भारत आ नेपाल केर जनगणना आ मैथिली – किसलय कृष्ण केर विचार

विचार

– किसलय कृष्ण

पहिचानक स्थापना आ भाषिक अधिकार लेल अनिवार्य अछि जनगणना मे मातृभाषाक प्रविष्टि

जनगणनाक समय आबि गेल अछि, से प्राय: भारत आ नेपाल दुनू राष्ट्र मे । जनगणना मात्र जनक गणना नहि अपितु कैकटा विन्दुक महत्वपूर्ण दस्तावेज होइत अछि, जाहि आधार पर हमरा सभ केँ विभिन्न संवैधानिक अधिकार भेटल करैत अछि । अस्तु, एतय हम खासकय दुनू पारक वृहत मिथिलावासी केँ साकांक्ष करैत कहय चाहब जे जनगणना क्रम मे मातृभाषा कालम मे मैथिली अंकित करी । घर फूटय गँवार लूटय वला विभेदकारी नीति सँ दूर रहि सोचबाक बेगरता अछि, नहि तँ पहिचानविहीनताक संग अधिकारविहीन सेहो होयब ।
 
मोन रहय जे कोनो टा भाषा एक ढंग सँ नहि बाजल जाइत छैक । पटना, इलाहाबाद, दिल्ली, मुम्बई मे हिन्दी बजबाक विभिन्न टोन अछि, मुदा समग्रता मे ओ हिन्दी छैक । तहिना काठमांडू, इलाम, बुटवल, तेह्रथुम मे नेपालीक फराक शैली रहितो सभ नेपाली थिक। कोनो विवाद नहि छैक एहि भाषा सभक शैली आ टोन पर । किन्तु भाषायी साम्राज्यवादक लेल हमर अहाँक भाषा पर जातीय-क्षेत्रीय आरोप लगाय एकरा खण्डित करबाक दुष्चक्र अदौकाल सँ चलैत आबि रहल अछि आ हम सभ अपन भाषा रूपी माय केँ नोचिकय खण्डित करबाक प्रयास मे मगन छी ।
 
बोलू….एना मे केना बचत भाषिक अस्तित्व आ कोना अपन संख्याबल पर सत्ता प्रतिष्ठान सँ मांगि सकब भाषिक संरक्षण आ संवर्द्धनक अधिकार ।
 
तेँ एखनो हमरा सभ लेल जगबाक आ चेत जयबाक समय अछि । तमाम विभेदकारी षडयंत्र केँ अकानैत हम सभ संज्ञान ली जे हमरा सभक पूर्वज जनक, जानकी, राजा सलहेस, लोरिक, दीनाभद्रीक भाषा मैथिली छल आ गई खनहुँ सम्पूर्णता मे मिथिलाक मातृभाषा एकमात्र मैथिली अछि । आबयवला जनगणना मे अपन विराट भाषिक अस्तित्व केँ स्थापित करबाक लेल आउ जनगणना मे मातृभाषा मैथिली लिखाबी ।