मैथिल मुसलमान

कविता

maithil musalman– मो. अशरफ राईन, हाल: कतार सँ

हम महान हमर मजहब महान,
माथ पर टोपी देहमे कुर्ता सान!
तन मनमे मानवताक प्रेम भरल,
छी हम ओ मैथिल मुसलमान!!

मन दिल मिथिलाके नमन करैय,
रगमे मिथिलाक सोणित बहैय !
छी हमहु मैथिलिए बासी यौ,
जय मिथिला मैथिल हृदय कहैय !!

नित दिन हमर होइत ईद रहैय,
हर राति दिवालिके दीप जरैय !
सब धर्मके इज्जत करब जनैछी ,
छाती भीतर राम रहिम बसैय !!

जै माईट मे पलल बढल छी हम ,
क सकै छी कोना गद्दारी हम !
भले राखु हमरा सऽ भेद भाब आहाँ ,
मुदा बनि नै सकब अतंककारी हम !!