तिलाठी सप्तरी के सुप्रसिद्ध सरस्वती पूजनोत्सव

12 फरवरी 2022। मैथिली जिन्दाबाद!!

वर्षों वर्ष सँ चलैत आबि रहल महत्वपूर्ण परम्परा, सप्ताहव्यापी सरस्वती पूजनोत्सव नेपालदेशक मिथिला क्षेत्र के सप्तरी जिलाक तिलाठी गाम में अहु वर्ष भव्यता सँ सम्पन्न भेल अछि। एहि पूजनोत्सव पर आधारित एक महत्वपूर्ण लेख जेकर लेखक अपन ब्राह्मण समाज विराटनगर के अध्यक्ष कुमुद मोहन झा लिखलन्हि अछि, जे स्वयं एहि सुन्दर गाम आ परम्परा के प्रत्यक्षदर्शी सेहो छथि, हिनकर आलेख स्वतःस्फूर्त व्याख्या कय रहल अछि।

लेख

– कुमुद मोहन झा

सप्ताह दिनक पूजनोत्सव आई मूर्ति विसर्जन के सॅग सम्पन्न भेल | सप्तरी जिलाक तिलाठी गाम मे वसन्त पञ्चमीक अवसर पर माॅं सरस्वती के सार्वजनिक रुप सॅ पूजन आ भब्य पूजनोत्सव करीब सबा सौ साल सॅ आयोजित होइत आबि रहल अछि | एहि समयान्तराल मे गामक विभिन्न पीढ़ी के सक्रिय सहभागिता , अनन्य विश्वास एवं प्रगाढ़ श्रद्धा एहि पूजनोत्सव केॅ ग्रामीण महोत्सव के रुप मे परिणत कऽ देलक अछि |

माँ सरस्वतीक विशेष कृपा एहि गाम पर रहल अछि, वि. सं. २०२३ साल मे ग्राइजुएट हाउस के चुनाव के समय मे नेपाल अधिराज्य भरि मे सब सॅ बेसी ग्राइजुएट वाला गाम इएह तिलाठी छल | वर्तमान समय मे आओर बेसी शैक्षिक प्रगति देखल जाइत अछि, सैकड़ों के संख्या मे इन्जीनियर, डाक्टर, प्राध्यापक, शिक्षक एवं अन्यान्य पेशा कर्मी एतए के धरोहर छथि |

यद्यपि उपरोक्त अधिकांश सरस्वती पुत्र लोकनि के कर्म भूमि गाम सॅ बाहर अछि तथापि एहि पूजनोत्सव पर सभक प्रयास रहैत छन्हि जे गाम निश्चित पहुंची, ग्रामवासी के लेल ई अत्यंत रोमांचक क्षण होइत अछि जखन आत्मीय जन के मेला मे विद्याधिष्ठात्री देवी के आरधना होइत छैक |

जतए एहि पूजनोत्सव के आयोजन होइत अछि ओहि स्थान केॅ पाठशाला कहल जाइत अछि | वास्तव मे ई पूर्व काल के त्रिचन्द संस्कृत महाविद्यालय के प्रागंण थीक जकर स्थापना राणा प्रधानमंत्री चन्द्र शमशेर के समय मे एहि गामक स्वनामधन्य सुपुत्र ज्योतिषी यदुनन्दन मिश्र के प्रयास सॅ भेल छल |

एहि महाविद्यालय सॅ नेपाल आ भारत के सैकड़ों छात्र लोकनि व्याकरण, साहित्य, न्याय मिमांसा आदि विषय के आचार्य भेलाह | सरस्वती पुत्र सभक कठोर तपस्या सॅ पवित्र भेल ई भूमि कोनो सिद्ध देव स्थल सॅ कम महत्व नहि रखैत अछि | एखनहु अनुभूति होइत अछि जेना एहि भूमि के कण कण सॅ वेद ध्वनि गुञ्जायमान होइत हो | वार्षिक सरस्वती पूजन के आयोजन सर्वप्रथम अहि महाविद्यालय के गुरु आ छात्र सभ के द्वारा भेल छल जे कालांतर मे ग्रामीण के सहयोग आ सहभागिता सॅ ग्रामीण पूजा मे परिणत भऽ गेल |

पं. लालजी मिश्र, पं. दामोदर झा, पं. काशीनाथ ठाकुर सनके अद्वितीय गुरु सभक रेखदेख मे आरम्भ भेल एहि पूजा केॅ उत्सव मे परिणत करबाक हेतु तत्कालीन छात्र लोकनिक द्वारा पूजा अनुष्ठान मे सक्रिय सहभागिताक सॅग नाट्य परम्पराक आरम्भ कएल गेल, जे एखनहु एहि अवसर के मुख्य आकर्षण बनल अछि |

ब्राह्म मुहुर्त मे वेद ध्वनि आ भगवतीक स्तुति सॅ शुरु भऽ प्रातःकाल पूजन, सप्तशती पाठ, तत्पश्चात् विशिष्ट गायक सभ के द्वारा सांगितिक कार्यक्रम के प्रस्तुति, एकर बाद फैलका पर दंगल, दंगल के समाप्तिक सॅग नौटंकी आरम्भ, रात्रि के १० बजे धरि नौटंकी समाप्त आ नाटक प्रारंभ होइत छल जे ब्राह्म मुहुर्त धरि चलैत छलै | अर्थात अहर्निश माँ भगवती के पूजा आराधना के उत्सव मे परिणत करबाक हेतु किछु ने किछु कार्यक्रम अनवरत रुप सॅ आयोजन करबाक परम्परा कमोबेश एखनहु विद्यमान अछि |

एहि पूजनोत्सव के एहेन भब्य आ सभ्य स्वरूपक सूत्रधार लोकनिक चरण कमल मे सादर नमन करैत आगामी वर्षक सरस्वती पूजा के प्रतीक्षा पुनः आरम्भ भऽ गेल | यद्यपि भगवती के मूर्ति जल प्रवाहित भऽ गेल तथापि हुनकर विसर्जन कहिओ नहि होइत अछि | माँ भगवती केॅ कोटिशः नमन 🙏करैत प्रार्थना जे “सरस्वती पूजितासि मयि रमस्व” |

(लेख असंपादित अछि आ लेखक के फेसबुक सँ साभार लेल गेल अछि।)