परसू ८ सितम्बर, २०१८ केँ दरभंगाक एमएमटीएम कालेज सभागार मे २ बजे अपराह्न सँ रातिक १२ बजे धरि दर्जनों मैथिली कथाकार लोकनि अपन-अपन कथा वाचन कयलन्हि। एहि पर विभिन्न समीक्षक लोकनि द्वारा समीक्षात्मक टिप्पणी सेहो कयल गेल। एहि गोष्ठीक अध्यक्षता कथाकार अशोक द्वारा कयल गेल, जखन कि संचालन स्वयं संयोजक डा. अशोक मेहता द्वारा भेल। युवा साहित्यकार केँ मैथिली लेखनक मूल धारा मे जोड़बाक महत्वपूर्ण कार्य एहि तरहक आयोजन सँ भेल, ई मीडिया द्वारा समाचार सभ काल्हि प्रकाशित भेल छल। तखन, मैथिली संचारकर्म मे लागल संचारसेवी धरि एहि सब महत्वपूर्ण समाचारक विज्ञप्ति नहि पठेबाक गलती अहु आयोजन मे दोहरायल गेल अछि, ई कहय मे कोनो संकोच नहि। आर, विदिते अछि जे हिन्दी समाचारपत्र मे अपन फोटो आ नाम देखबाक होड़ सँ मैथिली भाषा आ साहित्य केँ कतेक लाभ आ कतेक हानि भेल अछि से पैछला सौ वर्ष सँ भेटि रहल प्रगति स्वतः स्पष्ट करैत अछि। आब, सोशल मीडिया केर सहारा लैत आउ किछु सारगर्भित प्रतिक्रिया समेटबाक चेष्टा करीः
१. अमरनाथ झा, महरैल सँ
“जखन तखन” सँ अखन अखन
काल्हि दरभंगा मे “जखन तखन” संस्थाक तत्वावधान आ डा0 अशोक कुमार मेहता क संयोजन-संचालन मे प्रथम दिवा-रात्रि कथागोष्ठी मे दर्शक, श्रोताक रूप मे सहभागी हेबाक अवसर भेटल ।
एहेन तरहक प्रथमे आयोजन मे व्यापक सहभागिता आह्लादित कएलक । कथाकार अशोकक अध्यक्षता मे सम्पन्न ऐहि गोष्ठीमे दू बजे दिन सँ मध्यरात्रि तकक समयवद्धता एकर विशेषता छल, तेँ मात्र अड़तीस गोट कथाकार कथा वाचन क’ सकलाह ।
समयाभावक कारणे कतेको स्थापित कथाकार लोकनि नवतूरक कथाकार केँ प्रोत्साहित करबाक निमित्त अपन प्रस्तुति नञि देलन्हि । ई सराहनीय मुदा श्रोता तँ लिलोहे रहलाह । अस्तु, कथा सभक बीच बीच मे ओइ पर समीक्षो अबैत रहलै, मुदा कनछल सन । बिम्ब केँ पकड़ि एकमात्र समीक्षा अजित आजाद जीक सफल कहल जा सकैए ।
बहुतो कवि लोकनि कथाकारक रूप धरबाक प्रयास कएलन्हि, आ मूल कथाकारक जनसंख्या के तोपि देलन्हि । हुनक ईहो रूप जगजियार होनि, से कामना ।
अगिला आयोजनक निर्णय एखन नै भेलैए, मुदा डा0 शिवकुमार प्रसाद एहि लेल अपन दावेदारी प्रस्तुत केलन्हि अछि, जेना कि जनतब भेल अछि ।
पूर्णत: वातावरित, श्रोता सँ आच्छादित विशाल हॉल मे सन्नद्ध जखन तखन परिवारक प्रत्येक सदस्य आ आदरणीय बैजू जी केँ हृदय सँ आभार । अगिला आयोजनक अग्रिम शुभकामना ।
*अखिलेश कुमार झा द्वारा अमरनाथ बाबूक पोस्ट पर जानकारी दैत कहल गेल अछिः कक्का जी, अगिला आयोजन प्रदीप बिहारी जीक संयोजन मे बेगूसराय मे होयबाक निर्णय भ’ गेल ।
*मिथिलेश सिन्हा दाथवासी कहलथिः
आयोजन सहजताक सङ्गे सम्पन्न भेल, आयोजक डॉ. अशोक कुमार मेहता जी धन्यवाद’क पात्र थिकाह. वरिष्ठ कथाकार लोकनि कार्यक्रम’क समापन धरि, नवतुर केँ प्रोत्साहित करैत रहलाह, ओ प्रणम्य छथि.
