”रवीन्द्र भारती” मधुबनी
#गजल Vidyanand Bedardi
नयनसँ नयन मिलेलियै,जुलुम केलियै
हियासँ हिया लगेलियै,जुलुम केलियै॥
बाँट हमर हेरा गेलै संग चलिते ओकर,
हाथेमे हाथ जेँ धेलियै,जुलुम केलियै॥
कि जाने मोम सन प्रेम तरूआरि हेत?
अनेरे लहुँ-नोर बहेलियै,जुलुम केलियै॥
कणकण समर्पण करि विरानक लेल,
अपनके कतिया देलियै,जुलुम केलियै॥
नै पुछह रामा! कतेक पश्चताप होइए,
माय-बाबूके खौझेलियै,जुलुम केलियै॥
पितल भऽ पिघलि रहल य पलपलमे,
सोनक जीवन लुटेलियै,जुलुम केलियै॥