मिथिला मतदाता जागरण यात्रा: संस्मरण
– प्रवीण नारायण चौधरी
(आम निर्वाचन २०१४ पूर्व कैल एक यात्राक वृतान्त)
प्लान बनेलहुँ जे माँ जानकी केर शरण (पुनौराधाम) मे लेल संकल्प (२०१४ केर चुनाव तक मिथिलाक जनताकेँ स्वराज्य लेल जागृति अभियान पूरा करबाक) प्रति निष्ठावान बनैत भाजपा पूर्वांचल प्रकोष्ठ (दिल्ली) केर माननीय मंत्री आ मित्र-भाइ श्री अमर नाथ जी संग भेल वार्ता अनुरूप कुर्सों भगवतीस्थानमे भेटघाँट कार्यक्रम करब आ फेर दोसर दिन भने मधुबनी होइत आपसी करब, यैह अनुरूप परसू गाम लेल गेल रही। बोर्डर मे बहुत अनुरोध केलो पर आवश्यक अनुमति पत्र अधिकारीगणक अनुपस्थितिक कारणे नहि भेट सकल, तदापि निश्चित दायरामे यात्रा करबाक व्यवहारिक प्रक्रिया अनुरूप रूट परिवर्तन करय पडल। बेर-बेर श्री किसलय भाइ केर फोन आ सहरसा, बनगांव केर कार्यक्रम प्रति सोच बनैत रहल छल। लेकिन अन्ततोगत्वा परिस्थितिजन्य कारण सँ रूप परिवर्तित भऽ चुकल छल।
अररिया आ सुपौल (आंशिक) आ तेकर बाद झंझारपुर होइत सीधा भालपट्टी, अदलपुरा, सकरी, मनीगाछी, विदेश्वरस्थान, लगमा, शकतपुर, कथबार, ककोढा, मछैता आ कुर्सों पहुँचि गेलहुँ। भालपट्टीमे रोड-शो करैत भेट भेलाह अमर नाथ बाबु आ भाजपा सांसद प्रत्याशी भाइ कीर्ति आजाद – एक मैथिल अभियानीक रूपमे जन्तर-मन्तर दिल्ली पर हुनकर समर्थन आ भारतीय संसदमे वर्षों बाद फेरसँ हुनकहि द्वारा प्रस्तुत प्राइवेट मेम्बर बिल प्रति आभार प्रकट करैत हुनकर चुनाव प्रचार अभियान मे एक मिथिलावादी आ भाजपाक नैतिक समर्थक रहैत हमरा गर्वकेर अनुभूति भेल, संगहि कृतज्ञ आन्दोलनी आ संस्कृतिक संरक्षण हेतु सचेतक केर भूमिका मे सेहो अपना केँ लगा पेलहुँ जेना आत्मगौरवक अनुभूति भेटल।
समस्या छैक क्षेत्रमे मतदाताकेँ ई बुझेनाय जे आखिर ई संसदीय चुनाव आ विधानसभा चुनावमे कि अन्तर – सब एक्कहि टा बात बुझैत छैक जे फल्लाँ कोनो विकास मे ध्यान नहि देलाह, चिल्लाँ तऽ किछु करबो केलक… वोट लेबा घडी अबैत छी अहाँ सब आर घडी नीक बोली-वचन तक क्षेत्रक जनता जे अपेक्षा रखैत याचना पर्यन्त करैत अछि तऽ दुत्कार भेटैत छैक, आरो कतेको तरहक बात…. बस जनता संग सम्पर्क केला सऽ अधिकांश आम मतदाताक मोन अहिना छटपटाइत देखलहुँ। ई कोनो पहिले बेर नहि जे छटपटाहट कीर्तिजी केर किछु व्यवहारसँ जनता अपनाकेँ उपेक्षित मानलक, यैह बात सब दिन अपन जन-प्रतिनिधि सँ रखैत रहल अछि जनमानस। ओतहि चमचा-बेलचा आ चुनावी ठेकेदार, मुखिया-मैनजन, दलाल आ कतेको तरहक उपयोगी मौसमी बाप सबहक बड पैघ मैनेजमेन्ट होयबाक परंपरामे सेहो कोनो परिवर्तन नहि