आलेख
– प्रवीण नारायण चौधरी
एकटा महत्त्वपूर्ण घटना याद आयल। पिछला साल नवम्बर मे गाम मे विद्यापति पर्व समारोह आयोजित करैत साहित्य रसधारा सँ गामक आम जनमानस केँ परिचित करबैत डीजे संस्कृति आ भोजपुरी तथा आन-आन भाषाक फूहर गीत-संगीत सँ समाजकेँ सुरक्षा प्रदान करबाक निमित्त राखल गेल कार्यक्रम बहुत शान्तिपूर्ण आ भव्यताक संग समापन भेल छल। कार्यक्रमक प्रथम सत्र विचार गोष्ठी मे गामक बदैल रहल संस्कृति मे मैथिली मातृभाषा प्रति बढि रहल दूरी पर समीक्षात्मक-विश्लेषणात्मक टिप्पणी करीब ७३ टा वक्ता, विद्वान् एवं कवि द्वारा ७ घंटाक विद्वत् गोष्ठी एवं कवि गोष्ठी द्वारा जनमानस समक्ष राखल गेल छल। एहि मे आसपासक सब पत्रकार लोकनि सेहो आयल छलाह। प्रथम सत्र केर समापन पर भोजभातक आयोजन छल। पत्रकार महोदय सब सेहो सहभागी भेलाह। दोसर सत्र सँ पूर्वहि हुनका लोकनि जे दूर गाम सँ आयल छलाह ओ सब विदाइ लेबाक लेल आयोजनपक्ष सँ सम्पर्क केला। एक गोटे इशारा केलखिन जे हिनका सबकेँ विदाइ जे देबाक हो से दऽ दियौन। संयोजक सोचलाह जे संभवत: चाय-पान एवं ओतय अयबा मे जे पेट्रोल आदिक खर्च भेलनि से देबाक लेल कहि रहला अछि। ओ अपन जेबी सँ एक-एक टा नमड़ी निकालिकय हुनका लोकनिक हाथ मे दैत अन्यत्र ध्यान देमय लगलाह आ कि ओ पत्रकार बंधु सब संयोजकक मुंह तकैत बीच मे सिफारिश करनिहार केँ किछु इशारा केलखिन… संयोजक महोदय केँ ओ सिफारिशकर्ता कहलखिन जे बौआ, हिनका लोकनि केँ किछु आरो कय दियौन… संयोजक पुन: जेबी मे हाथ दय एक-एक टा नमड़ी आरो देलखिन। ताहि पर सिफारिशकर्ता कहलखिन जे एकटा पूरे दऽ दियौन… ई एकटा पूरा कि होइत छैक… कि कहय लेल चाहि रहल छी भाइ, खुलिकय बाजू, कनेक डपैटकय संयोजक सिफारिशकर्ता एक राजनीतिक दलक कार्यकर्ता सँ पूछलखिन। तऽ ओ अपन एकटा हाथ देखबैत कहलखिन जे ५०० टाका वाजिब होइत छैक। संयोजक केँ पता छलन्हि जे ओ कार्यक्रम समस्त ग्रामीण मिलिकय आयोजन केने छलाह तैयो बड पाइ घटैत छलैक तऽ एकटा परिवार जे संभ्रान्त आ संपन्न छलाह हुनकर प्रायोजन सँ सबटा पार लागि रहल अछि आ ताहि बात सँ ओ राजनीतिक कार्यकर्ता सेहो परिचित छलाह, तैयो एना कियैक कहि रहल छथि… खैर… ओ जेठ भाइ मानि सम्मान दैत चुपचाप ५००-५०० टाका पत्रकार महोदय सब केँ हाथ मे दैत छुटकारा लेला। ओ राजनीतिक कार्यकर्ता कहलखिन जे जाय-जाउ खुशी सँ आ नीक जेकाँ समाचार छापि देबनि।
दोसर दिन भने एकटा पत्रिका मे समाचार छपल आ दोसर मे छपबे नहि कैल। पूछला पर पता चलल जे हुनका जे विज्ञप्ति लिखकय देल गेल छल से कतहु हेरा गेल। ओ आइ लिखिकय समाचार पठौता आ बढियां कवरेज संग समाचार जरुर छपत। दोसर दिन भने फेर ओहि पेपर मे समाचार नहि छपलैक। पूछला पर ओ कहलखिन जे कि कहू सर, लिखिकय पठेलियैक, मुदा हेड अफिस नहि छपलक, हम कि करू। बात खत्म भेल, आयोजनकर्ता आ सिफारिशकर्ता बीच एहि बात लेल कनेक नोक-झोंक भेला पर ओ राजनीतिकर्मी कहलखिन जे हम तऽ अहाँकेँ मात्र १०० टाका के एक नोट देबाक इशारा केने रही, मुदा अहाँ ५०० बुझि हुनका सबकेँ बेसी दय देलियैन। बस कहासुनी होइत रहल, संयोजक ई बुझि गेला जे भऽ सकैत छैक जे भाइसाहेब अपन राजनीतिक फायदा सोचि ओकरा सबकेँ बेसी दिया देलखिन। तथापि समाचार नहि छपबाक आक्रोश पर हुनका सुनय लेल भेटलनि जे जहिया-कहियो ओ आब भेंट हेता तहिया एहि बात लेल हुनकर खिचाई अवश्य करब। जाहि पेपर मे समाचार छपबो कैल ताहि मे नाम देबाक होड़बाजी बेसी आ कार्यक्रमक विषय-उद्देश्य आ मूल भाव पर कोनो विवरण नहि देखि आयोजनक महत्त्व घटल बुझि दरभंगाक पत्रकार प्रति ओहि गामक बुद्धिजीवी समाज मे अफसोसक अलावे प्रतिक्रिया लेल किछुओ नहि देखायल।
आइयो अहाँ दरभंगा पृष्ठक कोनो समाचार पत्र पढू आ पत्रकारिताक मापदंड कि छैक से स्वयं देख सकैत छी। दरभंगा जेकरा मिथिलाक सांस्कृतिक राजधानी कहल जाइत छैक, जतय गाम-गाम मे उच्च कूलीन ब्राह्मण सँ लैत एक सँ बढिकय एक प्रतिष्ठित शिक्षित सुसंस्कृत गामक समूह आइयो बसल अछि, ताहि ठाम पत्रकारिताक मूल्य केवल हत्या, हिंसा, लूटपाट, आगजनी, बलात्कार, आपसी झगड़ा, राजनीतिक दलक गलाकट प्रतिस्पर्धा आ थोड़-बहुत सरोकारक विन्दु पर समाचार छोड़ि आन किछुओ टा नहि भेटत। पत्रकारक काज ओतय कोनो शिक्षित लोक कय रहला अछि वा कि सोर्स-पैरवी पर कोनो राजनीतिक कार्यकर्ता ई बुझब सेहो कठिनाह अछि। गोटेक उच्च-दर्जाक पत्रकार आ सेहो शहरी भाग मे छोड़ि आन सबटा ओहि दर्जाक पैरवी-पैगाम पर पत्रकार बनल बुझाइछ, जिनकार काजे एतबे अछि जे जगह-जगह सँ पाइ असूलू आ समाचार बनाउ। ई घोर चिन्ताक विषय थिकैक जे प्रबुद्ध समाजक संचारकर्मी एहि तरहें खुलेआम मूल्यहीन समाचार संप्रेषण करय आ जिबंत समाज केँ मृत्युक मुंह मे धकेलय। हमरा उम्मीद अछि जे एहि तरहक व्यवहार पर हरेक अखबारक संपादक स्वत: संज्ञान लैत कार्रबाई करय। नहि तऽ समाजक सेहो ई काज अछि जे ओ सब समाचार संचार-व्यवस्था प्रति सजग बनैत घटिया पत्रकारिता पर अंकुश लगबैथ। हमर दावा अछि जे अहाँ दरभंगा पृष्ठक कोनो समाचार पत्र मे समाजक सकारात्मक आ विकासात्मक पक्ष पर कोनो समाचार संकलन सामान्य रूप सँ नहि देखि सकब, एहि लेल भले कोनो टा पत्रिका खोलिकय देखि सकैत छी।