गीतः प्रसंग दहों दिस आयल बाढि मिथिला मे
– प्रेम विदेह, जनकपुरधाम
गीत : जल प्रलय
भेलै प्रलय जलक, ऐलै विपति घड़िया,
मिथिला नगरिया ना……………
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गेला सूरूज बहुत दूर, भेलै आकासोमे भूर,
बाबा इन्द्रो बनि गेला बड़का बैरिया। मिथिला…
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घरसब पोखरि बनि गेल, सड़क नदी बनि गेल,
सागर बनल बाधो-बनो, चाँचर-चौरिया। मिथिला..
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दौलति-सम्पतिके क्षति भेल, मालोजालक मौगति भेल,
डूबल फसल रोपल, ढहल घर-दुअरिया। मिथिला…………..
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बन्धु हजारो दहाएल, मनुक्ख बहुतो हेराएल,
बिछड़ल बच्चा बहुतो बाप-महतरिया। मिथिला..
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अछि दुर्दशा दुनु पार, लोथ-नांगरि सरकार,
बाँटए रेडियो-टिभी राहत खबरिया। मिथिला..
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बान्हू धीरज बहिन, भाइ! दिन फिरतै गे माई!
फेरत प्रभु जरूर पीड़ितपर नजरिया। मिथिला…
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