जुलाई २, २०१५. मैथिली जिन्दाबाद!!
आउ आइ भेटी एकटा एहेन महान् शख्स सँ जे असगरे दुनियाक एकटा मुख्य विकासशील भाषाक स्थापित करबाक लेल संघर्ष कय रहला अछि। ओना तऽ बाजार-मूल्य अनुसार मैथिली सँ बहुत बेसी आगाँ भोजपुरी अछि, आ एकर लोकप्रियता मैथिली केँ बहुत पाछाँ छोड़ि विश्व केर कतेको देश धरि अपन प्रखर विस्तार कय चुकल अछि, तथापि साहित्यिक सृजना आ आधारभूत विकास मे एखनहु भोजपुरी मैथिली सँ बहुत पाछाँ छूटल अछि।
मैथिली आ भोजपुरी भाषा केँ सखि-बहिनक भाषा सेहो मानल जाइत अछि। भोजपुरीक विस्तार मैथिली पर काफी हद तक हावी अछि सेहो कहि सकैत छी। भाषाक लोकप्रियता लेल फिल्म आ गीत-संगीतक श्रव्य रूप भोजपुरीक प्रबल हेबाक कारण मैथिली क्षेत्र मे सेहो ई अपन अलगे धूम मचा रहल अछि। ताहि पर सँ लोक-लुभावना मादक – मनमोहक खूल्लापन आ हल्कापन भोजपुरी भाषाकेँ बहुसंख्यक अनपढ-गँवार आ सामान्य जनस्तर मे स्वत: बेसी लोकप्रियता प्रदान करैत अछि।
एतय हम सब चर्चा करब फेसबुक समान तीव्र गति सँ लोकप्रिय बनि रहल सामाजिक संजालक – जाहिठाम भाषिक स्वतंत्रता आ मातृभाषा सँ प्रेम सेहो एकटा विशिष्ट छवि निर्माण कय रहल अछि। फेसबुक केर संसार मे अपन लोक केर कमी नहि। अहाँ जे लिखैत छी से सब जुड़ल मित्र आ हुनका संग जुड़ल मित्र आ ताहि तरहें एकटा विशाल पाठकवर्ग ओहि लेखनीकेँ पढैत छथि। एहि फेसबुक पर वर्तमान समय धरि मैथिलीक डंका बाजि रहल अछि। मुदा भोजपुरी भाषा केर लोकप्रियता अन्यत्र रहितो सामाजिक संजाल समान सार्वजनिक मंच पर न्युनतम लेखनी होइत देखि ‘श्री राजेश सिंह’ एकटा एहन बीड़ा उठेलनि जेकर सकारात्मक परिणाम आब देखय लेल भेटय लागल अछि। हिनकर नित्य आह्वान पर लाखों भोजपुरी भाषी जे फेसबुक पर सक्रिय छथि ओहो सब भोजपुरी भाषाक लेखनी साहित्य दिशि ध्यान देमय लगला अछि।
आइ राजेश सिंह अपन भोजपुरिया भेष-भुषाक संग आह्वान केने छथि ‘जय भोजपुरी! जिया भोजपुरी!! हमार मातृभाषा भोजपुरी तऽ कहिये से हऽ!!!’ हुनकर एहि तस्वीर केँ कतेको अन्य भोजपुरी भाषी लोक अपन-अपन वाल पर सेहो स्थान देने छथि। लेखनी साहित्य केँ बढावा देबाक संग-संग भाषा प्रयोगक मात्रा बढेबाक कार्य लेल हिनका सँ समस्त मैथिलीभाषी केँ प्रेरणा लेबाक चाही। भाषा टा पहिल आधार होइत छैक पहिचानक विशिष्टताक, एकर संरक्षण ताहि लेल अनिवार्य अछि।