मैथिली साहित्य मे नवतुरिया रचनाकारक प्रवेश एकदम न्यून देखाइतो, जतेक उपस्थिति अछि से कम नहि। एहि क्रम मे मात्र किछुए वर्ष मे अनेको रचना सँ मैथिली केँ पुष्ट कएनिहार अमित मिश्र संग भेल साक्षात्कारकेँ मैथिली जिन्दाबाद पर प्रकाशित कैल जा रहल अछि।
अमितजी! बधाई! अहाँक साहित्य यात्रा बहुत कम उम्र मे नीक उत्कर्ष पर पहुचबाक प्रसन्नता भऽ रहल अछि। अहाँक साक्षात्कार मैथिली जिन्दाबाद पर रखबाक इच्छा सँ किछु प्रश्न पर जबाब चाही:
१. वर्तमान मे अहाँ कि काज कय रहल छी?
अमित: वर्तमानमे चाकरी लागि कऽ कने व्यस्त छी, पैघ रचना लिखबाक समय कने कम भेटैत अछि मुदा छोट-छोट कविता गजल आ चरिपतिया सब फेसबुक आ अपन ब्लाग “नव अंशु”क ( www.navanshu.blogspot.com ) माध्यमसँ नियमित रूपसँ परसि रहल छी ।
२. साहित्य मे रुचि कहिया जागल?
अमित: हमर परिवारिक बैकग्राउण्ड साहित्यसँ कहियो नै रहल । ओना हमर गाम करियन (जिला-समस्तीपुर) विद्वानक गाम अछि एतय महान दार्शनिक उदयनाचार्य जनम लेलनि । हमर गाम माटि-पानि साहित्यसँ भीजल अछि । गाममे दर्जनो नव-पुरान रचयिता छथि । शाइद तकरे प्रभाव हमरोपर पड़ल अछि । हमर लेखन लगभग 2007 मे शुरू भेल जखन हम नवम-दसम् पढ़ैत रही । हमर एकटा संगीक मनमे शाइद प्रेमक बीया अंकुरित भेल छल कारण जे ओ बेसी काल एहने चर्चा करैत छलथि आ ओ नित दिन हमरा सभक बीच नव-नव चर्चा करैत रहैत छलथि । हुनके बातसँ प्रभावित भऽ कऽ हम पहिने गीत लिकब शुरू केलहुँ । बादमे आगूक पढाइ लेल दरभंगा आबि गेलहुँ। ओतऽ मधुबनीक किछु छात्र सबसँ दोस्ती भेल आ संगतिक असर एहन पड़ल जे हमर भाषा पहिनेसँ बेसी शुद्ध भऽ गेल । 2008-10 बीच हम I.sc मे रही आ लेखन कम करैत रही । 2011क अन्तमे विदेहक सहयोग भेटल आ गीत लेखन छोड़ि गम्भीर साहीत्य लिखऽ लागलौं । ओना एखनो गीत लिखै छी आ हमर किछु एलवम आयल अछि । एखनो एकटा भगवती गीतक एलवम आ एकटा मैथिली संस्कार गीतक एलवम रेकर्ड होइ बला अछि ।
३. मैथिली संग जुड़ावक कि इतिहास मोन पड़ैछ?
अमित: पहिनहियें कहि चुकल छी जे शुरूमे गीत लिखब आरम्भ केने छलहुँ । हमर भाषा मैथिली, भोजपुरी आ हिन्दी छल । मैथिली कमे जकाँ छलै । मैथिलीसँ जुड़ाब हमर दरभंगा प्रवासक बीच भेल । ओतुका संगी सबसँ मैथिली दिस झुकबाक प्रेरणा भेटल आ एखन धरि मैथिलीक सेवामे लागल छी ।
४. मैथिली भाषाक साहित्य वा लेख-अभिलेखक पठन संस्कृति धुमिल छैक। कि अहाँकेँ एना लगैत अछि?