हमहुँ अपना केँ परम सौभाग्यशाली बूझि रहल छी जे हम अपन कथा’क प्रस्तुति अपने सन विद्वतजन’क समक्ष प्रस्तुत क’ सकलहुँ.
सत्ते, मान्यवर अजित आजाद जी मे जे क्षमता छैन्ह आन मे नहि देखल गेल. आवश्यकता छल, एहि आयोजन मे समीक्षक रूप मे अजित आजाद जी केँ मुख्यसमीक्षक रूप मे मान्यता भेंटतियैन्ह…..
एकटा अनुरोध आओर, कथागोष्ठी मे कथा’क अवधि अवश्य तय होबाक परमावश्यक थिक. एहि आयोजन मे निर्धारित छल जे, कथा’क अवधि दस सँ बारह मिनट धरि रहत, मुदा कथा खिंचाइत गेल…..90% कथा, पैंतालीस सँ लगभग पचास मिनट धरि पहुँचि गेल. आयोजन केर नीति फेल भ’ गेल, कोनो प्रतिकार नहि….😢
दीर्घकथा सुन’ वास्ते नहि होइत अछि, ई व्यासकथा त’ नहिए ने अछि ? परिणामः अधिसंख्य श्रोता लोंघरायल छलाह किछु त’ फोंफि काटैत छलाह…. नीरसता’क वातावरण नहि बन’ केँ चाहैत छल.
आगामी, आयोजन लेल एहो होबाक चाही जे, कथाकार लोकनि सँ हुनक (नियमानुकूल) कथा, ईमेल माध्यमे निश्चित समयसीमा धरि आयोजक/संयोजक केँ पठा दैथ,जाहि सँ संयोजक केँ असुविधा नहि होइन्ह.
*मैथिल विनय लिखैत छथिः
ककाजी जे सभ कथा वाचन नै कऽ सकला तिनका सभक लेल आगुक कार्यक्रम हेतु किछु विचार कएल गेल की? दोसर प्रतिभागीक चयन प्रक्रिया की छलै? तेसर एकटा हमरा सनक तुच्छ लोकक सुझाब – जौं समयाभावकेँ कारण बहुतो स्थापित कथाकार अपन कथाक वाचन नै कऽ सकला तँ कार्यक्रम एक दिनसँ दू दिन कऽ देल जाए।
माय मैथिली अहिना फलथि-फुलाथि आ मैथिल मैथिली हेतु एहिना जिबथु तकर शुभकामनाक संग आयोजक मंडलक संग कार्यक्रमकेँ सफल बनएबा हेतु सम्पूर्ण मैथिलीक संततिकेँ कोटि-कोटि आभार ओ धन्यवाद।
कार्यक्रमक सकारात्मक समीक्षात्मक पोस्ट पढ़ि बहुत नीक लागल, प्रणाम।
२. विभूति आनन्द
शैलेन्द्र आनन्द
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आजुक भोर वरिष्ठ कथाकार Shailendra Anand जीक एकल कथापाठ भेल । एहि मे उपस्थित रहथि Pradip Bihari, Narayan Jee, Ashok Mehta, कमल मोहन चुन्नू, पुतुल प्रियंवदा, रूपम झा, Menaka Mallik आ Bibhuti Anand ।
भोरक चाहक पहिल चुस्की संग एक सुंदर सन कथा- ‘पेटबोनियाँ’ ! ई कथा एक संघर्षरत मजदूरक जिजीविषा पर केंद्रित छल, जे अपन तमाम विपरीतक अछैतो हारैत नहि अछि । कथाकार एहि अपराजित चरित्र कें अपन कलमक जादूगरी सँ बड़े व्यवस्थित ढंगे पेंटिंग कयलनि अछि ।
आजुक कथा जखन कि एक खास कलाकारिता संग पाठकक सोझा आनल जा रहल अछि, शैलेन्द्रक ई कथा ओत’ ओहि जालकें तीरैत अछि, आ स्वाभाविक भीड़ सँ फराक भ’ जाइत अछि । एहि प्रकारक कथा सँ अभिभूत समकालीन कथाकार प्रदीप बिहारी जी कहलनि जे एहि कथाक अन्य भाषा मे अनूदित होयबाक चाही ।
३. विभूति आनन्द अपन दोसर पोस्ट मे, पूर्ण रपट संगः
कथागोष्ठी :
पहिल 2018, आठ सितंबर
