लेख
– संगीता मिश्र
दुष्चरित्र मानवक सन्तान सभक संघर्ष आ जीवन
एकटा बच्चा लेल माता-पिता दुनिया के सबसे अनमोल रत्न होयत अछि, हुनक प्रेम आ आशीर्वादक बिना संसार मे किछु संभव नहि अछि । बच्चाक लेल पहिल आ सब सँ पैघ आदर्श ओकर माता-पिता अछि जिनका सँ जीवन मे बहुत किछु सिखैत छथि। बच्चाक उचित पालन-पोषण माय आ पिता दुनूक जिम्मेदारी होइत अछि। दुनूक प्रेम आ देखरेख मे बच्चाक उचित विकास होइत छैक।
ओना त माय बिना कोनो बच्चाक जन्म सम्भव नहि, परन्तु पिताक भूमिका माइये जेकाँ बहुत महत्वपूर्ण होइत छैक। पिता के बच्चाक जीवन मे सब सँ महत्वपूर्ण भूमिका छैक। पिताक बिना बच्चाक जीवन बिना छत वाला घर आ बिना आकाश के जमीन जेकाँ भ’ जाइत अछि।
बच्चाक असली रक्षक पिता होइत अछि। हर डेग पर बच्चा सभक देखभाल करबाक काज ओ करैत छथि। पिता संतानक सृष्टिकर्ता आ नियति निर्माता होइत छथि। बच्चा सभक देखभाल करब हुनक नैतिक आ सामाजिक जिम्मेदारी छन्हि। माता-पिता दुनिया के सबसे अनमोल रतन छथि। हुनक प्रेम आ आशीर्वादक बिना संसार मे किछुओ संभव नहि अछि।
दुर्भाग्यवश, कोनो सन्तान केँ यदि माता-पिता मे कोनो एक के सहारा नहि भेटैछ त ओकर जीवन बड संघर्षपूर्ण आ दुरूह मानल जाइछ। ओ समाज मे सहानुभूतिक पात्र मानल जाइछ।
आजुक समय माता या पिता के प्रेम सँ वंचित आनो कारण सँ होबय पड़ैत छैक। सर्वथा काम-वासना सँ पीड़ित माता या पिताक दुष्चरित्रक प्रभाव सीधा-सीधा सन्तान आ ओकर भविष्य पर पड़ैत छैक।
हम स्वयं सिंगल मदर (एकल माय) सन्तानक दृष्टि सँ एहि बातक कटु अनुभव कयलहुँ। पिता के नाजायज सम्बन्धक बड भारी प्रभाव बच्चा सब पर पड़ैत अनुभव कयलहुँ। एक स्त्री लेल ओकर पतिक नाजायज सम्बन्ध सिर्फ अपनहि कारण अमान्य नहि छैक। बल्कि ओ स्त्री एकर दूरगामी असर बच्चा सब पर कतेक गहरा पड़तैक सेहो नीक सँ सोचल करैत अछि। पति संग विद्रोहक कारण गृहस्थी मे आगि लगबाक भय ओ नीक सँ देखि लेल करैत अछि। आइ-काल्हि कतेक माय (स्त्री) सेहो विवाहेतर सम्बन्ध मे फँसि अपन सन्तानक दुश्मन बनि गेल करैत अछि। लेकिन १०० मे १० गोट स्त्री दोषी होइछ त ९० गोट पुरुषहि के दोष सर्वविदित अछि।
विवाहक बाद अगर अहाँ या अहाँक साथी के केकरो दोसर सँ सम्बन्ध बनैत अछि त एकर खराब असरि अहाँक वैवाहिक जीवन केँ बर्बाद करबे करत, बल्कि अहाँक बच्चा सभक भविष्य केँ सेहो बर्बाद करैत अछि। ई अबैध सम्बन्ध अहाँक परिवार सँ अलग करय के काज करैत अछि। अहाँ आ अहाँक बच्चा सभक बीच प्रेम कम भ’ जायत आ अहाँ ओकरा सभक जरूरत मुताबिक समय तक नहि द सकैत छी। शुरू मे अहाँक बच्चा मे बदलाव केर ध्यान नहि भ सकैत अछि, मुदा भविष्य मे इ अहाँ आ बच्चा दूनू लेल खतरनाक साबित होयत से निश्चित अछि।