भेल अछि। लोक पैसा लेत, अपन वोट बेचत, एहि फिराक मे मुह बौने अछि। लेकिन शिक्षित, सम्भ्रान्त, सुशील आ समझदार लोक सब ‘नमो-मंत्र’केर उपयुक्तता सँ परिचित छथि, किछु गोटामे प्रश्न केर अम्बार सेहो छन्हि जेना बायस्ड मिडिया भारतीय न्यायतंत्रक आदेश सँ ऊपर समीक्षा करैत २००२-२००२ रटैत अछि, धर्म निरपेक्षतारूपी सत्यनारायण भगवानक प्रसाद बँटैत अछि, गुजराती विकास प्रति अनावश्यक आ खयाली संदेहास्पद बात सब प्रसार करैत अछि… बस ओतबा प्रश्न आ देशक चिन्ता करैत लोक अपन मतदान करत से निर्णीत अछि। नमो केर लहर एहि वर्ग मे छैक। जे चुनाव माने मौसमी कमाइ आ नेतबा-खरात लूटबाक ताक मे छल ओकरा लेल सब कियो एक्कहि रंग, जे पाइ देत, दारू देत, जातीयता व धार्मिक उन्माद वला भाषण तथा समाजमे दुर्गंध पसारत, बस ओकरा वोट बेच देब, काल्हियो अपने कमायकेर खाइत रही, आइयो ओहिना छी, काल्हियो ओहिना रहब। किदैन मारे सार नेता सबहक… सार सब चुनाव बेर मे आयल अछि तऽ दारू-पानीक इन्तजाम करय…. ओहि अनुसार देखबैक जे वोट देबय वला मशीन मे आंगूर कोन बटन दबेतैक। ई हालत अछि आम मिथिला-मतदाता केर। ओकरा मे स्वराज्य आ मिथिला राज्यक मुद्दाक समझ देबय लेल कतेक बेलना बेलय पडतैक से सहजहि अनुमान लगायल जा सकैत छैक।
चलू! हम सब आयल छी मूलत: मिथिला राज्यक माँगकेँ समर्थन देनिहार, स्वराज्य हेतु जिनकर योगदान छन्हि तिनकर महत्त्वपूर्ण कार्यशैली आ कमजोरी आदि पर मंथन करैत अहाँक मत केकरा पडय से निर्णय करबाक प्रथम उद्देश्य सँ… आ दोसर एवं अति महत्त्वपूर्ण उद्देश्य जे फल्लाँ पार्टी आ फल्लाँ नेताक मिथिला आन्दोलन मे कि योगदान छैक, कि संभावना छैक आ परिणाम कि निकलतैक ताहि सब पर अहाँ सब प्रबुद्ध समाज सँ चर्चा करबाक लेल। प्रेम सँ कहू – जय मिथिला आ तखन सुनू हमरा सब संग बीतल घटनाक्रम पैछला एक वर्ष मे प्रत्यक्षत: आ पैछला ७५ वर्षमे अही सब समान बुजुर्ग एवं विज्ञजन द्वारा मिथिला राज्यक माँग सँ आन्दोलनकेँ निरन्तरता देबाक मादे। जी! जिनकर जे योगदान छैक, आ ताहि सँ जे सुखद भविष्य केर सपना छैक, ओही वास्ते संसदीय चुनाव छैक। मर्दक बेटा ओ नेता जे हमर मुद्दाकेँ संसद तक पहुँचेलक, खुलेआम मिडियामे हमरा लोकनिक माँगकेँ रखलक, खुलेआम बिहारक दगाबाज मुख्यमंत्रीकेँ भरल सभामे नोच-खसोट केलक आ बात अन्ठेला पर भैर-भैर पाना मे विज्ञापन-विज्ञप्ति मार्फत अपन मतदाता सँ हृदयक बात रखलक। कौल्हको हिन्दुस्तानमे एकरा प्रकाशित कैल गेल छल। ताहि हेतु याचना नहि, अधिकार सँ कहि रहल छी जे अपने स्वच्छ मतदान मात्र मिथिलावादी लेल करब। जय मिथिला!!
