मैथिली मे बाजू!
– प्रवीण नारायण चौधरी
अपन काज करू,
मित्रक चिन्ता छोड़ू!
ओ बाजथि हिन्दी
बा कि अंग्रेजी,
अहाँ प्रवीण सदिखन
मातृभाषा मे बाजू!
संस्कार आ सद्गति
सदैव आत्माक
परिष्करण सँ संभव छैक,
आत्मा सँ बात करब तखनहि
तत्त्व आ मर्म सेहो बुझबैक,
तैँ, आत्माक भाषा, मोनक भाषा,
मातृभाषा केँ सदिखन धारू!
धर्मो रक्षति रक्षित:,
मैथिली केँ बचाबू!
हरि: हर:!!