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एम्हर मैथिली कथा जेना एक तरहक गतिरोधक सामना क’ रहल छल ! कारण सोशल मीडियाक आगमन भेने अधिकांश मसिजीवी कविता दिस अधिक रुचि लेब’ लागल रहथि, छथिहो । ओना ईहो साहित्य लेल अनुचित नहि, तथापि साहित्य सर्वांग पुष्ट हो, से सहजहि अपेक्षा । अस्तु ।
एहिना किछु दशक पूर्व सेहो एही तरहक गतिरोध मैथिली कथापर आयल छल । तहिया सोशल मीडिया तँ नहि रहै, मुदा पत्रिका-संकट आबि तुला गेल रहै ।
हमरा लोकनि एहि तरहक संकट सँ उबरबाक लेल लोहना गाम मे किरण जयंतीक अवसरपर निर्णय लेने रही आ ‘सगर राति दीप जरय’ नाम सँ एक धारावाहिक कथागोष्ठीक आरंभ कयने रही । तकर सकारात्मक प्रभाव पड़ल आ नव-पुरान लेखक कथालेखन दिस सक्रिय भेल रहथि । ओना ओ कथा-आयोजन एखनो अधिगृहिते रूममे सही, मुदा जीवंत अछि । मुदा एमहर किछु वर्ष सँ ताहि आयोजन मे समवेत उपस्थिति ओ तकर प्रभाव मे एकरसता देखल जा रहल छल ।
तकरे परिणाम भेल जे दरभंगाक साहित्यिक संस्था ‘जखन-तखन’ द्वारा प्रो. अशोक कुमार मेहताक संयोजकत्वमे सर्वथा नवीन परिकल्पनाक संग ‘कथागोष्ठी’ नाम सँ एक धारावाहिक कार्यक्रमक आरंभ काल्हि 08.09.2018 कें एमएमटीएम कालेजक सभागार मे कयल गेल । अस्तु ।
वरीय कथाकार अशोकक अध्यक्षता आ अशोक मेहताक संचालन मे कथागोष्ठीक आरंभ ब्रजकिशोर वर्मा मणिपद्मक ‘बुझले छल’ कथाक वाचन सँ भेल । कथावाचन कयलनि प्रो. दमन कुमार झा । मुदा ताहि सभ सँ पूर्व मंगलाचरण प्रस्तुत कयलनि गीतकार चंद्रमणि । दू बजे सँ आरंभ एहि कथापाठ-अनलिमिटेड मे लगभग अढ़ाइ दर्जन कथा/लघुकथा पढ़ल गेल, जे रातुक बारह बजे जा क’ स्थगित कएल गेल । एहि मे जे-जे कथाकार/कथालेखिका कथावाचन कयलनि, तनिक नाम अछि क्रमशः अभिलाषा, महेन्द्र नारायण राम, नीता झा, प्रणव नार्मदेय, मनोज कुमार झा, लक्ष्मी सिंह ठाकुर, ब्रह्मदेव प्रसाद विमल, मणिकांत झा, उषा चौधरी, स्वर्णिम किरण झा, भवेश चंद्र मिश्र ‘शिवांशु’, चंद्रमणि झा, सुनीता झा, मेनका मल्लिक, अमित मिश्र, मिथिलेश सिंहा मिसिदा, सदरे आलम गौहर, रूपम झा, पुतुल प्रियंवदा, आनंद मोहन झा, शैलेंद्र शैली, सोनू कुमार झा, अमित मिश्र, अवधेश कुमार झा, संतोषी कुमार, कमलेंद्र प्रेमेंद्र, दिलीप कुमार झा, शिवकुमार प्रसाद, रामनारायण सिंह आदि । बैद्यनाथ चौधरी बैजूक मौखिक कथावाचनकें अलग सँ आनंद लेल गेल ।
समयाभावक कारणे जे-जे कथाकार कथा नहि पढ़ि सकलाह, से सभ रहथि क्रमशः शैलेंद्र आनंद, शिवशंकर श्रीनिवास, प्रदीप बिहारी, गिरिजा नंद झा ‘अर्धनारीश्वर’, चंद्रेश, फूलचंद्र झा ‘प्रवीण’, हीरेन्द्र कुमार झा, अमलेंदु शेखर पाठक, सत्येंद्र कुमार झा, बीना प्रसाद, अखिलेश कुमार झा आदि ।
