धिया गरीबक कोना पोसायत यौ बाबु

– मनीष झा

beteeआँखि सँ झहरैत नोर कहै अछि
यौ बाबू !
धिया गरीबक कोना पोसायत ?
यौ बाबू !
किया कहै अछि लोक? धिया आन छै
यौ बाबू !
कोनो पाप त’ केलौं नै हम जन्मैत !
यौ बाबू !
लक्ष्मी कहबितो खगल रहै छी
यौ बाबू !
कियाक लागल अछि अंकुश हमरा पर ?
यौ बाबू !
किया नै पोथिक दर्शन भेलै ?
यौ बाबू !
मोन छल पढि-लिख बनितौं किछु हमहूँ
यौ बाबू !
करा दिय’ कक्षा नामांकन हमरो
यौ बाबू !
नै चाही गहना, नै गुड़िया,
यौ बाबू !
कलम आ पोथिक टा शौक अछि हमरा
यौ बाबू !
बनि क’ नीक , नीक हम करितौं
यौ बाबू !
पैर पकड़ि क’ कहै छी आई हम
यौ बाबू !
आँखि सँ झहरैत नोर कहै अछि
यौ बाबू !
धिया गरीबक कोना पोसायत ?
यौ बाबू !