शालिनी प्रिया – संघर्ष सँ सफलता केर विलक्षण उदाहरण

मिथिलानी विशेष व्यक्तित्व परिचय

– बेबी झा, शिवहर

शालिनी प्रिया – संघर्ष सँ सफलता केर विलक्षण उदाहरण

विशेष मिथिलानी व्यक्तित्वक वर्णन मे आइ हम एकटा एहेन व्यक्तित्वक चर्चा कय रहल छी जे मात्र अप्पन बुद्धि आ बल-बुत्ता पर आगू बढि वर्तमान हरेक बच्चा लेल प्रेरणापात्र छथि ।
कार्तिक मास सन् १९९८ ई. मे मधुबनी जिलाक अन्तर्गत प्रख्यात महादेव स्थान “भुवनेश्वर स्थान” नाहर भगवतीपुर मे शालिनी प्रियाक जन्म भेलनि । पिता स्व० मनोज कुमार झा आ माता श्रीमती नीलू देवीक ई दोसर संतान संगहि जेठ भायक छोट बहिन छथि । बचियाक प्रारंभिक पढाई दिल्ली मे भेल मुदा मात्र दस वर्षक अवस्था मे पिताक आकस्मिक मृत्यु भऽ जेबाक कारण पुनः दरभंगा मे अपन माय संग मामा-मामीक निवासस्थान मे रहिकय शिक्षा ग्रहण कयलीह। हिनक माय “संत टेरेसा स्कूल” मे शिक्षिकाक रूप मे कार्यरत रहथि, आर शालिनी सेहो अपन पढाईक संग – संग किछु बच्चा सब केँ ट्यूशन पढबैत असगरुआ माय केर आर्थिक उपार्जन मे सहयोग करैत रहलीह । शालिनी पढाई मे एतेक अव्वल रहलीह जे केवल स्कूल केर पढाई पर निर्भर रहैत अपन हरेक परीक्षा मे प्रथम स्थान प्राप्त करथि । किछु दिनक बाद परिस्थिति एहेन भेलनि जे हिनकर दादीक स्वास्थ्य स्थिति गड़बड़ रहय लगलनि आर हुनक रेखदेख वास्ते हिनका सब पर भार पड़ि गेलनि । शालिनी अपन माँक संग नाहर भगवतीपुर मे स्थायी रूप सँ दादी-दादा लग रहय लगलीह । बीमार दादीक कनिये दिन मे निधन भऽ गेलनि । असगर बुढ बाबा केर सेवा लेल ई लोकनि गामहि मे रहय लगलथि । हिनक विद्यालयक डायरेक्टर हिनका आबय देबय लेल तैयार नहि रहथि, हुनकर कहनाम छलन्हि शालिनी केँ होस्टल में राखि निःशुल्क शिक्षा देबय । मुदा स्वाभिमानी माँ केँ ई बात ठीक नहि लगलनि । तारमतोर जगह बदलाव आ परिस्थिति प्रतिकूल रहितो शिक्षाक प्रति हिनकर रुझान कनिकबो कम नहि भेलनि । गामहि सँ मैट्रिक आ इन्टर कय केँ ई दरभंगा सी एम कालेज मे कखनो मामाक डेरा त कखनहुँ गामहि मे रहि बिना कोनो ट्यूशन कएने नब्बे प्रतिशत लब्धांक सँ बीबीए केर पढाई पूर्ण कयलीह, संग-संग कौलेज टौपर केर रूप मे “गोल्ड मेडलिस्ट” के प्रतिभागी सेहो बनलीह । बीबीए धरिक शिक्षा पूर्ण होइते नौकरीक लेल प्रयासरत भेलीह आ दुइए महीनाक बाद कोटक आ आईसीआईसीआई दू टा प्राइवेट बैंक मे मैनेजर केर पद पर चयनित भेलीह । एखन मुजफ्फरपुर कोटक बैंक में कार्यरत छथि, संगहि डिस्टेन्स एजुकेशन सँ एमबीए आ सरकारी बैंक केर तैयारी सेहो कय रहल छथि । कतेको बेर बैंक सँ अवार्ड भेटि चुकल छन्हि । रहन – सहन मे एखनहुँ पूर्ण सादगी आ शाकाहारी, पहिराबा – ओढाबा एकदम साधारण ! एतेक कम उम्र मे ठीक – ठाक कमाइ रहितो अपना – आप पर एक रुपया अनावश्यक खर्च नहि करैत छथि । बाबा, यद्यपि पेंशनधारी छथिन तथापि हुनका योग्य समान आर माँ केर आवश्यकताक वस्तु जुटेनाय ई अपन कर्तव्य बुझैत छथि । जाबत धरि अप्पन लक्ष्यक प्राप्ति आ घरक सुविधाक वस्तु नहि जुटा लेब ताबत धरि विवाह नहि करबाक लेल संकल्पित छथि । बहुत बच्चाक मुंह सँ एहेन बात सुनबा मे अबैत अछि जे समुचित सुविधाक अभावक कारण कोनो निश्चित कार्य पूरा नहि भय सकल, ओहेन व्यक्तिक लेल ई प्रेरणास्रोत छथि । ई सिद्ध कय देखेलीह जे जेकरा स्वयं मे लगन रहतैक ओ अपना लेल आगू बढयवला रास्ता निर्माण स्वयं सेहो कय सकैत अछि । धन्य अछि ओ मिथिला आ ओ जन्म देबयवाली माय जे एहेन व्यक्तित्व केर सृजन कयलक । भगवती केँ प्रणाम । जय मिथिला जय जानकी !!