लेख
प्रेषित : आभा झा
लेखनीकेँ धार –
” सादा जीवन उच्च विचार तऽ आब गौण भेल जा रहल छैक देखावटी केर फेरीमे “-
सादा जीवन उच्च विचार भारतीय संस्कृतिक मूल आधार रहल अछि, मुदा आजु पश्चिमी सभ्यताक प्रभाव हमरा सभपर एहेन रंग जमेने अछि कि हम प्राचीन संस्कृति आ आचार-विचारकेँ बिसरैत जा रहल छी। अपन आवश्यकता एतेक बढ़ा चुकल छी कि ओकरा पूरा करयकेँ लेल जी-तोड़ मेहनत कयलाक बादो हम एहि जरूरतकेँ पूरा नहिं कऽ पाबि रहल छी। हम बेसी देखावाकेँ जीवन व्यतीत कऽ रहल छी। आइ सूर्य, चंद्रमा
अग्नि, वर्षा जेहेन प्राकृतिक आ कुदरती रचनाकेँ सेहो कृत्रिम बना देने छैक!!! एतबे टा नहिं एक कृत्रिम रोबोट मानव सेहो बना देने छैक बस आब एक कमी रहि गेल अछि जे मानवीय मृत शरीरमे जान फुकनाइ आ कृत्रिम प्राकृतिक बच्चा प्रौद्योगिककेँ तकनीकी पर बना कऽ ओहिमे जान फुकि कऽ जन्म देनाइ रहि गेल छैक। धन, माया, नाम, शोहरतक खातिर मानव अपन चौबीस घंटा ओहिमे लगा देने अछि जाहिमे अपन जीवनकेँ भारी तनावग्रस्तकेँ समंदरमे झोंकी देने अछि। परंच संतुष्टि तइयो नहिं भेटत कियैकि ई मार्ग एहेन अछि कि पथ पर फिसरैत ही चलल जाइत अछि आ अंतिम क्षणमे सादा आ सहज जीवन जीबैकेँ याद अबैत अछि ताबे तक सभ किछु हाथसँ निकलि जाइत छैक।
हमर वर्तमान पीढ़ी बेसीतर स्मार्ट सोच, स्मार्ट रहन-सहन पर विश्वास करैत अछि। ई स्मार्टनेसकेँ युग अछि, मिथक बनाम वास्तविकताक बीच काफी भ्रमित करय वाला लड़ाई। आब हम ( दुनिया ) स्मार्टफोन/ स्मार्ट उपकरणक उपयोग करैत छी, अपना आपके स्मार्ट देखबैकेँ लेल तैयार करैत छी, लोककेँ प्रभावित करयकेँ लेल बात करैत छी। ऐना लगैत अछि कि दुनिया ओहि मंत्र पर चलि रहल अछि। एहि सभ दौड़मे हमरा स्वयंकेँ दिखावा कयने बिना आ स्मार्ट समयक गुलाम बनेने बिना अपन मौलिकता बना कऽ राखयकेँ जरूरत अछि। हम उच्च विचारक संग उच्च जीवन या एकर विपरीत जेकां संस्कृतिक आदत डालि रहल छी। आजु जिंदगी स्मार्टनेस नामक टैगकेँ संग जीबैत अछि।
मनुष्यक जीवनमे ओकर विचारक बहुत पैघ योगदान होइत छैक। ओकर विचार ही ओकरा चुनाव करयकेँ समझ दैत अछि आ मनुष्यक चुनाव ही ई निर्धारित करैत अछि कि ओकर लक्ष्य कि छैक? या ओ आगू अपन जीवनमे कोन रस्ता पर चलत? विचार मनुष्यकेँ सबसँ पैघ ताकत छैक, जे ओकरा बाकी सभसँ अलग व खास बनबैत छैक।
विश्वमे एहेन बहुत रास महापुरुष भेल छथि, जे एहि बातकेँ अपन जीवनमे उतारि कऽ अपना आपके हमेशाक लेल अमर कऽ देलनि। जेना – महात्मा गांधी, सुभाषचंद्र बोस, भगत सिंह, भगवान बुद्ध, रवीन्द्रनाथ टैगोर आदि कतेको अनगिनत नाम अछि, जे एहि सादा जीवन उच्च विचारकेँ अपन जीवनमे अपनेला आ सफल भेलाह।
आजु एहि दुनियामे समय बहुत तेजीसँ भागि रहल अछि।
लोक आंतरिक सुखकेँ छोड़ि कऽ सिर्फ बाहरी सुखक दिस भागि रहल अछि। एहि कारणसँ लोक बड्ड एसगर भऽ गेल अछि। हुनक सोशल मीडियामे तऽ लाखों मित्र छैन्ह जखन कि, असल जिनगीमे नै के बराबर। ताहि दुवारे ओ अपन बेसीतर समय सोशल मीडिया पर खर्च करैत छथि। जाहिसँ कतेक बेर हुनका गंभीर समस्याक सामना करय पड़ैत छैन्ह।
एक समय छल जखन लोक बिना कोनो देखावाकेँ एक-दोसरक मदद करयकेँ लेल तैयार रहैत छल। मुदा आजुक युग तऽ पूरा दिखावा पर टिकल अछि। कनिक बेसी पाई भऽ गेला पर घमंड आबि जाइत छैक जखन कि हुनक विचार निम्न कोटिकेँ होइत छैन्ह। दिखावाकेँ कारण ओ नहिं जानि कतेको खर्चा करैत छथि जेकर बादमे हुनका खामियाजा भरय पड़ैत छैन्ह।
” सादा जीवन उच्च विचार ” ई कहावत हमरा एहि बातक लेल प्रोत्साहित करैत अछि कि हम अपन जीवनकेँ समृद्धकेँ बजाय बेसी सार्थक बनाबी।