व्यक्तित्व परिचय एवं साक्षात्कार
– प्रवीण नारायण चौधरी
आदित्य भूषण मिश्र – मैथिली एवं हिन्दी कवि
१. जन्म – 18/07/1989 , दरभंगा
२. शिक्षा-दीक्षा – कक्षा बारहवीं तक दरभंगा, CBSE board
B.A. LL.B (H), AMITY LAW SCHOOL, DELHI
३. माता-पिता-परिजन – पितामह – श्री चन्द्रनाथ मिश्र ”अमर” , वयोवृद्ध साहित्यकार, मैथिली
माता – श्रीमती अपर्णा मिश्र, गृहिणी, पिता – श्री शम्भुनाथ मिश्र, SBI मे कार्यरत
भाय- श्री विभूति भूषण मिश्र, C.S. क रहल छथि
४. साहित्य मे रुचि कहिया सँ आ कोना-कोना… – साहित्य मे रूचि कहिया भेल से हमरा लेल कने कठिन प्रश्न अछि कियैक तँ जन्महि सँ घर मे साहित्यिक परिवेश छल. दादाजी (श्री अमरजी) सँ भेट आ साहित्यिक चर्चाक लेल कतोक साहित्यकार डेरा पर अबैत रहैत छथि. एतेक रास साहित्यकारक सानिद्ध्य भेटल जे अपनहि अनायासे ई सब होइत चलि गेल.
५. प्रथम बेर कविता पढबाक अवसर कतय भेटल – ऋचालोक केर मीटिंग में १९ नवम्बर २००१ ई. क पहिल पाठ कयने रही.
६. एखन धरि कतेक रास रचना सब केलहुँ – सत्ते कही तऽ बहुत रास रचना नहि अछि. किछु ४०-५० गोट रचना भेल जाहि मे नेनपन मे लिखल १०-२० टा आब अपनहि ओतेक ठीक नहि लगैत अछि.
७. कोनो प्रकाशित रचना? – “विद्यापति टाइम्स”, “विद्यापति स्मारक” इत्यादि पत्र-पत्रिका मे रचना प्रकाशित अछि. मुदा ई हमर दुर्भाग्य कही जे प्रकाशन पर एखन धरि ओतेक ध्यान नहि गेलय.
८. मैथिली भाषाक भविष्य केहेन बुझाइछ? – एहि प्रश्न केँ दू दृष्टिये देखबाक आवश्यकता बुझा रहल अछि. मैथिल समाज मे अपन भाषाक लेल काज करबाक लेल कर्मठ व्यक्तित्वक अभाव नहि अछि. आ ओ सब काज कइयो रहलाह अछि. तहिना जतबा भाषा समृद्ध अछि ततबा भाषाक रक्षक सेहो समृद्ध छथि. जखन स्वतंत्रता प्राप्ति सँ पहिने वा बादक एतबा हिलकोर सहलाक पश्चातो ई भाषा ठाढ़ अछि तऽ निश्चित रुपें एही भाषा मे ओ शक्ति अछि आ मैथिली पर माँ सरस्वतीक कृपा छन्हि.
मुदा एखुनका परिप्रेक्ष्य में देखल जाय त हमरा बुझने जखन ई अन्यान्यो भाषक लेल संकट काल अछि त किछु विशेष ऊर्जा लगयबाक आवश्यकता छैक . साहित्य मात्र में जीबैत भाषा बेसी दिन नहि जीबि सकैत अछि. अपना-अपना घर मे लोक आन भाषा बाजि रहल छथि, मने लोकक कंठ सँ भाषा निकलल जा रहल अछि, यद्यपि एखनहु बहुत मैथिली भाषी छथि मुदा क्रमशः एहि मे पतन भऽ रहल अछि. दोसर, जे भाषा जा धरि अर्थ सँ नहि जुड़त, विशेषतः आजुक जुग मे, ताधरि, सम्मलेन मात्रक भाषा रहि जायत.
एकटा गप्प और! हमरा जनिते जे कोनो भाषा सदैव परिवर्तनशील रहल अछि, तेँ साहित्यकारक भूमिका सूप सन हेबाक चाहियनि. ओ ई प्रयास राखथि जे लिखित रूप मे भाषा आ व्याकरणक विशुद्ध रूप प्रयोग मे आनथि जाहि सऽ आँकड फटका कऽ एक कात भऽ जाय मुदा संगहि भाषाक प्रति ततेक कट्टर नहि भऽ जाय जे नब लोक नहि सम्मिलित होबय चाहय. मैथिलीये टा लिखू, खासे शब्द बाजू नहि त मैथिल नहि भेलहुँ से गप्प नहि होबाक चाही. एहि सब विन्दु पर विचार आवश्यक आ विचारे टा नहि कार्यान्वयन सेहो आवश्यक। तखन हमरा जनिते एहि भाषा केँ कियो नहि रोकि सकैत अछि.
९. मिथिलाक विशिष्टता केँ अपन रचना सब मे कोना समेटैत छी? कोनो एहेन रचना मोन पारू!
– हम बेसी रचना एहू कारणे नहि कऽ पबैत छी, जे हमरा जनिते जँ रचना मैथिलीक अछि तऽ ओहि मे अपन माटि-पानि केर सुगंध हो. ई नहि बुझा पड़य जे आन भाषा मे सोचल गेल हो. एकर ई अर्थ कथमपि नहि जे कविता मे देश-दुनिया केर आन विषय नहि हो मुदा प्रस्तुति मे मैथिलीक सुगंध अवश्य हो.
