जीवन लेल १२ उपयोगी मंत्र आ स्वच्छ रहबाक लेल दहेज प्रथाक उन्मूलन पर किछु विचार

भरत समान दोसर कियो भाइ नहि
अपन कल्याण संग समाजक कल्याण लेल किछु महत्वपूर्ण उपाय
भरत समान दोसर कियो भाइ नहि

बेटीक जन्म परिवार मे नव-नव सुख आ सम्पत्तिक संग होएत छैक, ताहि लेल बेटीक जन्म पर ‘लक्ष्मी एली’ कहि लोक एक-दोसर केँ बधाई दैत अछि। जँ अहाँ ध्यानपूर्वक एहि स्थिति पर गर करब त’ निश्चित हरेक परिवार मे खासकय बेटीक जन्म पर यैह बात सच भेटत।

 
दुःखक बात ई जे समाज मे विकृति एहि तरहें प्रसारित भऽ गेल अछि जे एकटा बेटीक विदाई करबाक लेल परिवार अपन सारा सम्पत्ति बेचियोकय ओकरा एकटा नीक घर-वर नहि दय पबैत छैक, दहेजक लोभ मे आकंठ डूबल सासूर परिवार ओहि बेटी केँ दिन-राति बात-कथा आ गारि-मारि दैत छैक, विवाद बढि गेलापर ओकरा गला घोंटिकय, या मट्टीतेल छींटिकय डाहि दैत छैक…. नहि तऽ एतेक मानसिक प्रताड़णा दैत छैक जे ओ बेटी जाहि घरक पुतोहु बनिकय गेल, जाहि वरक अर्धांगिनी बनिकय गेल ताहि ठाम अपन प्राण परित्याग लेल आत्महत्या करय लेल बाध्य भऽ जाइत अछि। ई सच्चाई थिक दहेज लोभी आ धनक लालच मे फँसल आसुरिक घर-परिवार केर।
 
नीक लोकक घर मे एहेन दहेज आ कि आडंबर कथमपि नहि देखय लेल भेटैत अछि। जेनाही अपन बेटी, तेनाही दोसरक बेटी जेकरा पुतोहु बनाकय लक्ष्मीक रूप मे गृह-प्रवेश कराओल जाइछ। एकटा पुतोहुक प्रवेश (द्विरागमन) पर कयल जायवला अनेकों विध-व्यवहार आ गीतनाद जे मिथिला मे प्रयोग मे अछि तेकरा मुताबिक घर-गृहस्थीक समस्त गूढ सूत्र सँ लैत सन्तानोत्पत्ति लेल सहचर्य आदिक सब बात नीक सँ ओहि नव प्रवेश कयनिहारि गृहिणी केँ बता देल जाइत छन्हि। एहेन सम्भ्रान्त आ वेदान्त अछि मिथिला, मुदा सेहो मिथिला आइ बनि गेल अछि विचित्र शिथिला, कारण छैक उपद्रवी मानसिकता, विदेहपंथक विरुद्ध देहपंथ – यानि भौतिकतावाद मे फँसबाक मनोदशा, व्यवहार, बात, विचार आदि।
 
यैह लोभी प्रजातिक मानव गर्भ मे आयल शिशु पर छूरा चलबेबाक लेल एकदम नहि डेराइत अछि। करोड़ों रुपया खर्च कय केँ बनल गाइनोकोलोजिस्ट आइ अपन कमाई लेल यैह हत्यारिन् केर काज बेसी करैत छथि। ओना गर्भपात (एबोर्सन) करेबाक स्थिति तऽ आरो कतेको पापक कारण बनैत अछि, लेकिन गर्भ मे रहल भ्रुण केर लिंग जाँच करेलाक बाद जे लोक आबयवाली बेटी (लक्ष्मी) केँ गर्भहि मे खून बहा रहला अछि, पता नहि हुनका लेल केहेन नर्क लिखल अछि।
 
रामायण मे ‘रौरव नर्क’ सबसँ निकृष्ट रूप मे वर्णित अछि। तऽ, एखन रामायण केर किछु नीक-उपयोगी मंत्र भक्त पाठक लेल रखैत एहि लेख केँ विराम देब, मुदा दहेज मुक्त मिथिला बनेबाक लेल सभक ध्यान चाहब। अस्तु, आउ देखी एहेन उपयोगी मंत्र जेकरा विज्ञ लोकनि विभिन्न समय मे उपयोगी कहलनि अछि। अपन अनुभव सँ हमहुँ यैह कहब जे रामचरितमानस केर हरेक मंत्र ‘मानस मंत्र’ थिक, एकरा मनन करू, पाठ करू, ध्यान धरू, सदिखन सीताराम-सीताराम नाम जप करैत हुनकर ध्यान कय ई सब मंत्र सिद्ध करू, जीवन सफल होयतः
 
१. झगड़ा मे विजय प्राप्तिक लेलः
 
कृपादृष्टि करी वृष्टि प्रभु अभय किये सुरवृन्द।
भालु कोल सब हरषे जय सुखधाम मुकुन्द॥
 
२. विद्या प्राप्तिक लेलः
 
गुरू गृह गए पढन रघुराई। अल्पकाल विद्या सब आई॥
 
३. यात्रा सफलताक लेलः
 
प्रबीसि नगर कीजे सब काजा। हृदय राखि कोसलपुर राजा॥
 
४. ऐश्वर्य प्राप्तिक लेलः
 
लगे सवारन सकल सुर वाहन विविध विमान।
होई सगुन मंगल सुखद करहि अप्सरा गान॥
 
५. दरिद्रता दूर करबाक लेलः
 
अतिथि पूज्य प्रियतम पुरारि के। कामद धन दारिद दवारि के॥
जे सकाम नर सुनहि जे गावहि। सुख सम्पति नाना विध पावहि॥
 
६. संकट नाश हो ताहि लेलः
 
दीन दयाल बिरिदु सम भारी। हरहु नाथ मम संकट भारी॥
 
७. जीविका प्राप्तिक लेलः
 
विस्व भरण पोषण कर जोई। ताकर नाम भरत जस होई॥
 
८. सब तरहक विपत्ति नाश हो ताहि लेलः
 
राजीव नयन धरे धनुसायक। भगति विपति भंजन सुखदायक॥
 
९. विघ्न-बाधा नाश हो ताहि लेलः
 
सकल विघ्न व्यापहि नहि तेही। राम सुकृपा बिलोकहिं जेही॥
 
१०. आकर्षण लेलः
 
जेहि केँ जेहि पर सत्य सनेहू। सो तेहि मिलइ न कछु संदेहू॥
 
११. परीक्षा मे उत्तीर्ण होयबाक लेलः
 
जेहि पर कृपा करेहु जनु जानी। कवि उर अजीर नचावहि बानी॥
मोरि सुधारी सो सब भाँती। जासु कृपा नहि कृपा अघाती॥
 
१२. शत्रु केँ मित्र बनेबाक लेलः
 
गरल सुधा रिपु करहिं मिताई। गोपद सिंधु अनल सित लाई॥
 
(स्वाध्याय सँ संकलित ई १२ मंत्र, साभारः खबर देखो डट कम)
 
नमः पार्वती पतये हर हर महादेव!!
 
हरिः हरः!!