गृहस्थीक अवलम्बा स्त्री शक्तिः दुराचारिणी सँ सावधान

लेख

– संगीता मिश्र

गृहस्थीक अवलम्बा स्त्री शक्तिः दुराचारिणी सँ सावधान

‘पति-पत्नी आ ओ’ – फिल्मक लोकप्रियता संग मिथिला समाज मे सेहो ई ‘ओ’ प्रकरण आ ‘प्रेम प्रकरण’ कतेको रास परिवार केँ ध्वस्त कय देलक। ई ‘ओ’ के कारण बहुतो गृहस्थी खराब हेबाक बात सर्वविदिते अछि। ‘ओ’ के कारण पति-पत्नी बीच दरार अबैत अछि आ फेर शुरू होइत अछि घर मे कलह, मारि-पीट, हिन्सा, अत्याचार आ एक-दोसरक प्रति अविश्वास सँ गृहस्थी मे आगि लागब। एहि क्रम मे सब सँ बेसी केकरो हकमारी होइत छैक त ओ होइत अछि सन्तान। पति या पत्नी मे दोष आयल त स्वाभाविक छैक जे ओ अपन दोष के कारण पारिवारिक मर्यादा बिसरि जाइत अछि। आ जे सन्तान संग रहि गेल ओकरा उपर बेसी जिम्मेदारी आबि जाइत छैक, आब ओ सन्तान सम्हारत या अपन पार्टनर, कुल-परिवारक मान-मर्यादा देखत या सामाजिक बन्धन आ प्रतिष्ठा, ओ अपन दैनिक खर्च आ रोटी, कपड़ा व मकान जेहेन मूलभूत जिम्मेदारी कतय सँ पूरा करत – सारा भार ओकरा पर पड़ि जाइत छैक। स्वयं केर जीवन मे परिस्थिति बहुत किछु सिखेलक, तेँ हम अपन लेखनीक माध्यम सँ समाज मे वास्तविक साहित्य साझा करैत आम जागृतिक पक्षधर छी। एक महिला भुक्तभोगी हेबाक कारण सब पुरुष पर एक समान प्रश्न ठाढ़ करब हमर उद्देश्य बिल्कुल नहि अछि, लेकिन पीड़ित पत्नी आ ओकरा पर पड़ल सन्तान, परिवार, समाज आ कुल-खानदान आदिक जिम्मेदारी सब बुझय ई हमर लिखबाक मूल उद्देश्य अछि।
हमर लेखनी मे पूर्व लिखित विभिन्न लेख केँ निरन्तरता दैत आइ हमर लेख दुराचारिणी महिलाक कारण गृहस्थी टूटबाक विन्दु पर केन्द्रित अछि।
अहाँ सब दुराचारिणी महिलाक बारे मे अवश्य जनैत छी। एहि शब्दक की अर्थ होइत छैक, आ एहेन महिलाक समाज आ परिवार पर कतेक खराब प्रभाव पड़ैत छैक से साधारण मनुष्यो मे बोध रहिते टा अछि। दुराचारिणी महिला खराब चरित्र वाली महिला, पतिता, कुलटा, बदचलन स्त्री, व्यभिचारी स्त्री, नागरवधु, अनेकों नाम सँ बजाओल जाइत अछि। सुखी पारिवारिक जीवन केँ कोना बचा सकैत छी दुर्व्यवहार करय वाली महिला सँ? ई सवाल बहुतो पीड़ित महिलाक मोन मे जरूर होयत। ई दुराचारिणी महिला मे देह-वासना संग अपन जीह के चटकार आ रंग-बिरंगक पहिरबाक सख, कोहुना अपन भोग-विलास केँ परिपूर्ति करबाक बड़ा भारी दुर्गुण रहैत छैक। एकरा सभक दृष्टि सदिखन एहेन पुरुष पर रहैत छैक जेकरा जेबी मे पैसा परिपूर्ण हो, पावर पैघ हो… भले ओ पहिने सँ विवाहित अछि कि कतेको बच्चाक बाप अछि, एहि कुलटा स्त्री केँ ताहि सब सँ कोनो फर्क नहि पड़ैत छैक। ओ पुरुष पर डोरा फेकैत अछि आ कमजोर शक्तिक पुरुष ओकर कामुकताक जाल मे ओझरा गेल करैत अछि।
सावधान रहबाक बेर आ समझदारी सँ निष्कर्ष लेबाक बेर –
जँ अहाँक पति एहने कोनो दुराचारिणीक पाछू बेहाल भ’ गेला, ओ स्वयं एहने कमजोर मानसिकताक छथि तखन ई बहुत मुश्किल आ लगभग असंभव होयत अहाँ लेल। पति जँ पत्नीक बात पर ध्यान नहि दैत छथि आ हुनकर बात केँ अनसुना करैत छथि आ सदिखन घर मे देर राति घर अबैत छथि तखन एतय सँ अहाँ केँ पता चलत जे ओ जरूर कोनो कुलटा-व्यभिचारिणीक चांगुर मे फँसि गेलाह। अपन वासनाक पूर्ति जरूर दोसर महिला सँ पूरा कय रहला अछि। जँ अहाँक पति अहाँ केँ कोनो मूल्य नहि दैत छथि, सदिखन अनदेखी करैत अछि, त स्वाभाविक समझ यैह बनैछ जे किछु गड़बड़ अछि। अपन स्त्रीक रहैत पुरुषक उपेक्षाक दृष्टि तखने बनैछ जखन जखन हुनका दोसर महिला सँ देह-वासनाक पूर्ति होइत अछि।
