चनमा आयोजनक अत्यन्त सुखद पक्ष
कोनो कार्यक्रम मे नीक आ बेजा दुए तरहक अनुभव होएत छैक। नीक ओ भेल जे आत्मा केँ संतोष प्रदान करय, बेजा ओ भेल जे मोन तक केँ दुःखी कय दियए। आइ भोर मे असन्तुष्टिक गोटेक रास विन्दु पर विचार रखने रही। आब एकर सकारात्मक पक्ष पर सेहो जानकारी देला सँ पब्लिक मे एकतर्फी भ्रमक अवस्था अवश्य हँटत, से विश्वास अछि।
१. नेपालक राजधानी काठमांडू मे सूतल अनेकानेक संस्था, व्यक्तित्व, सर्जक आ प्राज्ञ संग-संग राजनीतिकर्मी केँ मैथिलीक जोरदार दस्तक – दरबज्जा पर खट-खट आवाज सुनाय देलकनि एहि आयोजन सँ।
२. मिथिलाक अनुपम डेग नामक संस्था जे छोट-छोट डेग बढबैत नहुँ-नहुँ चलैत जमीन पर काज कय रहल छल तेकर परिकल्पक निराजन झा आखिरकार अपन कतेको वर्ष सँ सोचल सपना केँ साकार करबाक लेल राजधानी काठमांडू मे सफलताक संग आयोजन करौलनि, सभक संग लय केँ ओ अपन युवाकाल मे अनेकानेक महान रेकर्ड बनेबाक संग एतेक महत्वपूर्ण आ काफी चर्चित – प्रशंसित, यदा-कदा विरोध आ आलोचित सेहो, ताहि धार्मिक रीति-रेबाज केँ साहित्य, जीवन, सृजन सँ जोड़ैत अपन विशेष शैली मे काज करबाक रुचि मुताबिक ओ सफलता संग कार्यक्रम पूरा कयलनि।
३. मैथिली-मिथिलाक दृश्यपटल पर नया चमकैत मिथिलानी ‘विभा झा’ अपन अपन कार्यकुशलता आ अदम्य साहसक परिचय दैत आयोजन समितिक अध्यक्षक भूमिका एकदम सशक्त ढंग सँ निभेलीह।
४. फेसबुक स्टेटस सँ नेपाल, मधेस, मिथिला, राजनीति, भाषा, साहित्य कोनो विषय पर प्रखर बात राखि युवा शक्तिक बीच वैचारिक आन्दोलन केर प्रखर चेहरा ध्रुव झा केर परिश्रम आ लगन सँ बेहतरीन संयोजन कार्यक परिचय कराओल गेल।
५. मयूर फोसेट्स प्रा. लि. आ एकर संचालक श्री शंभु नाथ झा केर समस्त सहयोग, व्यवस्थापन, संसाधन, खानपान, अतिथि-सत्कार, दूर-दूर सँ अतिथि लोकनिक आमंत्रण सँ लैत कार्यक्रम आयोजनक अवधि भरि मे पूर्ण समर्पण सँ लागल रहबाक विलक्षण आ अत्यन्त महत्वपूर्ण कार्य भेल।
कोनो आयोजन केँ सफल करबाक लेल जे साधन, सामर्थ्य, संयोजन, सोच, समझौता, समर्पण आदिक आवश्यकता छैक से सब किछु देखायल।
कार्यक्रम प्रस्तुति मे एकटा आम दर्शक आ विचारक संग-संग स्वयं सहभागी स्रोत व्यक्ति ओ वक्ताक रूप मे हमर नीक अनुभव कि सब रहलः
१. ‘गोसाउनि’ शीर्षक अन्तर्गत वक्ता विजय सिंह दनुआर द्वारा प्रस्तुत मिथिलाक पर्यावरण केर सुरक्षा लेल चुरे-भावर क्षेत्र मे भऽ रहल वनक कटानी, भू-सतह मे परिवर्तन – भूमि अपरदन, नदीक बहाव-कटाव, मरूभूमिकरण आदि अनेकों महत्वपूर्ण आ काफी संवेदनशील विन्दु सभक पूर्वकालिक स्थिति, वर्तमान अवस्था आ भविष्यक भयावहता पर बड़ा नीक शोध सहितक व्याख्यान राखल गेल छल। चनमा आयोजनक गोहारि ई संकेत दय देलक जे आयोजन कतेक गंभीर प्रकृतिक विषय सब पर चिन्तन करत! एहि प्रेजेन्टेशन केँ पावर-प्वाइन्ट मार्फत स्क्रीन पर देखबैत वक्ता दनुआरजी द्वारा वर्णन कयल गेल छल। भविष्य मे ई मैथिली मे प्रकाशित हो, तेकर अपेक्षा राखब।
