संस्मरण सन्देश
– रोशन जनकपुरी, जनकपुर

अफसोस ! एते होइतो हुनका केओ नेपालमे याद नइ करैत अइछ । ओना किछु जिवितेमे संस्था भ’ गेल छैथ । ओना ई कोनो आश्चार्यक बात नइ । स्पष्ट रुप स’ वामपन्थी झुकावबला डा. धीरेन्द्रक स्कूलक शिष्यसब हुनक कला पक्षक आनुगामी मात्र भेलाह, वैचारिक पक्षक नइ । शायद ईहे कारण रहल होयत जे जखन हुनका नेपाल प्रज्ञा प्रतिष्ठानक सदस्यता देबाक निर्णय भेल, त हुनक शिष्ये सब हुनक विरोधमे ठाढ भेल । हमरा हुनक स्कूलक विद्यार्थी होबाक सौभाग्य प्राप्त नइ अइछ । मुदा हमरा जनैत डा. धीरेन्द्रके विस्मरण कृतघ्नता होयत । अफसोस ! अखन तक ईहे भ’ रहल अइछ । मुदा केओ कतबो चाहओ, इतिहासके झाँपल नइ जा सकैय’ । नेपालक मैथिली आकाशमे डा. धीरेन्द्र एहने जाज्वल्यमान सूर्य छैथ । डा. धीरेन्द्र प्रति हार्दिक श्रद्धान्जलि !