पढ़ल गेल कथा सभक समीक्षा कयलनि क्रमशः भीमनाथ झा, उदयचन्द्र झा ‘विनोद’, फूलचंद्र मिश्र ‘रमण’, शिवशंकर श्रीनिवास, नारायणजी, प्रदीप बिहारी, चंद्रमणि, अजित आजाद, किसलय कृष्ण, कमल मोहन चुन्नू, रमेश झा, गुफरान जिलानी आदि ।
अल्पविरामक बाद एक नब सोच जोड़ल गेल, जकर शीर्षक राखल गेल छल- ‘कथा उत्स’ ! एकर अंतर्गत वरीय कथाकार प्रदीप बिहारी अपन कथा-लेखन-प्रक्रिया पर प्रकाश देलनि ।
मुदा एहि क्रममे एक बात बहुत गंभीरता संग अकानल गेल जे कथालेखक/लेखिकाक संख्या मे नव-नव आमद सभ तँ भेल, मुदा कथाक गुणवत्ता मे शिथिलताक संग, आ तें कथा सभ मे समयकें नहि बाजब, आ शैल्पिक अराजकता संग कथ्यक प्रति अगंभीरता आदि स्पष्ट अछि ! तहिना एहि तरहक गोष्ठीक एक ईहो निहित उद्देश्य रहैत अछि जे ई समीक्षक एक वर्ग सेहो ठाढ़ करय । एहू स्तरपर ह्रासक अनुभव कएल गेल । अस्तु ।
समग्रता मे तें एहि कथागोष्ठी कें उद्देश्य-पूर्तिक दिशा मे एक सकारात्मक डेग बूझल जयबाक चाही । एही निश्चयक संग गोष्ठी विभूति आनन्दक धन्यवाद ज्ञापन सँ स्थगित कएल गेल तथा अग्रिम आयोजन लेल श्रीमती मेनका मल्लिक कें कमान देल गेलनि, जे तीन मासक अभ्यंतर एकर क्रम के आगाँ बढ़ौतीह…
अंतमे संपूर्ण कार्यक्रमक फेसबुक लाइव करबा लेल साहित्यकर्मी सुमित मिश्र गुंजन आ राघव रमण कें धन्यवाद देल गेल । तहिना मुफ्त मे सभागारक उपयोग करबा लेल मैथिलीस्ट बैद्यनाथ चौधरी ‘बैजू’ जीक प्रति आभार व्यक्त कएल गेल ।
गोष्ठीक व्यवस्था-बात मे सर्वश्री हीरेन्द्र कुमार झा, प्रो.नारायण झा, बीणा प्रसाद, रौशन, दीपक, आ राजनाथ जीक सक्रियता कें उपस्थित लोक गंभीरता सँ नोटिस लेलक…
*कैलाश कुमार मिश्र कहलनिः
बहुत नीक आयोजन। एहि आयोजन सँ बहुत किछु सिखल जा सकैत अछि। दिल्लीक मौथिली भोजपुरी अकादमी सेहो लघु स्तर पर एहि तरहक आयोजन लेल सोचि रहल अछि। हम अकादमीक उपाध्यक्ष श्रीमान नीरज पाठक Nirraj Pathak लग ई बात राखब। अगर ओ स्वीकृति द’ देताह त’ शीघ्र तिथि आ स्थानक जानकारी प्रेषित करब। अहाँक रपट बहुत नीक लागल। एकर लाभ सेहो भेटल। बहुत बहुत बधाई।
*अजित आजाद कहलाह –
विगत 5-6 वर्ष सँ कथा नहि लिखने रही। कथा-विमुख त नहि भेल रही मुदा कोनो बहन्ना अवश्य चाहैत रही। सगर राति दीप जरयक कारणे 40-50 कथा लिखने रही। गोटेक सय लघुकथा सेहो मुदा बाद मे कटैत चलि गेल रही। आब एकटा उद्देश्य अछि सोझाँ। काल्हिक आयोजन सँ बहुत उत्साहित छी। जे योजना अशोक मेहता जीक संग बनेलहुँ, से साकार भेल। 10 घंटा चलल ई आयोजन। युवा लोकनिक बहुलता छल। आर युवा सभ जुड़ता। बेगूसराय मे ई गोष्ठी आर भकरार होयत।
*श्यामानन्द चौधरी
आयोजन चलैत रहय आ एहि मे किछु श्रोता किम्बा पाठक के सेहो हँकार भेटय. मात्र ,सुनता उपास जकाँ नहि औ संगहि प्रतिष्ठित कथाकार लोकनि क कथा सेहो, सुनबाक ब्यौंत रहक चाही.
