लेख
– प्रवीण नारायण चौधरी
विराटनगर टा मे एना आ कि आरो ठाम
शिक्षक आ शिक्षालय कमजोर विद्यार्थी प्रति गैरजिम्मेवार अछि त?
आइ सँ ३० वर्ष पहिने अंग्रेजी माध्यमक बोर्डिंग स्कूल सब मे शिक्षण पेशा मे काज कएने छी आ ताहि समय सँ छात्र मनोविज्ञान नीक सँ बुझबाक अनुभव अछि। एहि निजी अनुभव सँ हमरा वर्तमान पीढ़ीक छात्रछात्रा लोकनिक अवस्था एकदम नीचाँ खसि गेल जेकाँ बुझाइत अछि। पहिनुका विद्यार्थी सभक अनुशासित आ नियमित जीवनशैली सँ एखुनका पीढीक विद्यार्थी सब मे बड पैघ ह्रास आबि गेल अनुभूति भ रहल अछि।
हमरा लगैत अछि जे पहिने जेकाँ चुस्त-दुरुस्त व्यवस्थापन आ जिम्मेदारीपूर्ण शिक्षण एखुनका विद्यालय सब मे नहि अछि आ एहने हाल रहत त कहियो भइयो नहि सकैत अछि। विद्यार्थी द्वारा कयल जायवला अथवा कयल गेल गृहकार्य आ कक्षाकार्य सब पर आजुक शिक्षक लोकनि ईमानदारी सँ मूल्यांकन नहि करैत छथि। खाली परीक्षा मे लिखल गेल, देल गेल जबाबक आधार पर विद्यार्थी सब केँ कक्षा-प्रोन्नति द’ देनाय मात्र सँ कर्तव्य पूरा होयबाक विद्यमानता अछि। विद्यालय प्रशासनक सेहो जबाबदेही एतबे मात्र अछि से बुझल जा रहल अछि। एहि तरहक व्यवस्थापन आ पद्धति विद्यार्थी लोकनिक भविष्य बिगाड़य मे सहयोग पहुँचा रहल अनुभूति भ’ रहल अछि।
शिक्षके विद्यार्थीक समग्र विकासक बुनियाद केँ मजबूत बनबैत छथि। विद्यालय मे विद्यार्थीक कमी-कमजोरी आ मुख्य कर्तव्य पढाई प्रति कमी या लापरवाही आदिक सही आकलन नहि कयल जा सकल त ओकर समूचा जीवनहि पर गम्भीर असर पड़त।
हमर समय मे प्रिन्सिपल केर शिक्षक द्वारा कयल जा रहल सम्पूर्ण गतिविधि उपर सिस्टमैटिक नियंत्रण होइत छल। जेना वर्ग-शिक्षक (क्लासटीचर) केर रूप मे अपन वर्ग (क्लास) केर प्रत्येक विद्यार्थीक विभिन्न शैक्षिक (एकेडमिक) क्रियाकलाप उपर नजरि रखनाय आ फेर वर्ग-शिक्षक उपर खण्ड-प्रमुख (सेक्शन इन्चार्ज) द्वारा पुनर्जांच (क्रौस चेक), आ पुनः प्रिन्सिपल केर मेज (टेबल) पर सभक कार्य (शिक्षक, वर्ग-शिक्षक, खण्ड प्रमुख आ विद्यार्थी सभक कयल गेल क्लासवर्क्स, होमवर्क्स तथा डायरी-लेखन सहित) केर जाँच कयल जाइत छल। विद्यार्थी द्वारा निर्धारित दिनचर्या (शेड्युल्ड रूटीन) अनुसारक कक्षा आ विषय सभक कक्षाकार्य-गृहकार्य (क्लासवर्क-होमवर्क) डायरी मे लिखल गेल अथवा नहि, सम्बन्धित शिक्षक लोकनि द्वारा लिखायल गेल – करायल गेल कक्षाकार्य आ घर सँ कय केँ आनय लेल कहल गेल गृहकार्य प्रत्येक विद्यार्थी डायरी आर नोटबुक मे लिखलक-कयलक, सम्बन्धित विषय केर अभ्यास-पुस्तिका मे सेहो लिखलक-कयलक, ओ सब सही आ समुचित भेल या नहि, ई सब बात जाँच कयल जाइत छल। यानि कि प्रत्येक दिनक प्रत्येक घन्टी अनुसारक कक्षाकार्य-गृहकार्य प्रत्येक विद्यार्थी द्वारा कयल गेल आ सम्बन्धित