८ नवम्बर २०२१ । मैथिली जिन्दाबाद!!
विचार
– प्रवीण नारायण चौधरी
युवा लेल विशेष प्रेरणाः जयराम यादव

हालहि काली पूजा महोत्सव मे जयराम जी अपन विशिष्ट सहभागिता देलनि, सम्बोधन मे सेहो बड़ा सहज भाव सँ अपन विचार आ सहयोगक प्रतिबद्धता जनौलनि। तहिना चित्रगुप्त पूजनोत्सव पर आयोजित ‘कायस्थक प्रतिभा’ नामक कार्यक्रम मे सेहो अपन योगदान समाजक विकास लेल समर्पित रखबाक वचनबद्धता रखलथि। मंत्री नियुक्त होइते अपन मातृभाषा मैथिली मे शपथग्रहण करैत एकटा सुन्दर आदर्श स्थापित कयलथि। अध्ययनशील आ जिज्ञासू स्वभाव केर व्यक्तित्व सादा जीवन उच्च विचार केर गांधीवादी सोच रखैत एला अछि जयराम जी आ भगवतीक कृपा सेहो हिनका ऊपर सदिखन देखलहुँ हम। विराटनगरक जतुआ मे हिनक निवासस्थल पर हिनक महान संत आ महात्मा पिता द्वारा सुन्दर सनक राधेकृष्ण भगवानक मन्दिर बनायल गेल अछि। एहि मन्दिर तक मौर्निंग वाक करैत आइ सँ १५ वर्ष पहिने हम जाइत रहल छी। जतुआ एकटा छोट गाम जेकाँ अछि लेकिन श्रीरामजानकी मन्दिर, लक्ष्मीनारायण मन्दिर आ राधेकृष्ण भगवानक मन्दिर – ३ टा प्रमुख मन्दिर एहिठाम अवस्थित अछि। लोक एहि टोलक सम्बन्ध मे बाहर बड हल्ला-गुल्ला करैत अछि, परन्तु यथार्थतः एहि टोलक भीतर के सुन्दरता वैह जानि सकैत अछि जे एहि स्थान आ स्थानीय सँ सामीप्यता स्थापित करत। अत्यन्त पवित्र भूमि जतुआ केर अत्यन्त पवित्र परिवारक ई बेटा संविधान सभा (प्रथम) केर सभासद (Member of Constituent Assembly of Nepal) सँ प्रदेश सभासद (State MP) आ आब एक महत्वपूर्ण मंत्री सेहो बनलाह अछि, एकटा जीवन्त प्रेरणाक रूप मे एकरा हम सब क्यो स्वीकार करी, अंगीकार करी। विशेष रूप सँ वर्तमान युवा पीढी आ छात्र वर्ग केर हम ध्यानाकर्षण करैत यैह कहब जे जखन समय भेटय मंत्री जयराम यादवक जीवन आ जीवनी सँ प्रेरणा ग्रहणार्थ विशेष अध्ययन जरूर करू। मृदुल वाणी आ व्यवहारक धनी व्यक्ति श्री यादव एखन आर बहुत दूर धरिक यात्रा तय करता ई तय अछि।
अन्त मे गीताक एक अत्यन्त विशिष्ट सन्देश, कर्म परायणता पर आधारित अध्याय ३ केर २१म् श्लोक पर सभक ध्यानाकर्षण करैत सदिखन अपन श्रेष्ठ प्रति सम्मानक भाव राखि श्रेष्ठताक अनुकरण लेल आग्रह करब, कथमपि केकरो श्रेष्ठता केँ ओकर जातिक नाम वा ओकर सौर्य सँ ईर्ष्या कय श्रेष्ठ मार्ग सँ विचलित भऽ भाषिक-सांस्कृतिक विखंडनकारी नहि बनब, हम बेर-बेर यैह अनुरोध करब।
यद्यदाचरति श्रेष्ठस्तत्तदेवेतरो जनः।
स यत्प्रमाणं कुरुते लोकस्तदनुवर्तते॥३.२१॥
भाषा आ संस्कृति सब बातक मूल होइत छैक। भाषा मे शुद्धता लेल व्याकरण पढ़ब आ बुझब परम अनिवार्य होइत छैक। वगैर समुचित ज्ञान रखने भाषाक व्याख्या करब त अनर्थ हेब्बे टा करत। तेँ सदिखन श्रेष्ठक अनुकरण करैत श्रेष्ठता धारण करू आ जतेक बेसी संभव हो ओतेक बेसी पवित्र आ पवित्रतम् बनू।
जयराम जी केँ पुनः बधाई! ईश्वर अहाँक यात्रा सदिखन सुगम राखथि आ अहाँ एहिना सफलताक नित्य नव डेग बढबैत समाज आ सभ्यता केँ अक्षुण्ण राखू। ॐ तत्सत्!!
हरिः हरः!!