२. ‘गोहारि’ शीर्षक मे डा. सी. के. लाल द्वारा ‘मिथिलाक एखनुक अवस्था आ आगामी दू दशकक योजना’ विषय पर राखल गेल वक्तव्य एतेक गहिंर आ भावपूर्ण छल जे मानू गंगा स्नान कय रहल छलहुँ। वास्तव मे विद्वान् कियो हो त डा. सी. के. लाल समान। हम फेसबुक सँ ई पूरा कार्यक्रम लाइव केने छी। काफी रास लोक, जनकपुर सँ अजय अनुरागीजी सहित कतेको रास गंभीर श्रोता लोकनि एकर सीधा लाभ उठौलनि। मिथिलाक एखनुक अवस्था मे भौगोलिक, भाषिक, सांस्कृतिक, ऐतिहासिक – हरेक सन्दर्भ केँ जोड़िकय आदरणीय सीके सर द्वारा एकदम सहज आ सुन्दर शैली मे प्रस्तुत कयल गेल जेकरा लेल श्रोता मंत्रमुग्ध देखेला। हमरा मुंह सँ बर्बस कतेको बेर ‘वाह-वाह’ निकैल जाएत छल। समस्या सेहो गनौलनि। रस्ता सेहो देखौलनि। हतोत्साहित होयबाक कतहु आवश्यकता नहि, ताहि लेल शुरुए मे कहि देला जे ओना त भूगोल मे वर्तमान समय कतहु मिथिला नहि अछि, मुदा जतय दुइ गोट मैथिल ठाढ होएत छथि आ अपन मातृभाषा मे बात करैत अपन मूल-मौलिकता मे नोस्टाल्जिक अवस्था मे पहुँचैत छथि, वैह थिक वर्तमान मिथिला जे अमेरिकाक कैलिफोर्निया मे सेहो अछि, भारत-नेपाल केर विभिन्न स्थान पर सेहो अछि आ मिथिला स्वयं मे त स्वाभाविक रूप सँ अछिये। एतुका संसाधन आ तेकर दोहन पर गंभीरता सँ विद्रुपता केँ रखैत विपन्नताक सब रहस्य पर सँ डा. सी. के. लाल नीक जेकाँ पर्दा उठौलनि। तखन तुरन्त राह सेहो देखौलनि, उपलब्ध संसाधन आ जीवन शैलीक अनुसार हरित क्रान्ति (कृषि मे प्रगतिक संभावना), श्वेत क्रान्ति (पशुपालन आ दुग्ध व्यवसाय सँ जीविकोपार्जनक अपार संभावना) आर पियर क्रान्ति (मिथिला मे फरयवला फलक व्यवसायिक कृषि तथा व्यवसायिक संवर्धनक बात) संग पर्यटन आ उद्योग – सब बात पर बहुत सारगर्भित विचार रखलनि जे एहि बेरुक ‘चनमा’ आयोजनक मूल रीढ तत्त्व कहि सकैत छी।
३. मिथिलाक लोकगायन मे सुभाष बिरपुरिया, ललित कापर, अंजू यादव, अंजलि मेहता – सब कियो उत्कृष्ट गायन त करबे केलनि। स्वयं संगीत सम्राट सुनील मल्लिक, धीरेन्द्र प्रेमर्षि आ रूपा झा संग राखी नाम्ना एकटा बच्चा गायिका सेहो खूब प्रभावित करैत रहला। सुभाष बिरपुरिया अपन भगैत गायन सँ यदि १०० वर्ष पूर्वक पुरुखा लोकनिक गायन-शैलीक परिचिति देलनि त ललित कापर अपन सुफी शैलीक गायन सँ श्रोताक मन मोहि लेलनि। तहिना अंजू कनक भूधर शिखर वासिनी – विद्यापति रचनाक भगवती गीत गाबि अपन आवाज केँ लता मंगेशकर सँ तुलना करबाक उपमाक दर्शन करौलीह। सुनील मल्लिक आ धीरेन्द्र प्रेमर्षिक प्रस्तुति पर त एतबे कहब जे को नहि जानत है जग मे कपि संकट मोचन नाम तिहारो! बहुत-बहुत मनमोहक प्रस्तुति आ युगल स्वर मे प्रेमर्षिजी संग आदरणीया रूपा झा जीक प्रस्तुति सेहो अत्यन्त सुमधुर आ मनलुभाओन रहल।
