नानाक गप्प माझेहि छोड़ि,
दौगल एलीह रिमिल आंगन मे माय लग –
“जानय छियैक मा
जीवित मनुक्ख रहय अछि धरती पर
मुर्दा जाय छथि परलोक –
गोलोक – शिवलोक – ब्रह्मलोक….”
बजने जायत छलीह रिमिल –
“अजीब जगह होय्त हेतैक स्वर्ग,
ओतय सब मुर्दा, सब प्राणहीन;
जीवित लोक पर निर्भर –
अकर्मण्य सभ”
बजलीह रिमिल –
“हम आ’र अहाँ
धरतिए पर नीक, जीविते नीक,
नीक काजे करैत!”
– अग्निमित्र
११.०५.२०१५.