शिक्षक सेहो जिम्मेदारीक संग ओ सबटा कयलगेल कार्य सभक जाँच आ मूल्यांकन कयलनि, तत्पश्चात् डायरी आ अभ्यास पुस्तिका सब मे समुचित टिप्पणी (रिमार्क्स) लिखलनि – से सब बात बड़ा कड़ाई सँ उपरका व्यवस्थापन पक्ष द्वारा जाँच कयल जाइत छल। ‘फेर सँ कय केँ ला’ या ‘सुधार कर’ आदि जेहेन निर्देशन, तेकर बाद फेर ओ काज ओ विद्यार्थी सब कयलक या नहि कयलक, कयलक त कतेक ठीक, कतेक कमी-कमजोरी रहि गेलैक, से सब किछु लेखा-जोखा करब अनिवार्य आर आवश्यक होइत छलैक।
जँ कोनो विद्यार्थी बेर-बेर गलती दोहराबैत अछि त समुचित दण्ड देबाक प्रचलन सेहो रहय। एना विद्यार्थी सभक दैनिकी केर जाँच शिक्षक लोकनिक कार्य-गतिविधि, ताहि पर पुनः सेक्शन इनचार्ज केर जाँच, प्रिन्सिपल स्वयंद्वारा पुनर्जांच करबाक व्यवस्था छल। लेकिन, आइ-काल्हि तेहेन उत्तरदायित्व निर्वाह करबाक व्यवस्था उठि गेल जेना हमरा लागि रहल अछि।
एखुनका बहुल्य कमजोर विद्यार्थी सभक अभ्यास-पुस्तिका मे गम्भीरतापूर्वक जाँच कयल जेबाक अथवा डायरी जाँच कयल जेबाक, फेर समस्या देखेला पर अभिभावक लोकनिक ध्यानाकर्षण करायल जेबाक जेहेन अनिवार्य प्रक्रिया अपनायल जेबाक, व्यवहार मे लागू कयल जेबाक स्थिति नहि देखाइछ। शिक्षक लोकनि, क्लासटीचर लोकनि, सेक्शन-इन्चार्ज, वाइस-प्रिन्सिपल अथवा प्रिन्सिपल – कोनो स्तर (लेभेल) मे कियो अपन कर्तव्य निर्वाह सही आ समुचित ढंग सँ नहि कय पाबि रहल अछि तेना हमरा लागि रहल अछि। विद्यालय प्रशासन सेहो शिक्षक लोकनि द्वारा भ’ रहल लापरवाही उपर कोनो सख्त कार्रबाई (स्ट्रिक्ट एक्शन) नहि करैछ जेहेन बात स्पष्टे अछि। मात्र अभिभावक-शिक्षक भेंट (पैरेन्ट्स टीचर मीटिंग) आ अन्य गोटेक औपचारिकता सँ सजग विद्यार्थी सब केँ मात्र बेसी ध्यान दैत विद्यालयक प्रतिष्ठा बढ़ेबाक होड़ चलि रहल अछि आर महत्वपूर्ण परीक्षा सब मे शत-प्रतिशत सफलता देखेबाक व्यवसायिक आकर्षण लेल भ्रष्टाचारिता आ कदाचारिता केँ बढ़ावा देल जा रहल से शंका लागि रहल अछि।
एहि तरहें बाल्यकालहि सँ विद्याध्ययन आ निरन्तर अभ्यास करैत सिखबाक समय मे भ’ रहल लापरवाहीक कारण बहुतो विद्यार्थी सभक भविष्य अन्धकारमय बनि रहल अछि आ एहेन दुरुह अवस्थाक लेल शिक्षक आर शिक्षालय संग स्वयं अभिभावक लोकनि सेहो जिम्मेदार छथि से निष्कर्ष निकलि रहल अछि। एना कमजोर पड़ि गेल विद्यार्थी सब उच्च-अध्ययन नहि सकैत अछि आ अपना केँ प्रतिस्पर्धा सँ बाहर देखि ओ सब अनेकों तरहक व्यसन आ कुलत केर शिकार भ’ गेल करैत अछि। उग्रता आ उद्दण्डता सेहो एहने विद्यार्थी सब मे अबैत छैक आ एकरा चलते ओ सब अपना सहित अपन परिवार, समाज आ राष्ट्र केँ पर्यन्त बड पैघ अहित कय सकैत अछि। एहि पर सम्बन्धित सरोकार रखनिहार सभक ध्यानाकर्षण होयब बहुते जरूरी अछि।
हरिः हरः!!