जँ बेटी केँ सुखी देखबाक इच्छुक छी तँ कि करबाक चाही

विचार

– जय शंकर चौधरी

की चाही…? बेटी केर संस्कार, विचार और व्यवहार वा दान दहेज? आग्रह एक बेर पोस्ट के पढ़ियौ आ अपन प्रतिक्रिया व्यक्त करियौ!

दान, दहेज भेटला सँ सब बेटाक माँ-बाप के अत्यधिक खुशी होइत छैन्हि! मुदा कहि दी, ई खुशी क्षणिक छी। असली खुशी, परिवार कें, बेटीक संस्कार, विचार आ व्यवहार सँ भेटै छैन्हि। जे टिकाऊ ये! बेटीक बाप कें ई परम कर्तव्य थीक जे अपना बेटी में संस्कार, विचार आ व्यवहार ई तीनू चीज बढ़िया सँ भेटय ताहि बात पर विशेष बल देथीन। हमरा पूर्ण विश्वास अछि एहि सँ हमर बेटी केहनो विषम परिस्थिति में अपना के ठाढ़ राखत। ऐ तीनू बले ओ सासुर सँ नैहर तक सबहक दिल जीतत!

दान दहेजक खुशी सब कें भेटबे कर’त संभव नहि। दान दहेज नै भेटला पर ओकरा गाँठ बान्हि जीवन भरि बेटीक संग, अमर्यादित व्यवहार, परिवार केर सुख शांति भंग क’ दैत छैक।तें एहेन सुखक गीरह बान्हि बात-बात पर बहू कें अपमानित केनै कोनो तरहें उचित नै अछि। बेटी आन घर सँ लक्ष्मी केर रूप में अहाँ लग एली; ऐ बात कें गीरह बान्हि, हुनक संस्कार आ स्वभाव कें, अपना संस्कार आ स्वभाव में, घुलमिल जाइ तकर कोशिश कय, जीवनक रथ कें आगू बढ़ेबा में परिवार केर सब गोटे कें(दुनू पक्ष) सतत सहयोग करबाक चाही।

सुख आ दु:ख जीवनक दू टा पहलू छी तकर सतत ध्यान राखि सब गोटे एक दोसर कें मान सम्मान केर ध्यान रखने रहबै त कखनौ जीवनक गाड़ी लीक स’ नै हटतै आ हँसैते खेलैत मंजिल तक पहुँचब। कखनौ काल गलतफहमी केर कारणे सेहो रिश्ता में दरार आबि जाइत छै तें परिस्थिति केहनो होइ एक दोसर सँ बातचीत बंद नै राखक चाही। ई संस्कार आ ऐ व्यवहार सँ दुनू पक्ष कें च’लक चाही। जकरा छोट बात कहि नजरअंदाज कयल जाइ छै वैह पैघ बात बनि विस्फोटक कगार पर पहुँचि जाइत छैक तें छोट स छोट बात कें सेहो ध्यान राखक चाही।

कहबाक तात्पर्य जे संस्कार, विचार आ व्यवहार ऐ त्रिशूल सँ जीवनक संघर्षक रण क्षेत्र में केहनो विषम परिस्थिति में हम अहाँ जीत कें अपना वश म’ क’ सकैत छी। तें असली धन के पकडू आ नकली कें त्याग करू। धन्यवाद! 🙏

जय मिथिला जय मैथिली जय माँ जानकी

-जय शंकर चौधरी, ✍️२९/१०/२०