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एहि सवालक जबाब दय सकैत छी की?

एहि सवालक जबाब अहाँ बताउ त!
– प्रवीण नारायण चौधरी
एहेन पहिल बेर देखि रहल छी जे एक सक्षम नेताक प्रखरता आ लोकप्रियता सँ बहुदलीय विपक्षी नेताक आवाज एक बनि गेल अछि, ओ सब एक्के गो राग अलापि रहल अछि जे ‘जँ ओ फेरो निर्वाचित होयत तऽ देश मे लोकतंत्र नहि रहत’। सारा विपक्ष एक सुर मे जनताक सोझाँ रोदन कय रहल अछि जे ‘जँ ओ फेरो निर्वाचित होयत तऽ संविधान बदैल जायत’। कि कांग्रेसी आ कि बामपंथी, कि समाजवादी आ कि बहुजन समाज पार्टी, कि तृणमूल कि बीजेडी, कि राजद कि टीडीपी कि डीएमके कि जेडीएस – एतेक तक कि काल्हि जे एक सुदृढ राजनीतिक शक्ति ‘राजग’ छोड़िकय ‘महागठबन्धन’ केर घटक दल बनल अछि, यानी कि उपेन्द्र कुशवाहा कि ओ. पी. राजभर – ई सब सेहो नरेन्द्र मोदी केर डर सँ थरथर काँपि रहल अछि अन्दरे-अन्दर आ बाहर सँ विलाप कय केँ जनताक सोझमतियापन केँ अपन रोदन सँ सिर्फ भटकेबाक राजनीति कय रहल अछि।
 
कनी सोचू – आखिर ई सब एना कियैक कय रहल अछि?
 
हमर मत स्पष्ट अछि जे जाहि देश मे राजनीतिक दल खोलनाय एकटा व्यवसाय बनि गेल छल, नेतागिरी केनाय सब सँ पैघ करियर बनेबाक बात कहल जाय लागल छल, ५ वर्ष मे जतय नेताक सम्पत्ति १० गुना अधिक बढि जाइत छल भले जनताक अशिक्षा, दरिद्री, पिछड़ापन केर आँकड़ा पहिनहुँ सँ बदतर कियैक नहि भऽ गेल हो, तेकरा सब केँ नरेन्द्र मोदीक नेतृत्व, अमित शाह केर नेतृत्व आ भाजपा द्वारा सुसंगठित गठन्धन केर ‘राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन’ केर कार्यशैली सँ आब ई सब दुकानदारी आ व्यवसाय चौपट होइत नजरि आबि रहल अछि। अपन व्यापार आ प्रतिष्ठा जखन दाँव पर लागि जाय तऽ हमर बर्बाद भ’ रहल छी, हमर व्यवसाय डूबि रहल अछि, ई सब बात नहि कय केँ सीधे हल्ला करब चालू करैत अछि जे पूरा जहाजे डूबि रहल अछि, सब कियो समुद्र मे फाँगि जाउ।
 
सवाल उठैत छैक जे – कि देशक जनता एखन धरि एतेक बेवकूफ अछि की?
 
हरिः हरः!!

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