मिथिलाक्षेत्रीय ग्रामीण भाग मे एक सँ बढिकय एक प्रसिद्ध गाम अछि। गामक प्रसिद्धि ओतुका जनमानसक विद्या आ वैभव संग धार्मिक-सांप्रदायिक सौहार्द्रता, आर्थिक विकास, शहरीकरण आदि अनेको आधार पर कैल जाइछ। पौराणिक कृति, धार्मिक पर्यटकीय स्थल, सार्वजनिक हितक संस्थान, शैक्षणिक संस्थान, स्वास्थ्य जाँच संबंधी विभिन्न संरचनात्मक निर्माण कार्य, सेवादायी संस्थान व अनेको प्रकारक जनकल्याणकारी संगठन आइ-काल्हि कोनो गामक परिचय करेबाक मूल आधारविन्दु मानल जाइत छैक। मिथिलाक हर गाम मे हाटरूपी बाजार, मन्दिर-मठ, विद्यालय, पत्रालय, अस्पताल आदिक उपलब्धता सामान्य तौर पर देखल जाइछ। लेकिन अधिकांश गाम मे ई सब सुविधा एक्कहि ठाम नहि भेटैत छैक। एहि लेल लोक केँ नजदीक विकसित बाजार वा शहरीक्षेत्र पर निर्भर करय पड़ैत छैक। हरेक गाम कोनो – न – कोनो तरहें शहरी मुख्यालय वा बाजार क्षेत्र वा रेल्वे स्टेशन, प्रखंड, अनुमंडल आदि सँ सड़कक माध्यमे जुड़ल रहबाक तथ्य एतहु भेटैत अछि। हलाँकि बाढिक प्रकोप बेसी भेलाक कारणे सड़कक हाल आइयो बहुत नीक जेकाँ विकसित नहि भऽ सकलैक अछि। सड़कक बदहालीक आरो बहुत रास कारण सब छैक। सरकारी योजना सँ ठेकेदार, नेता, अधिकारी, मंत्री, गामक दस गो लफुआ आ चमचादिक भोजन आ फुरफैंस्सी मे आधा सँ बेसी फंडक दुरुपयोग हेबाक कारणे कोनो सड़कक आयू अधिक सँ अधिक १ या २ वर्षक होइत छैक। रहल-सहल बात बाढि आदिक पानिक बहाव सँ क्षतिग्रस्त होइत छैक। बाढि नहि आयल तऽ बरसातक असैर सँ सेहो सड़क ध्वस्त कमजोर गुणस्तरक निर्माणकार्यक कारणे तय रहैत छैक।
वर्तमान युग मे पंचायती शासन व्यवस्था पूर्णरूप मे सफलता सँ संचालित होयबाक कारणे नेताविहीन कोनो गाम या कोनो ठाम छहिये नहि। नेता जतेक बेसी, दुर्दशा ओतेक बेसी! ई कथन कोनो अतिश्योक्तिपूर्ण नहि छैक। दोसरो एकटा कहबी एहि स्थितिकेँ पुष्ट करैत छैक जे ढेर जोगी मठ उजाड़! कोनो बात सरकारी भेनाय माने सबहक लूटबाक वास्ते एकटा खजाना। जेकरा जतेक फबत ओकरा ओतेक लूटबाक छैक। ई विडंबना जेकाँ लगैत छैक जे सर्वाधिक पढल-लिखल लोक मिथिला मे छैक, मुदा विपन्नताक ई कुद्रूप अवस्था एतय देखबाक लेल भेटैत छैक। पंचायत समिति, प्रखंड, जिला, राज्य – हर स्तर पर ब्रह्मलूट लेल सरकारी तंत्र आ जनतंत्र छैक से लगभग स्पष्ट छैक। भ्रष्टाचार केँ जैड़ सँ उन्मूलनक सपना देखनाय सेहो मोसकिल, कारण जनता मे सेहो ई अवगति छहिये नहि जे आखिर