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मैथिली लिटरेचर फेस्टिवल २०२३ मुम्बईः गम्भीर श्रोता-दर्शक केर नजरि सँ

मैथिली लिटरेचर फेस्टिवल २०२३ मुम्बई विशेष

– वन्दना चौधरी

मैथिली भाषा, साहित्य, कला, संस्कृति, फ़िल्म व समग्र मैथिल पहचान के संरक्षण आ प्रवर्धन हेतु 2014 सँ निरंतर पटना आ दिल्ली में मैथिली लिटरेचर फेस्टिवल आयोजित भ’ रहल अछि। एहि वर्ष 7 अप्रैल सँ 9 अप्रैल तक भारत के आर्थिक राजधानी मुंबई मे श्री शुभ सीता फाउंडेशनक तत्वावधान मे आयोजित ई पांचम आयोजन छल जे कि मुंबई के मलाड मे स्थित रूपवीर बंगला मे भव्यताक संग सुसम्पन्न भेल।

आयोजन मे भाषा-साहित्यक विभिन्न विधा, लोकसंस्कृति, लोककला, आदिक संग आर्थिक, राजनीतिक एवं सामाजिक विषय सब पर चिन्तन-मनन कयल गेल। एहि बेरुक आयोजन मे 17 सँ बेसी सत्र संग सांस्कृतिक संध्या, रंग उत्सव आ फ़िल्म प्रदर्शनी शामिल छल। सब सत्र बहुत नीक सँ सम्पन्न भेल जेकर हम स्वयं गवाह छी। एकटा गम्भीर श्रोता आ दर्शक बनियेकय एहेन स्तरीय कार्यक्रमक विशेष लाभ लेल जा सकैत छैक ई अनुभूति भेटल। हम पहिलुक बेर एमएलएफ जेहेन स्तरीय कार्यक्रमक हिस्सा रही। हमरा संग हमर बेटी भावना सेहो ओतबे संलग्न रहल अपन मातृभाषाक एहि महत्वपूर्ण आयोजन मे। एक सँ एक विद्वान लोकनिक प्रस्तुति सब सुनबाक लेल भेटल। हरेक सत्र मे एकटा अजीब तरहक चुम्बकीय आकर्षण बुझि पड़ल जे दर्शक दीर्घाक ध्यान अपना दिश स्वतः खींचि लैत छल आ सब एकटक लगा वक्ता-प्रस्तोता लोकनि केँ, संचालकक दृष्टि आ वक्ताक जवाब दिश अपने आप आकर्षित आ केन्द्रित होइत अनुभव करैत रहलहुँ।

कहबा मे हर्ज नहि जे सभा मे जिनकर ध्यान नहि टिकनि ओ सब अपन आनहि रुचि आ उद्देश्य हासिल करबा दिश व्यग्र देखाइत रहथि। सभागार मे स्थानक सीमितताक कारणे सेहो किछु लोक ध्यानकेन्द्रित भले नहि कय सकथि, मुदा बाहर खुल्ला मैदान मे राखल दोसर मंच आ ताहिठाम राखल साउन्ड बौक्स केर ध्वनि सुनैत बाहर मे सेहो किछु लोक अपन भाषाक पुरोधा व्यक्तित्व सभक बात-विचार सुनि रहल छलथि। गर्मी आ उम्मस बड जबरदस्त छलैक, ताहि कारण सेहो कतेक लोक बाहरे हवा लगेनाय बेसी उचित बुझि एमएलएफ के सब सँ महत्वपूर्ण पक्ष सँ विचलित रहलाह। किछु गोटे जिनका अपना छोड़िकय दोसर वक्ताक बात मे बेसी दिलचस्पी नहि रहनि ओ सब चाय और पानिक स्टाल पर या अपन पसन्द के कोनो साहित्यकार लेखक वा फ़िल्मकर्मी सभक संग परिचय आदान-प्रदान आ शेल्फी-ग्रुप फोटो खिंचबय मे व्यस्त देखेलथि।

चूँकि हॉल या ग्राउंड मे जतेक कुर्सीक इंतजाम रहैक ताहि सँ फ़ाजिल लोक रहथि, त कुर्सी सब कखनहुँ खाली नहि रहैत छल। एक एला त एक गेला वला स्थिति रहैक। हमरा सब सनक लोक जेकरा कोनो खास ख्वाहिश नहि रहैक फेमस हेबाक, ओ सब कुर्सी पकड़ने ताबे तक बैसल रहैत रही जाबे तक सत्र सम्पन्न नहि भ’ जाइत रहैक। जे विद्वान लोकनिक वक्तव्य वा प्रस्तुति हमरा सबसँ बेसी प्रभावित कयलक हुनका लोकनिक नाम जरूर लियए चाहब। सर्वप्रथम नचिकेता जी, कमलानन्द झा विभूति जी, लक्ष्मण झा साग़र जी, कृष्ण मोहन झा जी, विभा कुमारी जी, विभा रानी जी, रमेश रंजन भायजी, मेनका मल्लिक जी, शुभ कुमार बरनवाल जी, डॉ आभा झा दीदी, संजीव सिन्हा जी, अरुणाभ सौरभ भाय, शैलेन्द्र मिश्र जी, प्रवीण नारायण चौधरी जी, डॉ लीना झा जी एवं डॉ महेंद्र नारायण राम जी, अन्य आरो किछु गोटे जिनकर नाम एखन विस्मृत भ’ रहल अछि।