४. अष्टदल कार्यक्रम मे वक्ता ८ केर बदला मात्र ६ गोटा उपस्थित भेलाह आ एकदम सटीक समय मे अपन-अपन बात केँ रखबाक प्रयास कयलनि। सभक प्रस्तुति सँ दर्शक दीर्घा मे एकटा वैचारिक प्रक्रिया आरम्भ होयबाक संकेत अवश्य भेटल। विषयक चुनाव सेहो बड़ा महत्वपूर्ण छलैक। जतय रामनारायण प्रसाद मंडल शिक्षाक विषय पर संबोधन करैत वोकेशनल – व्यवसायिक शिक्षाक पद्धति पर, घरैया लुरि सिखबाक बात आदिक संग सामान्य शिक्षा पद्धति मे सभकेँ आगू रहबाक बात बजलखिन ताहि ठाम डा. शंभुनाथ झा द्वारा स्वास्थ्यक विषय पर नहि सिर्फ शारीरिक व्याधि सँ बचबाक लेल स्वस्थ जीवन प्रणालीक बात कहल गेल बल्कि मानसिक आ वैचारिक व्याधि सँ बचबाक उपाय सेहो तकबाक लेल सन्देश देल गेल। खास कय वैचारिक आ मानसिक शुद्धताक बेसी आवश्यकता रहल आजुक पीढी मे नीक स्वास्थ्य लेल ओ कहलनि। बीमारीक मात्रा खानपान आ रहन सहन सँ प्रभावित होएत छैक, ताहि हेतु मनुष्य तीनू तरहें स्वस्थ रहबाक लेल दृढसंकल्पित हो ताहि लेल प्रेरणाक संचरण एकदम दार्शनिक शैली मे कयलनि। तहिना माधवी कर्ण महिला सशक्तीकरणक विषय पर जोरदार स्वर मे महिला केँ पूर्ण स्वतंत्रता देबाक अपील केलीह, किछु बेसिये स्वतंत्रता कनेक बेसिये मोडर्न शैली मे मांगि लेबाक कारण हुनकर तीख आलोचना स्वयं महिलावर्ग द्वारा सेहो कयल गेल आ अध्यक्षा विभा झा द्वारा माथ पर आँचर रखैतो कोना एतेक बड़का आयोजन सफलता सँ कयल जा रहल अछि तेकर उदाहरण देखबैत महिला केँ संस्कार नहि बिसरबाक आलोचना हुनका झेलय पड़लनि। तहिना बाल-वृद्ध केर परिचर्या विषय पर प्रसिद्ध कवि ओ साहित्यकार अजित आजाद एना लय मे आ जीवन्त दृष्टान सब दैत बजलाह जे श्रोता मंत्रमुग्ध भऽ हुनकर बात सुनि बाल-वृद्ध दुनू प्रति वर्तमान पीढीक अवस्था आ आगामी जिम्मेवारीक बोध कयलनि। अन्तर्राष्ट्रीय सम्बन्ध आ मिथिला – एहि विन्दु पर हमहीं बजलहुँ, शुरुआती संचालन सेहो हमहीं कय रहल छलहुँ, बाद मे फेर आदरणीय धीरेन्द्र प्रेमर्षि कयलन्हि। हमर बाजब कनेक जोश भरबाक स्वर मे होएत अछि, मिथिला लेल अन्तर्राष्ट्रीय शक्ति दिल्ली आ काठमांडू केँ बुझैत विगत मे कोना मिथिला दुइ देश मे बँटल आ आब हमरा सभक अवस्था केहेन अछि, अपन विद्याबलक वैभव सँ विश्वशक्तिक बीच हम सब कतेक सुदृढ रूप मे स्थापित छी, यैह सब बजलहुँ। भविष्य हमरा सभक बड खराब नहि अछि, जँ गाम (मिथिलादेश) बचा लेब त अन्तर्राष्ट्रीय सम्बन्ध मे जनक-जानकी-विद्यापति-वाचस्पति सभक कारण खूब प्रशंसा आ प्रतिष्ठा भेटिते अछि। तहिना मैथिली संचारकर्मक अवस्था पर वरिष्ठ संचारकर्मी धर्मेन्द्र झा दृढता सँ स्थापित कयलन्हि जे बिना समुचित संचारकर्मक हमरा लोकनि एको डेग नहि बढि सकब, सिर्फ अपन पीठ अपनहि सँ ठोकब, धरि संसार हमर वर्तमानक बारे मे अन्जाने रहत, राजनीतिक अधिकार सँ लैत निजत्व आदिक भान किछु नहि भऽ पाओत। ई सत्र मात्र डेढ घंटाक रहितो श्रोता सब केँ प्रश्न सेहो लेल गेल छल।
५. कार्यक्रम अबधि भरि भोजन, जलखै, चाह, आदिक अति-विशिष्ट इन्तजाम संपूर्ण अतिथि ओ दर्शक लेल छल। ई बड पैघ उदारता सँ स्वयं शंभु नाथ झा, मयुर फोसेट्स केर मालिक द्वारा अपनहि रेख-देख मे संचालित कयल जाएत रहल। गज्जब समर्पण!