सरकारी कोष पर ओकर पूरा अधिकार छैक। सरकारी संपत्तिक संरक्षण, संवर्धन, प्रवर्धन आ व्यवस्थापन मे पर्यन्त जनते मालिक अछि। एहेन शिक्षा शायद ई पारंपरिक शिक्षा पद्धति सँ नहि भेटैत छैक आ कि बस पेट पोसबाक कला सिखनाय मात्र शिक्षाक अर्थ बनि गेल छैक – दुनू बात कहब एक्के रंग होयत। आइ अरबों रुपयाक सरकारी कोष सँ प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना चललैक, राज्यपथ, राष्ट्रीय उच्चपथ आ कतेको तरहक सड़क योजना सरकार द्वारा निरंतर चलेलाक बावजूद कमजोर आ भ्रष्ट मानसिकताक चलते पूर्ण विपन्न अवस्था मे देखल जाइत छैक।
आइ फेसबुक पर एकटा बहस देखल गेल जे गितेश झा नाम्ना व्यक्ति अपन गाम महिसाम, जे मधेपुर प्रखंडक मुख्यालय मधेपुर आ घोंघरडीहाक बगले होइत फूलपरासक राष्ट्रीय उच्चपथ ५७ केँ जोड़ैत छैक तेकर विपन्नताक चर्चा केलनि आ ताहि पर विभिन्न व्यक्ति द्वारा प्रतिक्रियास्वरूप उपरोक्त कमजोर अवस्थाक चर्चा आयल। एक सुजित झा टिप्पणी दैत कहलखिन जे ‘लियऽ…यैह विकास भेलैक यौ?’ तऽ पोस्ट कएनिहार सीधे जबाब दैत कहलखिन जे ‘पूछिये बिहार सरकार और जेडीयू विधायक गुलजार देवी से’। लेकिन एक राजेश यादव सटीक टिप्पणी करैत कहला ‘हमर ई महिसाम गाम मे सब नेते छथि… तैँ द्वारे ई हाल अछि’। निश्चित रूप सँ नेतागिरी माने अगबे नाम चमकेबाक, नील-टीनोपाल आ लफासोटिंग सफेदपोश बनिकय समाज मे ऊपरा-ऊपरी करबाक जोगार टा अछि, नहि कि गाम-समाजक असल सरोकार पर कियो कदापि काज कराबय लेल संघर्ष करैत अछि। असलियत बात यैह छैक जे सब अपनहि कमीशन आ कमाइ मे लागल अछि, नेतागिरी मात्र देखेबाक कला रूप मे विकास कय गेलैक अछि। प्रखंड पर बिडिओ – सिडिओ बुझय जे फल्लाँ बड़का नेता थीक आ कोषक विनियोजन करबा मे ओकरा चान्स दौक। मिलि-जुलि खूब लूटत, खूब फूकत… चौक पर दस टा चमचा पोसत… यैह सब थिकैक नेतागिरी। एम्हुरका झगड़ा ओम्हर लगायत, ओकर जमीन पर तेसरेक कब्जा, विवाद, थाना, प्रशासन मैनेज… यैह सब भेल नेतागिरी। फल्लाँ पार्टीक फल्लाँ पद पर फल्लाँ बाबु फल्लाँ नेता! एतबे टा सुनल जाइत अछि। वास्तविकता मे ओ नेता कम आ लूटेरा बेसी होइत अछि। ओकरा कोनो सरोकार विकास वा समाज सुधार सँ नहि होइत छैक। ओ केवल फूइसक खेती करैत अछि आ गाम-समाजक नाम पर धौंसगिरी देखबैत सरकारी खजाना आ खरात वा अन्य अनुदान सब लूटैत अछि। ई मानल सत्य थिकैक जे जाहि गाम मे जतेक नेता, तेकर अवस्था ततबे बदतर।