*मैथिल सदरे गौहर
कथा गोष्टी मे अपन कथा पढिकें बड उत्साहित छी। अपन वरिष्ठ कथाकार जनिका सभक कथाक हम मैथिली सं उर्दू मे अनुवाद कयने छी तनिका सभक समक्ष कथा पढिकें गौरवान्वित भेलहुं। अशोक मेहता जी विभूति जी आ जखन तखन परिवार कें धन्यवाद एहन नीक आ सफल आयोजनक लेल।
*महेश लाल दास
साधुवाद ; साहित्यक समृद्धि के लेल अहि तरहक आयोजन अत्यंत सराहनीय। प्रत्येक बैसारि के प्रकाशन सेहो आवश्यक । हमरा बुझने अगला सम्मेलन दू दिनक होना चाही : पहिल दिन किछ सैद्धांतिक , विधा सम्बन्धी चर्चा , अन्य साहित्य सबहक संग मैथिली कथा साहित्यक तुलना आदि होय, समीक्षा होय ; जं किनकों कथा पुस्तक प्रकाशित भेल होइन्ह ते एंकर परिचय होय । अपराह्न सत्र से कथा वाचन लगातार दोसर दिन तक चलै : तखन धन्यवाद ज्ञापन – समापन आदि । अहि आयोजन के ऐतिहासिक कहनाय उचित । मैथिली साहित्य केर संवर्द्धना लेल सराहनीय । हम दूरे सं ( अमेरिका से) साधुवाद पठा रहल छी ।
*ईशनाथ झा
मैथिली साहित्यमे कथा अपन वैश्विक महत्त्व रखैत अछि। मणिपद्मक एकटा कथा “युधिष्ठिरक पत्नी” हमरा अंग्रेजी/फ्रेंचक सैकड़ो अति प्रसिद्ध कथा सबसँ ठोस लागल रहय अपन गत्यात्मकता, शैली, चरित्र चित्रण आ शब्द विन्यासक अर्थे। तहिना कतेको कथा छिड़िआयल पड़ल अछि। युवावर्गक कथालेखनक प्रति उत्साह सँ अभिभूत छी। सर, जे चिंता अपने व्यक्त कयल अछि तकर निदान सेहो अपने लोकनिक हाथमे अछि। समय-समय पर कथा लेखन कार्यशालाक सेहो आयोजन करबाक प्रयास कयल जाओ जाहिसँ उत्सुक नवतूरकें तकनीकक ज्ञान हेतनि आ कलममे धार औतनि। समीक्षाक विषयमे हम किछु नहि कहब !
*उषा किरण खान
सगर रातिक भेष बदलल पुनरागमन! सुस्वागतम्!! आलोचक जोरगर ठाहिं पठाहिं बाजयबला चाही। कथा लिखब के मामूली बूझि नव लेखक के अधिक रिजक्शनक जरूरति छैक। गुणवत्ता ताही सँ विकसित हेतै। नवलेखक अपना पूर्वजों कथानहि पढ़ने रहै छथि, तैं पाछां आगांक बोध नै रहै छैन्ह। समृद्ध मैथिली साहित्य पर दयाभाव सँ कियो कथा नै लिखथु। हम बिनु मांगल सलाह देबै के अधिकारी नै छी तथापि बुढारीक बै बूझब!!!