जँ अहाँ सोचैत छी जे बच्चा अहाँक एहि व्यवहार सँ अनभिज्ञ अछि तखन ई अहाँक गलती भ’ सकैत अछि। अहाँ आ अहाँक साथीक बीच बहस देखिकय बच्चा बहुते आसानी सँ अनुमान लगा लैत अछि जे अहाँ दूनू के बीच निश्चित रूप सँ किछु गलत भ’ रहल अछि। भले ओकरा अफेयर के मतलब नहि बुझल होइक, लेकिन ओकरा ई अन्दाज लागि जाइत छैक जे घर मे सब किछु ठीक नहि छैक। आर एहि कारणेँ ओ सब मानसिक रूप सँ हताश, दुःखी आ परेशान होयत।
जखन बच्चा अपन व्यक्तिगत जीवन मे तनाव आ झुंझलाहट महसूस करैत अछि त ओ आक्रामक भ गेल करैछ। ई आक्रामकता ओकर व्यवहार पर हावी भ’ सकैत अछि, जे कोनो तरहेँ सही नहि अछि। यदि घर मे एहेन माहौल होय त बच्चा उपेक्षित सेहो महसूस क सकैत अछि। एहि सँ ओकरा भीतर असुरक्षाक भाव आबि सकैत अछि आ ई चीज ओकरा तनाव आ अवसाद के तरफ ल जायत से निश्चित अछि। जँ कतहु सँ अहाँक बच्चाक स्कूलक आन विद्यार्थी आ कि ओकर मित्र सब केँ एहि अबैध सम्बन्ध आ घरक विवाद आदिक बारे मे पता चलि जेतय त ओ अहाँक बच्चाक मजाक उड़ायत, भरि स्कूल मे एहि बातक ढिंढोरा पीटल जायत। एकर कतेक खराब असरि अहाँक बच्चा सब पर पड़त आ प्रतिक्रिया स्वरूप ओकरा सब मे असुरक्षाक केहेन खतरनाक भाव पैदा होयत से स्वयं कल्पना कय सकैत छी। स्वाभाविके तौर पर अहाँक बच्चा अकेले रहत, चिरचिरा स्वभावक भ’ जायत आ ओ समाज सँ सेहो कटय लागत।
घरक वातावरण ठीक नहि रहैत अछि तँ बच्चाक पढ़ाई पर सेहो असरि पड़ैत छैक। बच्चा पढ़ाई मे ध्यान नहि द पबैत छैक आ प्रतिस्पर्धा मे ओ बहुत पाछू रहि जाइत छैक। एतय सँ जे हीन भावना उपजैत छैक से जीवन भरि ओकरा सब पर हावी रहैत छैक।
एहेन परिस्थिति मे पहिले धर्मपत्नी बनिकय पति केँ दुराचारिणीक चंगुल सँ मुक्त करबाक अनेकों कोशिश के बादो जँ कियो कामुक चरित्र मे उलझनाय नीक बुझय त स्थिति बेसम्हार होयत से तय अछि। हम अपन जीवनक कटु अनुभव साझा करैत नहि सिर्फ अपना केँ बौंसय मे लागल छी, बल्कि कठिन मेहनत आ सुसंस्कार-सुशिक्षा सँ पोसल अपन सन्तान आ हमरे जेहेन अभागल अनेकों माय व ओकर सन्तान लेल सेहो सम्बल होय तेँ लिखि रहल छी। पहिनहि लिखि चुकल छी जे आत्मनिर्भरता आ जीवन जिबय के हिम्मत, वीरता आ साहस केना हासिल करब। एकटा माँ के रूप मे अपन बच्चा केँ पतिक दुष्चरित्र आ अबैध सम्बन्धक प्रभाव सँ कोना बचायब, एहि सब पर हम अपन विचार राखि रहल छी। अपने सभक प्रतिक्रिया हमरा लेखन कार्य मे बहुत पैघ सहयोग कय रहल अछि। सुझाव सेहो भेटैत अछि, मोनक भीतर कानि रहल छी, तैयो हिम्मत पाबि जिबय के कोशिश कय रहल छी। अन्त मे, एहेन दुष्चरित्र व्यक्ति सब यदि समाज मे सम्मानित कयल जायत त सवाल समाज पर उठत या नहि? एहेन दुष्चरित्र केँ कियो ‘भाइजी’ कहि-कहि महिमामंडित करत त हमरा सन कष्टपूर्ण जीवन जिबयवाली ‘माय’ के मोन तोड़त कि नहि? आशा अछि, अहाँ सब हमर सब बात केँ नीक सँ मनन करब आ समाज मे शान सँ जिबय के काज करय जायब।
धन्यवाद!