रचना
– युवाकवि संतोष विद्याधर – सप्तरी – बथनाहा-८
बेकम्मा दुल्हा

बुढ भऽ कय मरै दियौक
बेटी घर के फूल अछि
गदहाक गरदनि नहि पड़ै दियौक
मुर्खाहा दूल्हा बहुते भेटत
शहर खोजू आ कि गाम घर
शिक्षित दहेजक भूखल भेटत
मन चढ़ल तकरो मचान पर
दहेजक भूखल कुकूर थिक ओ
मैला ओकरा चाटैय दियौक,
कोशी कमला बहे ओकर जवानी
बुढ भऽ असगर मरै दियौक
बेटी घरके फूल अछि
गदहाक गरदनि नहि पड़ै दियौक
– कवि संतोष विद्याधर