मिथिलाक धरोहर
मिथिला के सब गाम अछि सुन्दर
बचाउ एहि ठामक सब धरोहर
एहि नाराक संग ‘दहेज मुक्त मिथिला’ केर परिकल्पना २०११ ई. मे कयल गेल। सिर्फ दहेज-दहेज करब त मिथिलाक चतुर-चालाक जनता अभियान केँ हवा मे उड़ा देत, लेकिन समाज, शिक्षा, संस्कार, भाषा, संस्कृति, साहित्य संग अपन इतिहास आ ऐतिहासिक धरोहर केर रक्षा हेतु आगू आबि समाज केँ ‘दहेज मुक्त’ बनेबाक बात कहब तखनहि कतहु सुनबाई सम्भव भऽ सकत।
बिल्कुल यैह साहित्य पर कार्यारम्भ भेल छल। सौराठ सभागाछी केर गरिमा केँ आत्मसात करैत एहि विन्दु सँ आरम्भ कयल गेल ‘दहेज मुक्त मिथिला’क जमीनी अभियान। ई बात अलग भेलैक जे कनिकबे दिन मे ततबे पेपरबाजी (समाचारपत्र मे समाचार) भेलैक आ सोशल मीडिया पर एहेन हड़कम्प मचल जे मिथिलाक सियार सब सेहो हुआँ-हुआँ करैत जागि गेल आ लागल खेहारय। जमीनी अभियान मे सक्रिय अभियानी लोकनि सेहो छिटैक गेलाह। छोड़ू ई नकारात्मक बात! सकारात्मक पक्ष मे लाखों युवा जे आजुक एन्ड्राइड मोबाइल आ इन्टरनेट के जादू सँ सजल समाज अछि ताहि मे अभियान एहेन गतिशीलता प्राप्त कयलक जे स्मारिका विमोचन सँ लैत बेर-बेर मैराथन दौड़, अन्तर्राष्ट्रीय कवि सम्मेलन, सामाजिक अभियन्ता सम्मेलन, मैथिली महायात्रा, मिथिला ग्रामीण जागरण यात्रा आदिक सिलसिला चलिते आबि रहल अछि।
धरोहरक संरक्षण के करत?
धरोहरक संरक्षण गाम के कमौआ बेटा-बेटी करत, युवातुर करत आ अभिभावक बड़-बुजुर्ग लोकनिक संरक्षण मे सब काज होयत। बिल्कुल यैह प्रारूप पर सुदृढ़ सोचक संग ‘दहेज मुक्त मिथिला’ आगू बढल।
हालहि डाॅ राम विहारी झा एक चर्चा मे परिचय देलनि बाबा मुक्तेश्वरनाथ धाम, देवहार, मधुबनी केर। एकर वेबसाइट के लिंक सेहो साझा कयलनि। आइ एकर विस्तृत अध्ययन कयलहुँ। मिथिला मे पंजी व्यवस्थाक आरम्भस्थल यैह थिक से एहि धाम केर व्यवस्थापक आ पूजारी संग विद्वान् लोकनिक मत अनुसार कहल जाइत अछि। वेबसाइट पर उपलब्ध विस्तृत विवरण केर अध्ययन सँ ‘मिथिलातत्त्वविमर्श’ केँ आधार मानि राजा हरिसिंह देव केर कालखंड सँ एहि स्थल पर विद्वान् लोकनि जुटिकय पंजी व्यवस्था केर आवश्यकता आ रख-रखाव आदिक कार्यारम्भ कयलनि ताहि बातक मोट जानकारी भेटैत अछि। दुःखक बात जे हम सब अपनहि गरिमामयी इतिहास नहि पढि पेलहुँ, परञ्च गोटेक मूल्यवान् विद्वान् लोकनि मिथिलाक इतिहास केँ लिपिबद्ध कय महान कार्य कयलनि से विदित बात छी। राम विहारी जीक साझा कयल वेबसाइट हमरा काफी उत्साह प्रदान कयलक, कारण यैह सपना त ‘दहेज मुक्त मिथिला’ केर स्थापनाकाल मे हमहुँ देखने रही, युवा जनजागरण मे कमौआ बेटा केँ प्रेरित करैत गाम-गाम के धरोहर रक्षार्थ स्वयंसेवाक नारा आ साहित्य पर काज करैत आबि रहल छी। से देवहार ग्रामवासी सच कएने देखेलाह। एहि गामक कण-कण केँ हमर प्रणाम। भगवती सँ प्रार्थना करैत छी जे जल्दी बाबा मुक्तेश्वरनाथ केर दर्शन हमरो नसीब मे दीहथि।
ओहि सपूत सब केँ हमर प्रणाम जे एतेक मेहनति सँ ई वेबसाइट तैयार कयलनि अछि, हिन्दी मे पूरे देशवासीक सुविधा लेल सूचना उपलब्ध करौलनि अछि। अहाँ सब सेहो देखूः
यैह जरूरत छैक। हरेक गाम के धरोहर केँ वर्णन करय लेल एहि तरहक वेबसाइट ओहि गाम-ठाम के समाज स्वयं स्फूरणा सँ पूरा करथि। आरो कतेको वीर सपूत – सजग समाज अपन-अपन गाम-ठाम के धरोहर पर वेबसाइट बनौने हेताह, यदि हमरा सब केँ जानकारी करा देता त बहुत आभार मानबनि। अहाँक नजरि मे जँ आर एहेन लिंक हो त कृपया साझा करू।
एहि तरहें मिथिलाक गरिमा सौंसे पसरत। सीताजीक नैहर घूमय लेल सौंसे देश-विदेश के लोक एनाय शुरू करत। अपन-अपन गाम के धरोहर केँ खूब सजाउ आ खूब प्रचार करू। पर्यटकीय महत्व केँ उजागर करू। पर्यटन उद्योग केँ बढावा दियौक। आब त पिच्ड-सड़क आ संचार (कनेक्टिविटी) सेहो बहुत नीक भऽ गेल अछि। मिथिला पर्यटन सर्किट पर सब मिलिजुलि काज करब त ओ दिन दूर नहि जे एतय लाखों लोक केँ घरहि पर रहैत स्वरोजगार भेटि जायत। आउ, प्रयास केँ बढबैत छी।
बेटा बेटी एक समान
दुनू के होइ एक्कहि सम्मान!!
जय दहेज मुक्त मिथिला!!
जय मिथिला जय जानकी!!
हरिः हरः!!