विदेशक आदति अपनौने सब सादा जीवन भेल निपत्ता

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लेख

प्रेषित : राखी झा

लेखनी क धार
सादा जीवन उच्च विचार बहुत नीक विषय अछि ।पहिले जमाना मे रहै कि दाल रोटी खाउ हरि गुण गाउ ,आब त जेना हर बात मे चकाचौंध क बात भ गेल अछि।
पहिले एक बुसर्ट मे पुरा कालेज के पढाय भ जाय ।आब पढाय छुटल आ छूछे फैशन भ गेल ।
हमर देश के महापुरूष सब अप्पन जीवन एतेक सादगी मे बितेलैथ ।महात्मागांधी होयत, वा वलभ्भ भाई पटेल या अब्दुल कलाम होथि सब क सादगी भरल जीवन सदा प्रेरणा दैत रहल ।पहिले क़हबी कहैत छल लोक जे जतेक चादर होयत ओतबे पैर पसारू ।लेकिन आब भ गेल कि चादर छोट अछि त दुचार टा जोरी दियौ ।मिलजुली क काज चलाव मे बहुत हीनभावना बुझना जाय छैन ।पहिले किनको घर मे छोट बच्चा क जन्म होई छल त सब मिलजुल क सब निमेरा क लैत छली ।आब यदि ककरो मदति लेल पुछि लियौ त कहति कि कियैक पुछलक हमरा कि कथू के कमी अछि ?आब त इंसानक संग सामान सब सेहो हाईटेक भ गेल अछि ।भौतिकता युगमे टेलीविजन स्मार्ट , गारी स्मार्ट सब चीज मे दिखाबटी ।जाहे बियाह दान होये या मुरन,उपनैन,सब मे दिखावा ।पहिले फाटल कपड़ा गरीबी क पहचान छल आब त वैह फैसनक पहचान अछि ।पहिले मरुआ चिक्कस गरीबी क पहचान छल आब घुमफिरी कऽ वापस आयल अछि हेल्दी आटा क नाम पर ।आधुनिक बन क चक्कर मे हाम सब अप्पन सादा जीबन के त्याग क पशिचमी आदत अपना रहल छि ।