अमित: बड भारी प्रश्न पुछि देलियै अहाँ । हमरा जानैत मैथिलीक पठन संस्कृति एखनो बड बेसी मजगूत अछि । हाँ , एकटा बात जरूर छै जे मैथिलीकेँ ताकि कऽ पढ़निहारक कमी छै । बहुतो पत्र-पत्रिका आम जन धरि पहुँचिते नै अछि । एखनो मैथिलीमे वितरण करै बला प्रकाशनक कमी अछि । सब साल पोथी छपैत अछि मुदा ओकर जानकारी सबकेँ नै भऽ पाबै छै । आखिर हमरा पता चलतै तखन तऽ कीनबै आ पढ़बै । उदाहरण लिअ जे हमर स्कूलक बहुतो नेना एखन मैथिलीसँ परिचित छथि आ पढ़ैत छथि । हम हुनका सबकेँ एकर सामग्री उपलबद्ध करबैत छी । हमर सहकर्मी सब माँगि कऽ पढ़ैत छथि । तेँ कहै छी जे जा धरि सब ठाम मैथिली नै पहुँचतै ता धरि मैथीली पठनक संस्कृति धूमीले जकाँ देखाइ पड़तै ।
५. अहाँ निरन्तर लेखनी कोन उत्साह या बल या जोश या होश मे करैत छी? विस्तार सँ आ हृदयक बात बताउ।
अमित: हमर लेखनीक उत्साह पाठकक नेहक बले बनल अछि । स्थापित पत्र-पत्रिका हमरा सन नवांकुरकेँ छापैसँ परहेज करै छथि । लिख कऽ डायरीक कोनो पन्नामे चपोइत कऽ रखनाइ हमरा नीक नै लगैत अछि । इएह कारण अछि जे हम अपन सब रचना लिखबाक क्रमानुर फेसबुकपर दैत रहै छी । ओतुका पाठकसँ भेटल आशीष हमरा और लिखबाक लेल प्रेरित करैत अछि । संगे समाजमे घटैत रंगबिरही घटना सेहो लिखबाक लेल विवश करैत अछि । किछु गोटे आब सेलीब्रेटी जकाँ मानऽ लागलनि अछि आ हमरासँ बड बेसी अशा बान्हि लेलनि अछि । हुनको विश्वास बनेने रहबाक लेल हम लिखैत छी ।
६. एखन धरि कतेक रचना लिख लेलहुँ? कतेक प्रकाशित आ आरो भविष्य मे कतेक सक्रियता सँ एहि भाषाक सेवा मे रहब?
अमित: एखन धरि लगभग 400 गीत, 300 गजल 101 बाल गजल, 170 बाल कविता, 190 लघुकथा, 4 टा लघुनाटक आ एकांकी आ 15 टा कथा संग सैकड़ो रूबाइ कता चरिपतिया हाइकू सब लिखने छी । हमर एकटा गजल संग्रह ”नव अंशु” प्रकाशित अछि आ एकटा बाल कविता संग्रह जल्दीए आएत । ई एखन प्रेसमे अछि । बाद बाँकी लगभग सात गोट पोथीक पांडुलीपि तैयार अछि । भगवान जहिया पार लगेथिन तहिया छपतै ।रहल बात मैथिली लेखनमे रमल रहबाक तऽ हम मैथिलीकेँ नम्वर एक पर रखने छी आ रखने रहब ।
७. कि अहाँ केँ एना लगैत अछि जे मैथिली साहित्य मे सेवाक उचित सम्मान भेटैत छैक? पाठक, समाज, विद्वान्, साहित्यकार आ साहित्यिक उत्थान लेल जिम्मेवार विभिन्न सरकारी व अन्य गैर सरकारी संस्थागत निकाय केर अलग-अलग योगदानक परिप्रेक्ष्य मैथिली लेल अहाँक विचार राखू।
अमित: मैथिली साहित्यक सेवामे जहाँ धरि सम्मान भेटबाक गप अछि तऽ नवतुरिया लेल एकर कमी देखना जाइत अछि । स्थापित पत्र-पत्रिका वा साहित्यकार एकरा अपन बारीक पटुआ जकाँ मानैत छथि । एतऽ मार्गदर्शकक खगता अछि । जानकार लोक अपन ज्ञान शेयर करैसँ बचल रहै छथि । फेसबुकेपर देखियौ ने जे लाइक-काॅमेण्ट करनिहारक संख्या कते कम अछि । नीकसँ नीक रचनापर लेखककेँ उदासिये हाथ लागैत छै । मैथिलीकेँ जीएबाक लेल पुरनाएल गाछकेँ नव कोंपल लेल संरक्षण देबऽ पड़तै ।
८. कि मैथिली जिन्दाबाद पढैत छी? ओनाहु कतेक समय मैथिली पढबाक लेल खर्च करैत छी?
अमित: मैथिली जिन्दाबादक लोकार्पण दिनसँ हम नियमित एकरा पढ़बाक प्रयास करैत छी । ओना कहियो काल छुटियो जाइत अछि । दिन भरि पोथी पढ़बाक समय नै भेटैत अछि मुदा राति कऽ लगभग एक घण्टा मैथिली पोथी खास कऽ कथा आ उपन्यास पढ़ैत छी ।