समाजक नजरि सँ बचबाक लेल –
ई दूनू दुराचारी पुरुष आ महिला अपन मोन केँ रिझेबाक लेल आ समाजक आगू निर्लज्जतापूर्ण अपन सम्बन्ध केँ उजागर करबाक लेल एहि तरहक अबैध सम्बन्ध केँ ‘प्रेम’ के नाम दैत अछि। ओ ई बिसरि जाइत अछि जे सामाजिक आ वैधानिक मान्यता प्राप्त स्त्री केँ त ओ सही-समुचित प्रेम दइये नहि सकल, आब ई नवका प्रेम ओकरा लेल कोना आ कतेक कारगर हेतैक – ई सब बिसरिकय केवल अपन वासनापूर्ति आ निर्लज्जता मे ओ दुराचारी व दुराचारिणी बेहाल रहल करैत अछि।
अहाँ लेल एहेन अवस्था मे कोनो निर्णय लेनाय बहुत कठिन होइछ, तथापि ई सब विन्दु पर ध्यान राखू –
प्रायः हमरा सबहक समाज मे बेटी केँ अपन विवाह बचाबय के सलाह देल जाइत छैक। मुदा कोन कीमत पर? की आत्मसम्मान आ जान के दाँव पर लगा क’ बचाओल जायत विवाह? वास्तव मे विवाह या फेर रिश्ता तोड़लाक बाद ओकरा राखब बेसी बुद्धिमानी अछि। प्रायः महिला सामाजिक आ पारिवारिक दबाव के कारण या भावनात्मक बंधन के कारण दुराचारियो पति सँ समझौता करय लेल सहमत भ’ जायत छैक। ओ कतेको बेर एहेन काज करैत रहैत छथि, ताबत धरि जाबत धरि या तऽ गृहस्थी एकदम सँ बिखरि नहि जाय या फेर आगूक सब बाट पूर्णतः बंद नहि भ’ जाइत छन्हि।
हमर दू टूक सुझाव –
एहेन मे स्थिति मे हमर यैह कहब अछि जे फैसला लैत काल एक बेर अपना बारे मे जरूर सोचू। जखन परिवार या समाज अहाँक पीड़ा मे सहारा देबय मे असमर्थ अछि आ अहाँ के बचाबय मे असमर्थ अछि तखन एहन दबाव मे अपना आ अपन बच्चा के सुरक्षा के अनदेखी करय के की मतलब अछि ताहि पर खूब विचार करू।
बच्चाक जन्मक बाद पीड़ित महिला अपन बच्चा केँ पिताक प्रेमसँ वंचित करबाक अपराध नहि कऽ सकैत अछि – हमरा बुझने ई कमजोर तर्क अछि। जे पुरुष नीक पति नहि बनि सकल से कोना नीक पिता बनि सकैत अछि? आ असहाय माय कोना मजबूत व्यक्तित्वक संग बच्चाक पालन-पोषण करत? दोसर बात जे आइ अहाँ अपन पतिक हाथ स अपमानित भ रहल छी, काल्हि अहाँ अपन बच्चा के हाथ सँ अपमानित भ जायब कियाक त अहाँ के अपमानित होय के आदत भ’ गेल अछि आ अपन बच्चा के अपमानित होइत देखय के आदत भ’ गेल अछि। निष्कर्षतः एकटा लाचार माँ स एकटा सिंगल मदर सदिखन नीक विकल्प होइत अछि।
लेकिन ध्यान रहय – अपना केँ कमजोर नहि बनायब कखनहुँ। आर्थिक आत्मनिर्भरता के बात हम पहिने कहि चुकल छी।
हम स्वयं विदेह अगरबत्ती (VIDEHA pvt. ltd.) नाम सँ एकटा छोटछिन कंपनी खोलने छी। हम अपन छोट भाइ के पत्नी अर्पणा संगे ई कंपनी चला रहल छी। हम खूब मेहनत संग ई काज कय रहल छी। और बहुत जल्द अहाँ सभक आशीर्वाद आर प्रेरणा सँ खूब पैघ कंपनी बनायब सेहो विश्वास अछि। हम त चाहब जे हमरे जेकाँ कोनो पीड़िता स्त्री केँ हम आत्मनिर्भर बनेबाक लेल जरूर किछु न किछु सामाजिक अभियान सेहो चलाबी, काल्हि एक बहिन हमरा सँ एहि मादे लेख पढ़ि सम्पर्क सेहो कएने रहथि। जखन कोनो नीक उपलब्धिमूलक काज भ’ जायत त जरूर जानकारी देब।
लेख केहेन लागल से जरूर कहय जायब, अहाँ सभक प्रतिक्रिया सँ हमरा बहुत आत्मबल बढ़ैत अछि।
धन्यवाद!!