१०. अपन कैरियर कोन तरहें बना रहल छी?
– B.A. LL.B. केर पश्चात ओही क्षेत्र मे कोनो नौकरी आ संगहि लेखन मे जँ कतहु काज भेट जाय तऽ ओकरा प्राथमिकता देब.
११. युवा मैथिल लेल कि संदेश देबय चाहब?
– हम बयस आ साहित्य दुनू मे अपनहि युवा छी, सन्देश देबय जोगरक उपलब्धि एखन नहि प्राप्त कयलहूँ अछि, तथापि एतबा कहय चाहब जे मैथिल छी त मैथिली केँ हेय दृष्टि सँ नहि देखू. ई आवश्यक नहि जे बड़का कोनो आयोजन वा पोथी छपयला उत्तर मैथिल प्रेम प्रदर्शित होइत छैक. मुदा ई आवश्यक जे मैथिली बिसरी नहि. जे मित्र, अनुज, अग्रज मैथिल भेलाक पश्चातो मैथिली नहि बजैत छथि हुनका टोकि देल करी, जनिका नहि अबैत छन्हि, संभव हो त तनिका सिखबाक लेल प्रेरित करी. ई हमरा जनिते बहुत पैघ कार्य होयत.
आदित्य भूषण मिश्र आ संपादक बीच किछु खास वार्ता:
प्रवीण भाइजी, अहाँ द्वारा टैग कैल गेल ओ कलेक्टर सँ बात केलहा आदमी साधारण लोक सँ कि बात करत, तहिना हिन्दी भाषा वा अन्य उच्च सम्मानित मंच पयनिहार मैथिली संग कोना सहकार्य करत, एहि ऊपर हमरो ध्यानाकर्षण भेला सँ किछु सपष्टीकरण देब आवश्यक बुझना गेल. ओना हमरा प्रति जे अपनेक अनुराग अछि ताहि मे हमरा ई नहि बुझाइत अछि जे हमरो लेल ओ सब बात कहने होयब तथापि…
ओना तऽ हम क्षमाप्रार्थी छी जे विलम्ब भऽ गेल उत्तर देबा मे मुदा ताहि पाछू कारण छल. अपनेक मेसेज २२ जून केर छल, जकरा हम २३ जून केँ देखल. तकर बाद देखने होयब जे हम फेसबुक पर सेहो बहुत कम आबि सकलहुँ. फ़ोन पर कखनो कताल देखि लैत छलहूँ ततबे.
२७ जून केँ इंदौर मे एकटा एकटा मुशायरा छल. ओहिठाम सँ घुरलाक पश्चात से मोन खराब भेल जे ओछौन धरा देलक. मौसी लग चलि गेल रही. आई अपना डेरा घुरि कय अयलहु तऽ सब सँ पहिने अहींकेँ पठा रहल छी.
मुदा भाइजी माफ़ करब ओ पोस्ट ज हमरो लेल छल त हमरा अत्यंत दुख भेल आ पोस्ट त पोस्ट, ओहि पर जे किछु कठ्पिंगल सनक कमेन्ट किछु लोकक छलनि से नीक नहि लागल. अनकर हम नहि जानी की करैत छथि मुदा हम हिंदी वा उर्दू में सेहो लिखैत छी कियैक तऽ भाषा मात्र सँ प्रेम अछि, अन्यान्यो भाषा सीख सकी आ ताहि मे रचना कऽ सकी तऽ कोन अधलाह गप्प. अधलाह तखन कीने जँ अपना भाषा प्रति अनुराग नहि वा कम हो. से तऽ देखने होयब जे लेट भऽ गेलाक पश्चातो आ दौड़ल-भागल पहुंचल रही. दिल्ली भरि जऽ संभव हो त पहुँचिते टा छी. बाहर कने दिक्कत भऽ जाइत अछि. आ तेहन परिवार सँ छी जे मैथिलीक प्रति अनुराग शोणित मे अछि. तेँ बेसी खराब लागि गेल. आशा करैत छे जे हमर मनोदशा बुझैत अन्यथा नहि लेब.
हमर स्नेह आदित्यजी लेल:
अनुज आ अत्यन्त प्रेरणास्पद स्रष्टा आदित्य केँ ओहि लोकोक्तिवला व्यंग्य समाद मे टैग करबाक मतलबे यैह छल जे हिनकर समर्पण आ आइ धरि कैल गेल समस्त आयोजन मे सहभागिताक आमन्त्रण प्रति तत्परता सँ भाग लेबाक त्याग देखि हृदय मे विराजित मैथिलीक ‘स्टार कवि’ केर रूप मे हिनका सँ ओहेन अपेक्षा नहि रहबाक आ ताहि हेतु अपन दायित्व शीघ्र पूरा करबाक जेन्टलमैन रिमाइन्डर जेकाँ प्रयोग कैल गेल छल। आदित्य हमर मन, मस्तिष्क आ हृदय तिनू पर ‘स्टार कवि’ केर छाप बना चुकल छथि, आ एहेन कोनो अवसर नहि जतय हिनकर सहभागिता लेल हृदय सँ हिनका आमंत्रित नहि करैत होइ। हँ, तखन तऽ मैथिली मे जे प्रयास भऽ रहलैक अछि ओकरा लेल आवश्यक आर्थिक व्यवहार करबा मे एखन धरि हम सब अपन कवि, साहित्यकार, कलाकार, अभियानी, आदि योगदान देनिहारक ऋणी टा छी। एहि ऋण सँ ऊऋण होयबाक लेल ‘मैथिली जिन्दाबाद’ प्रयासरत अछि।