समूचा मिथिला कि समूचा भारत नमो-मय अछि मुदा जेना कहने छी जे एक बड पैघ तवका जेकरा ओकर हितैषी दल कहेनिहार आइ धरि अनपढ आ दारुक पाउच मे वोट बेचनिहार वर्ग मे रहबाक संस्कृति मे रांगि देने अछि ओ सब अहिना बदलैत रहत। बुझायल ई जे यदि वोट-टर्न आउट आ बूथ मैनेजमेन्ट मजबूत रहल तऽ कीर्ति जी जरुर जीत हासिल करता, मुदा भीतरकटुआ सब सेहो नजैर पडल आ किछु एहनो स्थिति अछि जे मिथिलाक पुत्र रहैत देखाबामे मिथिलाक सेवक मुदा भीतरसँ स्याह अपन मातृ-अस्मिताकेँ सेहो कामूकताक अग्नि मे भस्म करनिहार किछु भ्रष्ट बेटा (नेता ओ ठीकेदार) सब मिलिकय अन्त-अन्तमे सेहो सब समीकरण खराब कय सकैत अछि, एहि आशंका सँ निवृत्ति नहि भेटल। हमर मिथिला आइयो ओतबे पाछां अछि। एहि ठाम रोग या तऽ कैन्सर रूपमे लागि गेल छैक आ राष्ट्रीय स्तर पर मतदान प्रक्रिया, प्रजातंत्रक प्रकार, नेताक योग्यता, जनताक अधिकार आदि लेल जरुर फेर सँ किछु बौद्धिक प्रक्रियाक आवश्यकता बुझा रहल अछि, नहि तऽ भारतीय लोकतंत्र अपन कमजोर बुनियादक कारणे कहियो भसैक सकैत अछि।
हम मिथिलावादी लेल आगामी २०१५ केर विधानसभा चुनाव धरि मौका अछि, ई बात हमरा सबहक नेता राजेश्वर (मिरानिसे) कहलैन। हृदयकेँ संतोष देलक। २०१४ कनेक गलत टार्गेट लऽ लेने रही, ई कमजोरीक अनुभूति हमरो भेल। लेकिन मन-वचन-कर्मकेर एकता बड पैघ बात हेतैक। एहि लेल अमरनाथजी, संजय रिक्थजी, अनुप चौधरी, संजय कुमार एवं समस्त मिथिला आन्दोलन प्रति समर्पित अभियानीकेँ मोन मे बैसे गेलैन अछि। फेसबुक सँ फुकास्टिंग करनिहारक कमी नहि छैक, काल्हिये जतबा काल हम सब यात्रा पर रही ततबा काल धरि एहेन-एहेन मिश्रित प्रतिक्रिया आ क्रिया सब देखल जाइत रहल जेकर भैर दिन हम सब समीक्षा करैत निर्णय यैह निकाललहुँ जे हल्लूक बात करनिहारक बातकेँ कहियो हृदय पर नहि लेल जाय। ओहेन लोककेँ हाथी बाजार मे चलैत काल कुकूरभुकाई समान नकारि देल जाय। हमर इहो अनुभव अछि जे आखिर-आखिर तक सब कियो एक्के रहब, सोझाँमे मोम जेकाँ पिघलैत प्रेम दरसेनिहार एखन लोकक नागरिकता आ राष्ट्रीयता केँ नापय वला काज सेहो कय रहल छथि, कहबी छैक जे बाप बंगोरा पुत चौतार… अहाँक मिथिलामे एहेन कतेको तीरंदाज मानव सब आइये नहि बहुत पहिनहि सँ रहलाह। विद्यापतिकेँ सेहो एहेन कतेको विरोधक सामना करहे पडल रहैन। गौतम ऋषिकेँ गोबध केर पापक प्रायश्चित तक करबाक जनादेश दियाओल गेल रहल। चिन्ताक कोनो बात नहि, हम रही, नहि रही, मिथिला बढिकय रहय – असल मिथिलापुत्रक रूपमे एहि संकल्प संग डा. लक्ष्मण झा स्मारक रसियारीमे सब कियो आन्तरिक संकल्प लेलहुँ। रिक्थ एकटा बड अनुपम आ सात्त्विक कार्य केलनि – ओ सबकेँ ओहि वेदान्त भूमि सँ एक-एक टा तुलसी पात तोडि देलाह आ कहलाह जे स्मृतिशेषक रूपमे तुलसीपत्र समान महत्त्वपूर्ण चीज राखब। मिथिला आन्दोलनीकेँ तुलसी धारण करौनाइ माने वैष्णव-धर्मक अनुगामी बनौनाय जेकाँ हमरा बुझायल। माँ तुलसीक पवित्रताकेँ विष्णु अपन माथ पर स्थान देने छथि, एक लोटा जल सँ तुलसी सींचन हमहुँ करैत छी तऽ मन हरखित रहैत अछि। रिक्थकेर ई गौरवपूर्ण व्यवहार सदैव सम्हरि कय याद राखब आ निर्वाह करब।
सब भैयारी खूब हँसी-खुशी यात्रा बितेलहुँ, कसरर ज्वालामुखी भगवतीक स्थान सेहो पहुँचलहुँ, अपन गामक भगवती स्थान, गलमाक सिद्धपीठ आ हरेक मन्दिर-मस्जिद सहित मिथिलाक लोकमानस संग खूब हलैस कय वार्ता करैत रहलहुँ। कोना बिसरब जे जिनकर कृपासँ सब किछु होइत छैक तिनकर कोरा मे बैसि खूब रास भजन-कीर्तन सेहो केलहुँ। धन्य बाबा विदेश्वर नाथ जिनका हमर आवाज सुनबाक रहैन से एक भयंकर ग्रहसँ ऊबारि देलाह, नहि तऽ उच्चपथपर दौडैत ट्रक हम दु गोटे सवार मोटरसाइकिलकेँ रौंदि देने रहैत… जे दृश्य देखि पाछू गाडीमे बैसल अमरनाथ बाबु सहित संजयजी, अनुप आदिकेँ सेहो दहला देने रहैन। लेकिन साक्षात् महाकाल जखन अहाँक रक्षक रहैत छथि, स्वयं सीताराम केर कार्यमे अहाँ समय दऽ रहल छी, तखनहु जँ एना दुर्घटना हेतैक तऽ वेदान्तकेँ कलंक लागि सकैत छैक। रात्रि १० बजे अमरनाथ बाबु रोकैत रहि गेलाह लेकिन पारिवारिक एवं सांसारिक दायित्वसँ बान्हल हमरा रुकब मंजूर नहि भेल, अन्त मे कोहुना-कोहुना ठैक-फूसियाकय प्रेमी अमरनाथजी केँ छल करैत हमरा भागहे टा पडल, नहि तऽ राइत मे फेर रुकय पडैत जे हमरा लेल हितकारी नहि होइत। माफी माँगयवला पोस्ट फेसबुक सँ करैत हम घर पर राति करीब साढे बारह बजे पहुँचि गेलहुँ। अपने लोकनिकेँ बहुत रास धन्यवाद, आब वोट करबा सँ पूर्व अपनाकेँ सम्भ्रान्त एवं सक्षम बनाबी यैह अनुरोध अछि। सहयात्री दिलीपजी केँ बहुत धन्यवाद जे बाबाक भजनगान करैत उपरोक्त धर्मयात्रामे संग देलाह।
जय मिथिला!!
हरि: हर:!!