मिथिला सभ्यता परिपूर्ण, तैयो हम सब भऽ रहल छी विमुख, झेलि रहल छी संकट

विचार

– डा. लीना चौधरी

मिथिला संस्कार और प्रकृति मैथिल समाज में जतेक पूजा पाठ अइछ सब हमरा सब के प्रकृति से बहुत गहराई से जोड़ैत अइछ। अखन काइले बीतल वटसावित्री पूजा में उपयोग सब वस्तु हमरा सबके बतबइ अइछ की छोट से छोट चीज के अपन महत्व अइछ। बांस के बीयन और बांसक डाली सीख द जाइ अइछ कठोर अवस्था में भी खुश और लचीलापन राखी जीवन में। वरक गाछ कतेक पथिक के संग चिड़ियां चुनमुनी और चींटी सब के आश्रय स्थली अइछ अई जेठक भीषण गर्मी में। जल से ओकर पोषण कैल जै ताकी सब के वो छाया उपलब्ध करवा सके संगहि ओकर जड़ि में रहय बला चींटी सब के पाइन मिल जाये, ईहो एकटा संदेश छल । प्रसाद जे हम सब चढ़बई छी ओ पोषण दइ अइछ ओही गाछ पर रह बला सब जंतु सब के। हमर मिथिला के सब संस्कार प्रकृति के पोषण के लेल अइछ तखन हम सब किया अहि से विमुख भ रहल छी और आइ जल आपदा सँ पीड़ित छी? एहि सवाल के जबाब सब के तकबाक अइछ।