कवि सम्मेलन वला सत्र मे करीब 30 गोट कवि-कवियित्रीक प्रस्तुति भेलन्हि। एहि सत्र के मुख्य उद्देश्य नव कवि लोकनि केँ प्रोत्साहित करब होइक चाहैत छल, मुदा क्षोभ तखन भेल जखन एहेन अजित आजाद भाइजी सनक विज्ञ संचालक रहितो किछु हुनक निजी लगावक विशेष कवि-कवियित्री सबकेँ अपन घुमघुमौआ-लच्छेदार बोल-वचन सँ प्रोत्साहित कय, अन्य कवि लोकनिक प्रस्तुति सँ पहिनहि संचालकीय सम्बोधन सँ स्तरहीन, निम्नस्तर, आदि जेहेन भावना-उद्गार रखैत हतोत्साहित कयलन्हि। ई कतहु सँ न्यायोचित नहि लागल।

मैथिली साहित्यक एहि महोत्सव मे विभिन्न विषय पर केन्द्रित सत्र सभक संचालन मे किसलय कृष्ण जी, अरुणाभ सौरभ, गुंजन श्री एवं ममता जीक संचालन बड़ा बेजोड़ लागल। दुइ दिनक सत्र बहुते शान्तिपूर्ण और सुनियोजित ढंग सँ बीतल। मुदा तेसर दिन जहिया समापन रहैक, किछु फ़िल्मकर्मी, किछु रंगकर्मी, किछु संस्था विशेषक लोक सभक उपस्थिति बढ़ि गेल छल। शायद अंतिम दिनक आयोजन आ रवि हेबाक कारण सभक छुट्टीक दिन होयबाक कारण एतेक बेसी लोक उपस्थित भेल रहथि। हमरा याद आबि रहल अछि, दिन के करीब 3 बजैत हेतय। हम सब अन्दर हौल मे गीत गजल वला सत्रक आनन्द लैत रही, आ कि देखैत छी बाहर जेना मेला लागि गेल हो अचानक सँ। ब्रेक में बाहर निकललहुँ त देखैत छि फ़िल्म जगत के लोक, किछु स्थानीय जनसाधारण और एकटा संस्था विशेषक महिला सदस्या सब अपन संस्थाक बैच लगौने इम्हर सँ ओम्हर घुरिया रहल छलीह। हम कनि देर ई सोचय लगलहुँ जे जखन एतेक पैघ मैथिली लिटरेचर के ई संस्था अपना दम पर एतेक पैघ आयोजन क रहल अछि त दोसर कोनो संस्था, जेकर आयोजन मादे कोनो योगदान नहि छैक, ओ अपन प्रचार-प्रसार लेल अथवा कोनो आनहि कारण सँ कियैक अलग सँ अपन संस्थाक नाम आ बैच लगौने एहि मंच पर अपन प्रस्तुति देबाक लेल बैसल अछि। एकर कि औचित्य छल? दोसर जे हम सभ उत्साहित रही ई सुनिकय जे ई संस्था एकटा नाटक प्रस्तुत करत, मुदा बाद मे गीत और काव्य सुनय लेल भेटल, जाहि लेल मैथिली लिटरेचर फेस्टिवल मे पहिनहि सँ अलग-अलग ढंग सँ सत्र राखल गेल छलैक। श्री शुभ सीता फाउंडेशन जे अपन बैनर लगौने छल त ओकर बहुत पैघ योगदान रहैक। ओ संस्था मुख्य प्रायोजक के रूप मे अपन उपस्थिति रखबाक औचित्य त बनिते छैक।
ख़ैर, हम एतबे कहब जे एहि आयोजन मे हमरा एतबा अनुभव जरूर भेल जे जिनका में जतेक विद्वता हुनका में ओतेक विनम्रता देखलहुँ। भोजन भात, ठहरबाक व्यवस्था, कार्यक्रम स्थल केर साज-सज्जा सब किछु एक नम्बर छल। रहल त्रुटि के बात, त ई संयोजक विनोद कुमार झा सरकारक कोनो घरक निजी काज नहि रहनि। जिनका सबकेँ एहि आयोजन मे जे कोनो त्रुटि बुझना गेल हो, हुनका सब सँ करबद्ध निवेदन जे एकटा एहेन आयोजन स्वयं करू, आ सब मैथिल केँ आमंत्रित करू, एहि आयोजन मे जे किछु त्रुटि बुझायल तेकरा अहाँ दूर कय केँ नव आ उत्कृष्ट उदाहरण ठाढ़ करू, नाम कमाउ। ओनाहु, आगामी आयोजन आर जबर्दस्त आ वृहत् सहभागिता सँ सम्पन्न होयत से त सुनिश्चिते अछि।
एक बेर पुनः धन्यवाद आ आभार विनोद कुमार झा सरकार केँ जे एतेक नीक आयोजन कय सब मैथिल केँ एखन एहि आयोजन केर समीक्षा करय पर मजबूर क देने छथिन।😃🙏
हमरा सँ किछु जो त्रुटि भ’ गेल हुए लिखय मे त हमरा क्षमा करब!! 🙏

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