब प्राणी नहीं जनै अछि।मात्र मनुष्य एक टा ऐहन प्राणी होईत अछि जिनका मस्तिष्क मे कोनो तरहक नीक -बेजाए के विचार आबय छैन्ह ।आ ओहि विचार पर भूत -वर्तमान के बारे मे सोचि दीर्घकाल धरि टिकल रहै छैथ। विचार मनुष्य के भीतर बहुत पैघ ताकतवर होई छै।ऐहन एक टा गुण जाहि के बल पर ओ संसार मे बहुत किछु हासिल करै छैथ।संसार मे किछू लोक एहन होई छैथ जे भौतिक सुख के जीवन जीवय के उद्देश्य मानि लै छैथ।जखन कि किछु लोक सीधा -सादा जीवन जीवय मे विश्वास करै छैथ।सादा जीवन यानी सादगी स भरल सरल जीवन।जे सुख शांति स भरल सुंदर जीवन होई छै।अहि मे तन आर मन दुनू सुंदर रहै छै। सुंदर आर शांत मोन मे नीक आर उच्च विचार आबै छै।सरल जीवन जीवय बला व्यक्ति के अंदर कोनो तरहक लोभ,लालच, आडंबर या प्रदर्शन के भावना नहीं रहै छै। बनावटीपन मे विश्वास नै करै छैथ अहि तरहक व्यक्ति। भौतिक सुख के लालसा हुनका प्रभावित नहीं कय सकैया। जीवनोपयोगी साधन मात्र स हुनकर निर्वाह भए जाइ छैन। अहि गुण कें धारण केनहार अमुल्य धरोहर ऋषि मुनि,साधु -संत, महापुरुष आदि सब सादा जीवन, उच्च विचार के संग जीवय लेल भारतीय संस्कृति के पहचान छैथ। जेना, महात्मा गांधी, रामकृष्ण परमहंस, स्वामी दयानंद सरस्वती,लाल बहादुर शास्त्री सन महापुरुष ।
आधुनिक युग प्रदर्शनक वा कृत्रिम युग बनी गेल अछि।तड़क -भड़क के विशेष महत्व देल जैत अछि।घर स लकऽ बाहर तक हर एक तरहक जीवन उपयोगी चिज मे कपड़ा स ल कए खान -पान वा रहन -सहन सब चिज मे प्रदर्शन वा चमक -दमक के बोलबाला छै। ओना रहन-सहन के सेहो किछु प्रभाव परै छै जीवन पर।सादा जीवन जीवय बला कें हीन दृष्टिए सौं देखल जाई छै।लोक के मोन मे लालच विषधर जकां फन फैला कऽ बैसल छै।जेकर परिणाम स्वरूप समस्त समाज मे कुप्रथा , भ्रष्टाचार,नशा,मार -धार,खुन -खराबी अराजकता आओर अशांति चारु तरफ पसरल अछि। लेशमात्र भइयारी नहीं रही गेल छै समाज मे । एक -दोसर स ककरो लगाव नहीं रही गेलैन,लोक -लाज , के विचार रहिये ने गेल छै। दिखावा के दुनियां मे रहय छैथ लोक सब ।जेकर पाछाँ लाखोक संपति बर्बाद क लै छैथ।सोशल मीडिया के युग छै,जतय लोक अपन जीवन के हरेक क्रिया -कलाप के समाज में शो करब पशंद करै छैथ।वो देखावै चाहै छैथ कि वो कते खुश छैथ जिवन मे भले सच्चाई स कोषो दूर रहैथ । हमेशा बाहर स खुश देखाऽ दै बला व्यक्ति अंदरो स प्रसन्न होथि ऐहन जरुरी नहीं छै। मोनक विचारे मात्र अहि दुनिया के जाल मे फसय स बचा सकैत अछि मनुष्य के। विचार के बहुत पैघ हाथ छै मनुख के उठावै मे वा खसाबइ मे । ओना अखन के समय मे अहि तरहक जीवन लोक पसीन करै छैथ देखावा के ।कारण सरल जीवन जीवय बला के लोक सुस्त आर बोरिंग मानय छथिन।ऐहन परिवेश मे रहब लोक पसीन नहीं करै छैथ। दिखावा करब समयक मांग छै।कियो इंसान सरल जीवन जीवय मे रुचि नहीं राखै छैथ। भले कम लोक भेटत जे सरल जीवन व्यतीत करै छैथ से परंतु भेटत अवश्य । मूदा अहिए तरहक जीवन मनुष्य के सफलताक सीढ़ी पर पहुंचाबै छै। ताहि हेतु प्रत्येक व्यक्ति के सादा जीवन उच्च विचारक संग जीवन बिताबक चाहि।लालच आर भौतिक सुख, सुविधा के उपर नियंत्रण कए सांसारिक साधन के मिली,बांटि कए भोग करबाक चाही। मानव कल्याण करवाक चाही । अपना संग -संग दोसरो के लेल सोचब आवश्यक कर्तव्य हेबाक चाही । यैह भेल सादा जीवन उच्च विचार।