६. प्रियंका झा द्वारा ‘कथा नै भेटल’ एकल नाटक – ई त सब दिन मनमोहक होएते रहल अछि। एकल नाटक मे महिला कलाकार केर रूप मे मिथिलाक सूपरस्टार मानल जाएत अछि प्रियंका केँ। ओ सदिखन, केहनो परिस्थिति (मंचपर समुचित लाइट्स व अन्य व्यवस्थापन नहियो रहैत) मे ओ सदैव अपन प्रखर रंगशैली सँ दर्शक केर दिल जीतैत रहली अछि।
७. दोसर दिन पुनः प्राज्ञ रमेश रंजन झा आ प्रा. परमेश्वर कापड़ि केर ‘थाप’ मे मिथिलाक कला आ साहित्य पर प्रस्तुति श्रोतावर्ग लेल बड़ा प्रेरणादायक आ गंभीरता सँ श्रवण योग्य सत्र रहल।
८. हैदराबाद सँ आयल युवा कवि विकास वत्सनाभ ‘मैथिलीक समकाल आ नवतुरिया’ विषय पर ओजपूर्ण संबोधन वक्तव्य देलनि। श्रोताक बीच सँ खूब रास प्रश्न सेहो उठलनि। बड़ा चतुराई सँ ओ सभक जिज्ञासा केँ शान्त कयलाह। लेकिन, हम एक आलोचक केर रूप मे हुनकर प्रस्तुतिक कमी गना सकलहुँ आर ओ धैर्यता सँ सुनलनि, ईहो नीक लागल। आगामी समय मे ३०-४० मिनट केर सेशन ‘उचन्ती स्मृति’ केर आधार पर रखला सँ ‘एक्के शब्द समकाल’ बेर-बेर उच्चारण नहि करय पड़तनि, बरु विषय पर विन्दुवार ढंग सँ आ स्थानीय सेन्टीमेन्ट्स केँ गनैत-बुझैत प्रस्तुति देथिन, से आशा।
९. तखन भेल सिनरी – शास्त्रीय गायक गुरुदेव कामत, प्रसिद्ध रंगकर्मी ओ नृत्य निर्देशक श्रीमती माया पौड़ेल तथा वन्स अगेन सुनील मल्लिक विद हीज बेस्ट प्रिपेयर्ड पेपर अन मिथिलाक संगीत, गीत नृत्य ओ गायन। वाह! बहुत मूल्यवान् रहल ई सत्र। गुरुदेवजी आ माया अन्टी भले भावनात्मक शैली मे बेस आकर्षक संबोधन कयलन्हि, परञ्च सुनील मल्लिक त संगीतक पूरा मीमांसा आ दर्शन केँ अत्यन्त रोचक शैली मे प्रस्तुत कयलन्हि। मार्वेलस भाइजी!
१०. पुनः संध्याकाल जे मिश्रित कलाकार लोकनि द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रम सब परसल गेल से एकदम लोभाओन छल। हमहुँ गेलहुँ। गाबय नहि अबैत अछि, मुदा सब गेल गोइठी बिछय त लूल्ही कहलक हमहुँ… सैह बात। फेर विभाजीक समापन भाषण आ एकटा दु-पाँतिक भावुक गीत… छल न एहेन दिन देखब… किछु एहि भावक। आर संगहि हुनका द्वारा चनबा हरेक साल टंगायत तेकर कठोर प्रतिबद्धता! वन्डरफूल इन टोटल!!
एहि सँ पहिनहि हमर असन्तुष्टिक बहुत रास विन्दु पर लिखि चुकल छी। सब बात केँ सब कियो सकारात्मक ढंग सँ लेब। बस!
हरिः हरः!!